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अनजाने मेँ बच्‍चे सीख लेते हैं कुछ ऐसी बुरी आदतें 

अनजाने मेँ बच्‍चे सीख लेते हैं कुछ ऐसी बुरी आदतें 

प्रकृति  और स्वाभाव मेँ अंतर होता हैं। प्रकृति जन्म से होती हैं जबकि स्वाभाव संगत से या देखादेखी या अनजाने मेँ बन जाती हैं। पहले अपने आप
माता पिता  बनना कोई आसान बात नहीं है, हर समय बच्‍चे की देखभाल के साथ-साथ उसे कई बुरी चीजों और आदतों से बचाने के लिए सावधान रहना पड़ता है। मां-बाप की नाक के नीचे ही बच्‍चे सीख लेते हैं कुछ ऐसी बुरी आदतें------
बच्‍चे हमेशा दूसरों को देखकर सीखते हैं। स्‍कूल, टीवी, इंटरनेट और परिवार एवं दोस्‍तों से बच्‍चे रोज कुछ नया सीखते रहते हैं, अब ऐसे में बच्‍चे कुछ अच्‍छा सीखते हैं तो कुछ बुरी आदतें भी ले ही लेते हैं जिनके बारे में माता पिता को पता तक नहीं चलता है।ये कुछ ऐसी बुरी आदतें होती हैं जो बच्‍चों को एक बार लग जाएं तो उन्‍हें छुड़वाना बहुत मु‍श्किल हो जाता है।  आपको बच्‍चों की ऐसी ही कुछ बुरी आदतों को   जिन्‍हें समय पर नियंत्रित  करना जरूरी होता है।
दूसरे बच्‍चों को देखकर आपके बच्‍चे में भी ये बुरी आदत आ सकती है। हालांकि, बच्‍चों को तो ये बिल्‍कुल पता नहीं होता कि नाक में उंगली देना एक बुरी आदत है।ये आपकी जिम्‍मेदारी है कि आप अपने बच्‍चे को समझाएं कि उसका ऐसा करना सही नहीं है और नाक को साफ करने के लिए उसे टिश्‍यू का इस्‍तेमाल करना चाहिए और उसके बाद हाथ जरूर धोने चाहिए।
छोटे बच्‍चे गालियां देना भी सीख लेते हैं और उनके मुंह से निकली गालियां भी अच्छी  लगती हैं। अक्‍सर आपने भी देखा होगा कि बच्‍चे जब गालियां देते हैं तो उनकी क्‍यूटनेस पर आसपास के लोग खूब हंसते और प्‍यार लुटाते हैं। लेकिन पैरेंट्स होने के नाते आपको ये समझना चाहिए कि बच्‍चों का इतनी कम उम्र में ही गालियां देना या गलत तरीके से बात करना सही नहीं होता है।बच्‍चों को ये आदत स्‍कूल या कहीं से भी मिल सकती है। आपको बच्‍चे को समझाना है कि इस तरह से बात करना सही नहीं है और उसे जल्‍द से जल्‍द इसे छोड़ना होगा।
बच्‍चों का अंगूठा चूसना माता-पिता के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्‍या है। एक बार बच्‍चे को अंगूठा चूसने की आदत लग जाए तो फिर उसे छुड़वाना मुश्किल हो जाता है। हो सकता है कि बच्‍चा टीनएज तक इस आदत को न छोड़े। इसलिए जितना जल्‍दी हो सके बच्‍चे की अंगूठा चूसने की आदत को छुड़वा दें।
कई बच्‍चे स्‍ट्रेस में आने पर नाखून चबाने लगते हैं। आमतौर पर बच्‍चें में ये आदत 10 साल की उम्र के आसपास शुरू होती है। अगर आप बच्‍चों की इस आदत को छुड़वा भी दें तो कुछ समय बाद ये वापस आ सकती है। ऐसा माना जाता है कि 20 साल की उम्र तक नाखून चबाने की आदत रहती है।अपने बच्‍चे की नाखून चबाने की आदत को सही समय पर छुड़वाने के लिए उसके नाखूनों पर लोशन वगैरह लगा दें ताकि इसका टेस्‍ट बच्‍चे को परेशान कर दे और वो मुंह में नाखून लेना ही बंद कर दे।
आज के समय में बड़ों ही नहीं बल्कि बच्‍चों को भी फोन से दूर रखना बहुत मुश्किल है। बच्‍चे फोन पर गेम्‍स खेलते हैं, कार्टून देखते हैं और अपने पसंदीदा शोज भी देखते हैं। हालांकि, बच्‍चों के लिए फोन इस्‍तेमाल करने का एक निर्धारित समय होना चाहिए।आप बच्‍चे को टेक्‍नोलोजी से तो दूर नहीं रख सकते, लेकिन इसके इस्‍तेमाल के समय को तो जरूरत मॉनिटर कर सकते हैं।
