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 अधिकारियों ने कहा कांग्रेस से चूक हो गई

 अधिकारियों ने कहा कांग्रेस से चूक हो गई

नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में इस समय नए समय की राजनीति चल रही है और पुराने र्ढे पर चलने वाली कांग्रेस इसमें चूक रही है। ऐसा ही कुछ बीते दिनों उत्तरी दिल्ली निगम की सदन की बैठक में हुआ, जहां निगम के फंड को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी आप पूरी तैयारी के साथ पहुंचे थे। एक ओर जहां आप ने दर्शक दीर्घा से कथित घोटाले को लेकर पोस्टर लहरा दिए तो वहीं भाजपा के पार्षद भी 13 हजार करोड़ के फंड की मांग वाली तख्तियां लेकर खड़े हो गए। इसे देख कांग्रेस के पार्षदों के पास कोई जवाब नहीं था तो कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल सदन की मर्यादा और परंपरा की दुहाई देने लग गए। उनकी मांग थी कि ऐसे सदन में राजनीति नहीं होनी चाहिए। इसको लेकर अधिकारियों में चर्चा शुरू हो गई कि कांग्रेस से चूक हो गई, इसलिए अब मर्यादाओं की दुहाई दी जा रही है। बजट में हर किसी को नई घोषणाओं की उम्मीद होती है, लेकिन खराब आर्थिक हालत का सामना कर रहे उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के नए बजट में पुराना हिसाब ही देखने को मिल रहा है। हर वर्ष समितियों के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन बदल जाते हैं, लेकिन उनकी उपलब्धियों में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। शिक्षा से लेकर निर्माण और स्वास्थ्य समितियों में दो-तीन वर्ष पुरानी उपलब्धियों को ही दोहराया जा रहा है। ऐसा भी पहली बार हो रहा है। उत्तरी दिल्ली निगम की निर्माण समिति में रानी झांसी फ्लाईओवर तो दक्षिणी निगम की उद्यान समिति में वेस्ट टू वंडर पार्क को बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है। बजट की कमी के चलते निगम के अधिकारी और नेताओं के पास नई घोषणाओं का अभाव है। इसलिए नेता भी पुरानी उपलब्धियों से मेज थपथपवा रहे हैं, जबकि उनसे पूर्व के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन की भी यही उपलब्धियां थीं। तीनों निगमों के महापौर के मुख्यमंत्री आवास का धरना चर्चित रहा। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं के बिना इजाजत के आने पर तो पांबदी थी, लेकिन दूसरी पार्टी के नेता आसानी से आ सकते थे। इसी बीच कांग्रेस की तिमारपुर से पार्षद अमरलता सांगवान को उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश के साथ चाय पीने की कीमत अब तक चुकानी पड़ रही है। महापौर ने खुद इसकी जानकारी सार्वजनिक की थी कि सांगवान उनके लिए चाय लेकर आई थीं। प्रदेश कांग्रेस को जब इसकी जानकारी लगी तो कांग्रेस ने इस घटना को लेकर सांगवान से जवाब मांग लिया। दरअसल, अगले वर्ष चुनाव होने हैं, इसलिए दल-बदल की संभावना ज्यादा है। इसलिए वे महापौर के साथ दिखीं तो कांग्रेसी नेताओं की धड़कनें बढ़ गईं। कांग्रेस की कोशिश अपने सभी नेताओं को साधे रखने की है। हालांकि सांगवान ने सफाई दी है कि वे अपने क्षेत्र के काम के लिए वहां गई थीं।
 

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