नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी सरकार ने गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि एक विशेषज्ञ समिति ने राष्ट्रीय राजधानी में निजी अस्पतालों में कोविड-19 रोगियों के लिए आरक्षित आईसीयू बिस्तरों की संख्या 80 प्रतिशत से कम करके 60 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। दिल्ली सरकार ने ‘डि-एस्केलेशन कमेटी (कोविड-19)’ के बुधवार के निर्णय की जानकारी न्यायमूर्ति नवीन चावला के समक्ष रखी। दिल्ली के अस्पतालों में मरीजों की भर्ती और उन्हें छुट्टी दिए जाने की मौजूदा स्थिति का आकलन करने तथा जरूरत होने पर कोविड-19 रोगियों के लिए आरक्षित बिस्तरों की संख्या कम करने की सिफारिश करने के लिए समिति का गठन किया था। दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील संजय घोष और अधिवक्ता उर्वि मोहन ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि समिति ने सुझाव दिया है कि प्राथमिकता के अनुसार दिल्ली सरकार और निजी क्षेत्र के अस्पतालों में क्रमिक तरीके से बिस्तरों की संख्या कम की जा सकती है, लेकिन केंद्र सरकार के अस्पतालों में नहीं। आप सरकार ने कहा, ‘इसलिए, समिति सिफारिश करती है कि निजी क्षेत्र के अस्पतालों में आईसीयू के कुल बिस्तरों में आरक्षित 80 प्रतिशत कोविड आईसीयू बिस्तरों की संख्या कम करके 60 प्रतिशत की जाए और 40 प्रतिशत आईसीयू बिस्तरों को गैर-कोविड गहन देखभाल के लिए उपलब्ध कराया जाए। उसने कहा, ‘इससे गैर-कोविड रोगियों के लिए (लगभग) 600 आईसीयू बिस्तर उपलब्ध होंगे। समिति ने इस समय दिल्ली सरकार के किसी अस्पताल में कोविड आईसीयू बिस्तरों की स्थिति में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया है।
रीजनल नार्थ
निजी अस्पतालों में आरक्षित आईसीयू बिस्तरों की संख्या 60 प्रतिशत करने का सुझाव: दिल्ली सरकार