बड़ों की तरह बच्‍चे भी मोबाइल से दूर रहना बिल्‍कुल पसंद नहीं करते हैं। हालांकि, बच्‍चों के लिए फोन इस्‍तेमाल करना नुकसानदायक होता है।   बच्‍चों को मोबाइल से दूर रखने के तरीके
आजकल सांस लेने जितना ही जरूरी स्‍मार्टफोन भी हो गए हैं। अब तो बच्‍चों को भी मोबाइल फोन इस्‍तेमाल करना बहुत अच्छा लगता है। हालांकि, हम सभी जानते हैं कि बच्‍चों के लिए मोबाइल फोन का इस्‍तेमाल कितना खतरनाक होता है।
अगर आप भी अपने बच्‍चे के हाथ में स्‍मार्टफोन थमा देते हैं या आपका बच्‍चा फोन से दूर जाना बिल्‍कुल पसंद नहीं करता तो इस आदत के कारण आपके बच्‍चे को बहुत नुकसान हो सकता है।  आप आसानी से अपने बच्‍चों को मोबाइल फोन से दूर रख सकते हैं।
बाहर जाने से रोकने पर बच्‍चे घर में ही अपनी पसंद के खेल ढूंढ लेते हैं। कुछ बच्‍चे खिलौनों से खेलते हैं तो कुछ स्‍मार्टफोन को ही अपना दोस्‍त बना लेते हैं। घर पर रहने पर आपके बच्‍चे को मोबाइल की लत लग जाए, इससे तो अच्‍छा होगा कि आप उसे रोज पार्क ले जाएं और वहां उसे उसके दोस्‍तों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें।
अब स्‍मार्टफोन हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्‍सा हो गए हैं। बच्‍चों से भी फोन को दूर रखना आसान बात नहीं है। कभी न कभी तो बच्‍चे मोबाइल इस्‍तेमाल करना शुरू करेंगे ही और उस समय उन्‍हें इसकी आदत हो जाएगी।इससे बेहतर होगा कि आप बच्‍चे को अपना फोन इस्‍तेमाल करने के लिए दें, लेकिन साथ ही उसे ये भी समझाएं कि उसे सिर्फ एक सीमित समय के लिए ही फोन इस्‍तेमाल करने को दिया गया है। खाना खाते समय, पढ़ते समय, सोते समय या बाहर जाने या खेलने के समय पर स्‍मार्टफोन न दें।
बच्‍चे से बात करें
स्‍मार्टफोन के चमकीले रंग और एनिमेशन बच्‍चों को अपनी ओर खींचते हैं। बच्‍चों को फोन से सेहत को होने वाले नुकसानों के बारे में समझाएं। उससे बात करें या वीडियो वगैरह दिखाकर उसे यह समझाने की कोशिश करें कि फोन का इस्‍तेमाल बच्‍चों के लिए हानिकारक होता है।
हर बार फोन इस्‍तेमाल करते हुए तो आप अपने बच्‍चे के पास मौजूद नहीं हो सकते हैं। ऐसे में टेक्‍नोलॉजी आपकी मदद कर सकती है। अपने फोन में पासवर्ड लगाकर रखें ताकि आपकी गैर-मौजूदगी में वो फोन इस्‍तेमाल न कर सके।
बच्‍चों के लिए प्रकृति नैचुरल थेरेपी का काम करती है और इससे आपके बच्‍चे फोन से भी दूर रह सकते हैं। अपने बच्‍चों को बाहर किसी हरी-भरी जगह या पार्क वगैरह घुमाने ले जाएं। इससे बच्‍चों को तरोताजा भी महसूस होगा। बच्‍चे अपने आप ही वहां अपनी पसंद का कोई गेम ढूंढ लेंगे।
सभी पैरेंट्स अपने काम और जिम्‍मेदारियों में बहुत व्‍यस्‍त रहते हैं लेकिन फिर भी अपने बच्‍चे के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है। बच्‍चों के साथ बोर्ड गेम खेलें या कुकिंग या बागवानी जैसे कामों में उनकी मदद लें। आप बच्‍चों को गाना सीखने, किताबें पढ़ने या पेंटिंग करने की हॉबी भी सिखा सकती हैं।
इन तरीकों से बच्‍चों को फोन से दूर रखना आपके लिए काफी आसान हो सकता है।
बड़ों की तरह बच्‍चे भी मोबाइल से दूर रहना बिल्‍कुल पसंद नहीं करते हैं। हालांकि, बच्‍चों के लिए फोन इस्‍तेमाल करना नुकसानदायक होता है।
(लेखक--वैद्य अरविन्द प्रेमचंद जैन )

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