वर्ष 2020 के प्रारम्भ से हीं विश्वस्तर पर कोहराम मचाने वाले कोरोना के संक्रमण से सम्पूर्ण देश ग्रसित रहा जिसका भय चारों ओर आज तक व्याप्त है। इस संक्रमक वायरस का इतना विपरीत प्रभाव रहा जिसने देश की अर्थ व्यवस्था की कमर तोड़ दी। इस तरह का संक्रमण आज तक नहीं देखा गया जिसने रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला हो । जिसने हमारी चहल पहल जिंदगीं को रौंद कर रख दिया हो । जिसके भय से एक दुसरे से मिलना जूलना बंद तो हुआ हीं, घर की चैखट पार करना भी मुश्किल हो गया। जिसने बात -चीत से लेकर खाने -पीने तक सभी का मुंह जाॅब दिया हो। रेल बस यातायात के समस्त साधन बंद हो गये। जिसने कई घर के नेवाले छिन लिये हो। बाजार उद्योग बंद होने से अनेक बेरोजगार हो गये। जिसके चलते पर्व त्योहार फीका पड़ गया हो। मंदिर के कपाट तक बंद हो गये हो। इस तरह का भय आज तक किसी भी संक्रामक वायरस के चलते नहीं बना जो कोरोना काल में देखा गया। यह भय वर्ष के अंतिम क्षण तक बना रहा भले इस वायरस के संग- संग जीने की आदत डालने की प्रक्रिया शुरू हो गई हो। वर्ष के अंतिम दौर में कोरोना से बचाव हेतु आगामी वर्ष के प्रारम्भ में वैक्सीन आने की बात उजागर होने से आमजन में इस संक्रमण से उत्पन्न भय से कुछ राहत मिलने उम्मीद अवश्य जगी है। पर यह वषै शुरू से लेकर अंत तक कोरोना के भय से ग्रसित ही रहा।
वर्ष 2020 में केन्द्र सरकार की नई कृषि नीति को लेकर किसानों में आक्रोश देखा गया। जिसके तहत नीति के विरोध में किसान कड़ाके की सर्दी के बीच सड़क पर आंदोलनरत है। किसान इस नई कृषि नीति को अहितकारी बताते हुए सरकार से नीति को वापिस लेने की मांग पर अड़े हुये है पर सरकार इस नीति को किसानों के हित में बतलाते हुये वापिस नहीं लेने के पक्ष में दिखलाई दे रही है। जिससे देश में इस नई कृषि नीति के चलते किसान एवं सरकार के बीच तनाव का महौल बना हुआ है। सरकार इस नीति में कुछ बदलाव के पक्ष में तो है पर आक्रोशित किसान इसे मानने को तैयार नहीं। इसके विरोध में किसानों ने एक दिन भारत बंद भी किया । आज भी किसान इसके विरोध में अड़े हुये है।
वर्ष 2020 राजनीतिक चहल पहल के बीच भी गुजरा जहां बिहार विधान सभा चुनाव में वर्तमान सरकार संकट के बीच दिखाई देती रही। इस चुनाव में केन्द्र की सत्ता सर्वोपरि नजर आई। आगामी वर्ष में पं. बंगाल में होने वाले विधान सभा चुनाव पर केन्द्र सत्ताधारी दल की पैनी नजर इस वर्ष के अंतराल मेंनजर आ रही है। कोरोना क भय इस तरह के राजनीतिक चहल पहल के बीच भी बना हुआ नजर आ रहा है।
(लेखक- डॉ. भरत मिश्र प्राची )
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भय एवं आक्रोश के बीच से गुजर गया यह वर्ष!