बस्ती । बस्ती से किसान आन्दोलन में हिस्सा लेने दिल्ली जा रहे किसानों, मजदूरों और भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों को पुलिस ने रेलवे स्टेशन से हिरासत में ले लिया। उन्हें पुलिस प्रशासन ने पहले तो पुलिस लाइन पहुंचाया और रविवार की रात लगभग 1 बजे उन्हें बस्ती सदर तहसील में रोके रखा गया है। किसान मांग कर रहे हैं कि या तो उन्हें दिल्ली जाने दिया जाय या मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया जाय।
भाकियू मण्डल उपाध्यक्ष दीवान चन्द पटेल ने कहा कि केन्द्र और प्रदेश की सरकार किसानों पर जुल्म और अत्याचार करके उन्हें मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं कर सकती। मण्डल अध्यक्ष सुभाष किसान ने कहा कि प्रशासन यह नहीं बता रहा है कि किसानों मजदूरों को किस अपराध में तहसील में रोके रखा गया है। यहीं नहीं प्रशासन किसानों को भोजन और कडाके की ठंड में सोने की समुचित व्यवस्था और अलाव तक का इंतजाम करने में विफल है। कहा कि केन्द्र सरकार के इशारे पर प्रदेश सरकार किसानों, मजदूरों को उनके आन्दोलन करने के अधिकार से षड़यंत्रपूर्वक वंचित किया जा रहा है जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि लोकतांत्रिक तरीके से आन्दोलन को रोका नहीं जा सकता है। कहा कि सरकार तीनों काले कानूनों को वापस लेकर एम.एस.पी. की कानूनी गारंटी देने के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार तत्काल गन्ना मूल्य घोषित कर बकाया गन्ना मूल्य भुगतान कराये अन्यथा आन्दोलन और तेज किया जायेगा।
भाकियू जिलाध्यक्ष जयराम चौधरी, राम मनोहर, मातेन्द चौधरी, डा. आर.पी. चौधरी ने बताया कि सदर तहसील में बंधु चौधरी, हरिपाल, रामचन्दर सिंह, शिवशंकर पाण्डेय, राजेन्द्र, नायब चौधरी, केशवराम वर्मा, राम कृष्ण, घनश्याम, फूलचन्द, श्याम नरायन सिंह, घनश्याम, नाटे चौधरी, राम सुरेमन, त्रिवेनी, शिवमूरत, रामनरेश चौधरी के साथ ही 500 से अधिक किसान, मजदूर, भाकियू नेता अघोषित रूप से रोके गये हैं। इस कार्रवाई से उनमें रोष है।
रीजनल नार्थ
दिल्ली जा रहे 500 से अधिक किसान मजदूर अघोषित रूप से हिरासत में बोले किसान नेता या तो दिल्ली जाने दीजिये या जेल भेजिये कडाके की ठंड में तहसील परिसर में खाने, सोने का इंतजाम नहीं