जम्मू । कश्मीर के आतंकवाद ने खुशबू को भी कैद कर रखा था। धारा 370 हटने के सवा साल बाद अब खुशबू आजाद होने लगी है। पिछले 30 साल में पहली बार कानपुर-दिल्ली के केसर कारोबारी घाटी तक जाकर केसर के सौदे कर पा रहे हैं। 'टेररिस्ट टैक्स' तकरीबन खत्म होने से केसर की कीमतें ऐतिहासिक रूप से घटी हैं। ढाई लाख रुपये किलो बिकने वाली केसर 90 हजार के दाम तक आ गई है। देश में केसर का उत्पादन केवल कश्मीर में होता है। दुनिया में कश्मीरी केसर सर्वोत्तम मानी जाती है। इसके रंग और खुशबू का जलवा भारत के अलावा, यूरोप, अमेरिका, अरब मुल्क हर कहीं है। अस्सी के दशक से घाटी में आतंकी लगातार खून बहा रहे थे, लिहाजा केसर वहीं कैद थी। आतंकियों को भारी चौथ दिए बगैर केसर कारोबार होता ही नहीं था। किसी बाहरी कारोबारी के लिए यह संभव नहीं था। केवल कश्मीरी कारोबारी के माध्यम से ही केसर घाटी से बाहर निकलती थी। आतंकियों के पहरे और 'टेररिस्ट टैक्स' की वजह से केसर का भाव 2.25 लाख से 2.50 लाख रुपये किलो सामान्य तौर पर रहता था। लॉकडाउन के दौरान केसर इस भाव में बिक रही थी। बीते नवरात्र में केसर 1.75 लाख रुपये में आ गिरी। दिसंबर के तीसरे हफ्ते से पहली बार केसर 90 हजार रुपये प्रति किलो आ गिरी है। तीस साल बाद पहली बार कानपुर और दिल्ली के व्यापारी सीधे कश्मीर जाकर केसर का सौदा कर रहे हैं। द किराना मर्चेन्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश बाजपेयी ने कहा, आतंकी फंड के कारण केसर के रेट अनाप-शनाप थे। मोलभाव करना गुनाह था। अब हालात बदले तो केसर का वास्तविक व्यापार शुरू हुआ है, जिसका सीधा असर भाव पर पड़ा है। केसर कारोबारी शारिक अहमद ने कहा, "पहले केसर कई चैनल को पार करते हुए हमारे पास पहुंचती थी। इस साल माल का सौदा सीधे किसानों से किया है। फसल भी अच्छी है और घाटी में दर्जनों कारोबारी माल खरीद रहे हैं। इस बीच ईरान की नागिन केसर ने भी बाजार में कदम रख दिए हैं। नयागंज के केसर कारोबारी ब्रजेश पोरवाल ने बताया कि स्वाद और रंग में कश्मीरी केसर को चुनौती दे रही नागिन केसर महज 80 हजार रुपये किलो है। स्पेनिशन केसर भी नया विकल्प बनकर तैयार है। ये 1.35 लाख रुपये की एक किलो है।
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जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटा तो टेररिस्ट टैक्स से आजाद हुई केसर