टाटा संस से 1500 करोड़ से ज्यादा की टैक्स डिमांड की जा सकती है। मामले से वाकिफ एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि जीएसटी अथॉरिटीज एक जांच कर रही हैं, जिससे टैक्स डिमांड के आसार बन रहे हैं। डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस 2017 में टाटा संस की ओर से एनटीटी डोकोमो को किए गए 1.2 अरब डॉलर के भुगतान की जांच कर रहा है। यह भुगतान दोनों के बीच तीन साल चले विवाद में सुलह होने के बाद किया गया था। दोनों के बीच विवाद टेलिकॉम जॉइंट वेंचर टाटा टेलीसर्विसेज से एनटीटी डोकोमो के निकल जाने से जुड़ा था। सेटलमेंट के तहत दोनों पक्षों ने आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के आधार पर कदम बढ़ाने का फैसला किया था। उस अवॉर्ड में कहा गया था कि टाटा ग्रुप जेवी में जापानी पार्टनर की शेयरहोल्डिंग के लिए भुगतान करेगा ताकि वह एग्जिट कर सके। अधिकारी ने बताया कि जीएसटी अथॉरिटीज इस सेटलमेंट से जुड़े पेमेंट की जांच कर रही हैं।
एक अन्य अधिकारी ने बताया, जांच जारी है। टाटा संस टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। इस मामले में कमेंट करने से मना कर दिया। ग्रुप के एक अधिकारी ने कहा कि टाटा संस ने इस पैमेंट के मामले में लागू होने वाले सभी कानूनों का पालन किया है। टैक्स अथॉरिटीज ने पैरा 5, 2(ई) के शेड्यूल II को आधार बनाया है, जिसमें कहा गया है,कोई काम नहीं करने या किसी हरकत या स्थिति को बर्दाश्त करने या कोई काम करने की शर्त मानने के मामले में 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगेगा। ऐसा लग रहा है कि अथॉरिटीज ने यह राय बनाई है कि दोनों पक्षों ने अपने कॉन्ट्रैक्ट के प्रावधानों के अनुसार पैसे के बदले कुछ करने पर सहमति जताई थी। पीडब्ल्यूसी के नेशनल लीडर (इनडायरेक्ट टैक्स) प्रतीक जैन ने कहा कि इस केस में संभवत: यह प्रावधान लागू नहीं होगा क्योंकि सेटलमेंट तो कोर्ट की ओर से दिए गए आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के आधार पर हुआ था।
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टाटा संस को देना होगा 1500 करोड़ रुपये टैक्स!