मप्र विधानसभा चुनाव के बाद अब आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के बुजुर्ग नेता मुसीबत बन रहे हैं। नेताओं के बगावती तेवरों के चलते ही विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पडा है, इसके बावजूद भाजपा ऐसे नेताओं को काबू में करने में असफल रही है। अब लोकसभा चुनाव सिर पर है और एक बार फिर पार्टी के बुजुर्ग नेता चुनावी समर में उतरने के लिए ताल ठोक रहे हैं। वहीं कांग्रेस इसे लेकर भाजपा पर आरोप लगाने से नहीं चूक रही है। प्रदेश के पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया पहले ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर लगातार अपने बयानों से पार्टी की मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं, वहीं अब पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता कुसुम महदेले ने भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है। महदेले ने पार्टी से कहा है कि या तो मुझे टिकट दिया जाए या फिर राज्यपाल बनाया जाए। महदेले ने खजुराहो या दमोह से टिकट की दावेदारी ठोककर दोनों सीटों पर पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महदेले का टिकट काट दिया था। इससे वे अपनी नाराजगी जता चुकी हैं। अब उन्होंने लोकसभा सीट के लिए टिकट मांगा है। उनका कहना है कि पार्टी में बुजुर्ग नेताओं का सम्मान होना चाहिए।
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कुछ दिन शांत रहने के बाद एक बार फिर पार्टी नेताओं पर हमला बोला है। उन्होंने वरिष्ठ नेता रामकृष्ण कुसमरिया के कांग्रेस में शामिल होने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि कुसमरिया के साथ पार्टी ने ठीक नहीं किया। गौरतलब है कि कुसमरिया ने सार्वजनिक तौर पर यह कहा है कि उन्हें कांग्रेस में शामिल होने का सुझाव बाबूलाल गौर ने ही दिया था। संगठन महामंत्री रामलाल और लोकसभा चुनाव के लिए मप्र के प्रभारी स्वतंत्रदेव सिंह ने बाबूलाल गौर से मुलाकात पर पार्टी के खिलाफ बयानबाजी न करने की सलाह दी थी। इसके बाद गौर कुछ समय तो खामोश रहे, लेकिन अब फिर उन्होंने कुसमरिया के कांग्रेस में शामिल होने के फैसले को सही ठहराकर खामोशी तोड़ दी है। अब नई मुसीबत के तौर पर कुसुम मेहदेले ने भी लोकसभा चुनाव में टिकट देने या फिर राज्यपाल बनाने की मांग रखकर भाजपा को संकट में डाल दिया है।
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लोस चुनाव: भाजपा के बुजुर्ग नेता ठोक रहे ताल - नहीं थम रहे बगावती तेवर, बुजुर्ग नेता बने पार्टी के लिए मुसीबत