नई दिल्ली । सामान्यता नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद अधिकतर लोग सुकून से जिंदगी गुजारना चाहते हैं, वहीं कुछ लोग अपने सपने को पूरा करने के लिए जुट जाते हैं। ऐसा ही एक वाक्या ओडिशा में हुआ है, जहां एक रिटायर्ड बैंककर्मी ने अपनी पूरी जिंदगी बैंक में गुजार दी और अब रिटायरमेंट के बाद वह एक मेडिकल स्टुडेंट हैं। ओडिशा के 64 वर्षीय जय किशोर प्रधान ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए जाने वाली एंट्रेंस परीक्षा नीट को क्रैक कर एमबीबीएस के पहले साल में दाखिला लिया है। वह एसबीआई बैंक में कर्मचारी थे। प्रधान का कहना है कि जब तक जिंदा हैं, दूसरों की सेवा करते रहना चाहते हैं। बता दें कि किसी 64 वर्षीय शख्स का एमबीबीएस में दाखिला लेना भारतीय मेडिकल एजुकेशन इतिहास में दुर्लभ क्षण है।
एसबीआई में काम कर चुके प्रधान दिव्यांगता आरक्षण श्रेणी में सरकारी वीर सुरेंद्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (वीआईएमएसएआर) में प्रवेश लिया है। वीआईएमएसएआर के निदेशक ललित मेहर का कहना है कि यह देश के स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में दुर्लभ मौका है और प्रधान ने उम्र की इस अवस्था में मेडिकल स्टूडेंट के रूप में प्रवेश लेकर एक उदाहरण पेश किया है। प्रधान इस साल सितंबर में नेशनल एलिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (नीट) की परीक्षा में शामिल हुए थे जिसमें ऊपरी आयु सीमा नहीं निर्धारित की गई है। उन्होंने परीक्षा में बेहतर रैंक हासिल कर वीआईएमएसएआर के क्वालिफाई कर लिया। बारगढ़ के एक निवासी ने कहा कि हाल ही में उनकी जुड़वां बेटियों में एक की मौत ने उन्हें नीट की परीक्षा में शामिल होने और एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधान ने 64 वर्ष की उम्र में प्रवेश लिया है और 70 साल की उम्र तक उनका एमबीबीएस का कोर्स पूरा होगा।
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रिटायर्ड बैंककर्मी ने एमबीबीएस में लिया एडमिशन , भारतीय मेडिकल एजुकेशन इतिहास में दुर्लभ क्षण