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सूरज को निकलने से कोई नहीं रोक सकता। यह एक अटल सत्य है?  

सूरज को निकलने से कोई नहीं रोक सकता। यह एक अटल सत्य है?  

सूरज को निकलने से कोई नहीं रोक सकता। ंयह एक अटल सत्य है। प्रतिभा कभी नहीं मरती।प्रतिभाएं सदैव अमर रहती है।यह अमर सत्य है।कुएं का मेंढक कुएं तक ही सीमीत रह सकता है।कुएं का राजा बनता है।कुएं से बाहर निकलता है तब उसे अपनी औकात मालूम होती है। समुद्र का अपना आस्तित्व होता है।नया नौ दिन ही चलता है पुराना सौे दिन चलता है।प्रतिभावान का एक स्वाभिमान होता है। प्रतिभा को रोकना अन्याय है मगर प्रतिभा को धराशायी करने का जो फितुर है उसे त्याग दो नहीं तो समय एक दिन खून के आंसू  रुलाएंगा।आज उभरती प्रतिभा को दबाया जाता है और चंद स्वार्थों के लिए बाहर के लोगों को फायदा पहुंचाया जाता है। अपनों को ठुकराया जाता है और गैरों को गले लगाया जाता है।प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती।कब तक प्रतिभाओं को दरकिनार करोगे।एक दिन पछताओगे जब तुम्हे बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा तब पश्चाताप के आंसू बहाने के लायक नहीं रहोगे।सदा किसी की नहीं चलती।खुद गुमनामी के अंधेरे में जी रहे हो औरों को भी गुमनामी की दुनिया में खत्म करना चाहते हो।नकल करके कब तक विद्वान कहलाओगे।नकल के बल तक कब तक प्रतिभावान बनोगे।आज अपने ही खून से गददारी की जाती है। अपना खून अपना ही होता है। आज कितने ही प्रतिभावान लोग है जिन्हे दरकिनार करके अयोग्य लोगों को मौका
दिया जाता है।अनुभवहीन लोग आज इतने बड़े बन जाते है कि दूसरों को पाठ पढ़ाने लगते है कि कौन काम सही है और कौन गलत मगर सच्चाई सौ परदे फाड़ कर बाहर आती हैं।प्रतिभावान कभी किसी के तलवे नहीं चाटते।मेहनत करके अपना लक्ष्य हासिल करते है।जीहजूरी करके पद हासिल करने वाले गुलामी की जंजीरों से बाहर नहीं निकल सकते जबकि एक प्रतिभावान किसी का गुलाम नहीं होता।साम,दाम,दंड,भेद जैसी नापाक नीतियां अपनाकर सफल हुए लोग कब तक सफल होंगें एक दिन जरुर धराशायी होगें।आज प्रतिभावान जो छल-कपट से कोसों दूर है उन्हे दबाया जा रहा है।उत्पीड़न किया जा रहा है।मगर कहते है सदा किसी की नहीं चलती।।आज ईमानदार लोगों की कद्र नहीं है जबकि बेईमानों को पूजा जा रहा है मगर यह सर्वमान्य है कि हमेशा ईमानदारी की जीत हुई है बेईमानी औंधे मंुह गिरी है।बेइमानी की सदा हार हुई है।मानव आज मानव से नफरत कर रहा है।दूसरों का बुरा कर रहा है उनके जीवन में अन्धकार कर रहा है पर अगर खुदा को रोशनी होे मंजूर तो आंधियों में भी चिराग जलते हेंैै।आज हालात ऐसे हैं कि लोग अपने निजि स्वार्थो के लिए दूसरों को नुक्सान पहुचाने से भी नहीं चुकते जब अल्लाह की आंधी जुल्मों के खिलाफ चलती है तो पापियों का सर्वनाश होता है।चिथड़े उड़ जातें है उस फितरती मानव के जो नराधम बन कर लोगों का दमन करता है। किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए हर आदमी से समानता का व्यवहार करना चाहिए।कभी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए।वक्त बदलते देर नहीं लगती भाग्य किसी को भी अर्श पर ले जाता है और किसी को फर्श पर ले जाता है इसलिए मानव को मर्यादा में रहकर ही हर काम करना चाहिए।आदमी को किसी के साथ भी धोखा नहीं करना चाहिए।किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।क्योंकि एक बार विश्वास टूट जाता तो फिर से कायम कर पाना मुश्किल हो जाता है।ऐसे मानव का जीवन व्यर्थ है जो दूसरों को दुख देता है।गरीब आदमी को कभी नहीं सताना चाहिए अगर गरीब की बददुआ लग जाए तो बड़े से बड़ा धराशायी हो जाता है। भूखे को रोटी और प्यासे को पानी पिलाना चाहिए।आज का मानव पैसों से बैंक के खातों को तो भर रहा है मगर उपर का खाता खाली है इसलिए प्रत्येक साधन-संपन्न मानव को लाचार व गरीब लोागों को दान पुण्य करना चाहिए। मानव को एकजुट होकर हर मानव का सहायता करनी चाहिए,। ईमानदार व  सच्चे मानव की कभी हार नहीं होती।समय बलवान होता है।पाई-पाई का हिसाब मांगता है।भेदभाव मत करों एक उंची सोच रखो।प्रतिभा को आगे बढ़ाना चाहिए।प्रतिभाओ पर कब तक बंदिशें लगाओगे।प्रतिभाएं चमकती रहेगी।
(लेखक-नरेन्द्र भारती )

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