सदियों से जग करता आया नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन
नई आशा ले करता आया पूजन आराधन विनत नमन
सबके मन में है उत्सुकता नववर्ष तुम्हारे आने की
सुख प्रद नवीनता की खुशियां अपने संग संग में लाने की
आओ दे जाओ नवल दृष्टि इस जग में रहने वालों को
बेमतलब छोटे स्वार्थो हित आपस में उलझने वालों को
आओ लेकर नूतन प्रकाश इस जग को स्वर्ग बनाने को
जो दीन दुखी शोषित वंचित उन सब को सुखी बनाने को
आवश्यक लगता, हो परिवर्तन जन मन के सोच विचारों में
विद्वेश ना हो सद्भाव बढे आपस के सब व्यवहारों में
उन्नति हो सबको मिले सफलता सब शुभ कारोबारों में
आनंद दायिनी खबरें ही पढ़ने को मिले अखबारों में
जो कामनाएं पूरी न हुई उनको अब नव आकाश मिले
जो बंद अंधेरे कमरे हैं उनको सुखदाई प्रकाश मिले
जो विजय न पाए उनके माथे पर विजय का हो चंदन
सब जग को सुखप्रद शांति मिले नववर्ष तुम्हारा अभिनंदन।
(लेखक- प्रोफ़ेसर चित्र भूषण श्रीवास्तव)