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यूपी पंचायत चुनाव-2022 सभी पार्टियों के लिए होगा लिटमस टेस्ट, सियासी सरगर्मी तेज

यूपी पंचायत चुनाव-2022 सभी पार्टियों के लिए होगा लिटमस टेस्ट, सियासी सरगर्मी तेज

नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधानों का कार्यकाल शुक्रवार को खत्म हो रहा है और पंचायत चुनाव को लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। इसके बावजूद पंचायत चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और इस बार का पंचायत चुनाव सियासी दलों की राजनीति का बड़ा अखाड़ा बनने जा रहा है। 
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में अभी करीब सवा साल बाकी है, लेकिन उससे पहले सूबे में होने वाला पंचायत चुनाव-2022 का सभी को लिए लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में पहली बार पंचायत चुनाव में राजनीतिक दल बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। इसमें सत्ताधारी भाजपा से लेकर कांग्रेस, सपा, बसपा, अपना दल, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम सहित तमाम विपक्षी पार्टियां अपनी किस्मत आजमाने की जुगत में है। यही वजह है कि गांव में किसी न किसी बहाने से पार्टी नेताओं ने दस्तक देना शुरू कर दिया है, जिसे सूबे की सियासी तपिश बढ़ने लगी है।
पूरी हो रहा प्रधानों का कार्यकाल :
उत्तर प्रदेश के कुल 59,163 ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 25 दिसंबर शुक्रवार को पूरा हो रहा है। वहीं, 3 जनवरी 2021 को जिला पंचायत अध्यक्ष जबकि 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में प्रदेश में एक साथ ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, 823 ब्लॉक के क्षेत्र पंचायत सदस्य और 75 जिले पंचायत के सदस्यों के 3200 पदों पर चुनाव कराए जाने हैं। 
यूपी चुनाव आयोग सूबे के पंचायत चुनाव को अगले साल मार्च में हर हाल में कराने की तैयारी में है। ऐसे में फरवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते में यूपी पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा सकती है। ऐसे में मौजूदा ग्राम प्रधानों के कार्यकाल पूरे होने जाने के चलते ग्राम पंचायत के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सहायक विकास अधिकारी को सौंपे जाएंगे, जिन्हें पंचायत सचिव सहयोग करेंगे। इस संबंध में सरकार ने तैयारी कर ली है।  
भाजपा-सपा ने बनाई योजना :
भाजपा ने पंचायत चुनाव के लिए कमर कस ली है। सूबे के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा ने अपने सिंबल या फिर पार्टी अधिकृत प्रत्याशी उतारने की दिशा में मन बना लिया है। भाजपा ने पंचायत चुनाव के जरिए गांव स्तर पर नेतृत्व तैयार करने के लिए ग्राम प्रधान तक के चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है। भाजपा ने पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का ऐलान कर यूपी का सियासी तापमान बढ़ा दिया है। भाजपा प्रवक्ता डॉ. चन्द्रमोहन ने बताया कि प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव पार्टी के लिए काफी अहम हैं। इसलिए भाजपा ने तय किया है कि पंचायत चुनाव में अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारेगी। पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश भर में जिला संयोजक को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा छह मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है। 
उन्होंने बताया कि चुनाव शब्द जिसमें भी जुड़ा है, उसे भाजपा हर हाल में लड़ेगी। भाजपा के लिए कोई चुनाव छोटा बड़ा नहीं है। यूपी में ऐसे बहुत सारे चुनाव हैं, भाजपा जिन्हें पहली बार लड़ रही है। ऐसे में भाजपा पंचायत चुनाव समेत यूपी के सभी चुनावों में पूरी ताकत से लड़ने का फैसला कर चुकी है। पंचायत चुनाव के जरिए सूबे के हर गांव में नेतृत्व खड़ा करना भाजपा का मकसद है। भाजपा ग्राम प्रधान स्तर तक के चुनाव लड़ेगी और जीत हासिल करेगी।
वहीं, विपक्ष पंचायत चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार के साथ उतरने की तैयारी में है। सपा ने जिला पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है जबकि ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए अधिकृत प्रत्याशी उतारने को लेकर मन बनाया है। ऐसे ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव तो पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है, लेकिन ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ेगी।
बसपा ने भी कसी कमर-
बसपा ने भी पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी के कॉडिनेटर जिला पंचायत सदस्य से लेकर ग्राम प्रधान प्रत्याशी के चयन को लेकर बैठक कर रहे हैं। हाल ही में बसपा के कॉडिनेटर मुनकाद अली ने कहा कि पार्टी पंचायत चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ेगी और कर्मठ कार्यकर्ताओं को उतारेगी। इसके लिए बसपा ने अपने मंडल और जिला कॉडिनेटर को जिम्मेदारी सौंपी है। बसपा इससे पहले भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव सिंबल पर लड़ चुकी है, लेकिन इस बार ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत के लिए भी कमर कस ली है। 
ज्ञात हो कि यूपी में पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होते हैं। हालांकि, इन चुनावों में राजनीतिक दल समर्थित प्रत्याशियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते आ रहे हैं। वहीं, अभी तक सिर्फ केरल और पश्चिम बंगाल में ही पंचायत चुनावों में राजनीतिक दल अपने सिंबल पर चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन फिलहाल देश के तमाम राज्यों में पार्टियां पंचायत चुनाव सिंबल पर लड़ने लगी हैं। हाल ही में राजस्थान में चुनाव निशान पर पार्टियों ने किस्मत आजमाई है। यही वजह है कि इस बार का चुनाव राजनीतिक दलों के लिए काफी अहम और महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 
 

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