पटना। बिहार में दही चूड़ा के मौके पर पॉलिटिक्स हमेशा से चर्चा में रहती आई है। इस बार जेडीयू के पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह के आवास पर दही- चूड़ा के आयोजन में नई सियासी खिचड़ी पकती दिखी। यहां देखने को मिला कि जेडीयू के जिन नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर दी थी, उनका लगाव फिर से जेडीयू की तरफ होने लगा है। ऐसे कई नेता इस दही-चूड़ा पार्टी में पहुंचे थे। यहां पर इन नेताओं ने जेडीयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और जेडीयू के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष से मुकालात की। जेडीयू से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले रणविजय शाही, मंजीत सिंह, शैलेंद्र प्रताप की मुलाक़ात जब वशिष्ठ नारायण सिंह से हुई तो आपसी प्रेम छलक पड़ा और उनकी आपसी बातचीत ऐसे माहौल में हुई मानो कभी अलग हुए ही नहीं।
ख़बर है कि ऐसे कई और नेता हैं जो चुनाव के वक़्त बाग़ी हुए थे, लेकिन अब उनकी घर वापसी की इच्छा जग गई है। मंजीत सिंह और रणविजय सिंह ने इसका इशारा भी कर दिया है। मंजीत सिंह ने कहा की नीतीश कुमार मेरे राजनीतिक पिता जैसे हैं और चुनाव के वक़्त कुछ ऐसी परिस्थितियां हुई थीं, जिसकी वजह से मुझे यह कदम उठाना पड़ा, लेकिन राजनीति में कुछ भी सम्भव है। वहीं रण विजय सिंह कहते हैं मेरा टिकट काटा गया था, जिससे थोड़ी नाराज़गी थी, लेकिन राजनीतिक सम्भावनाओं का खेल हैं कुछ भी असम्भव नहीं है। जय कुमार सिंह भी बेहद उत्साहित दिखे और कहा कि खरमास ख़त्म हो गया है तो राजनिति तो होगी ही। जो पुराने साथी थे अब वापस आने लगे हैं तो हर्ज़ क्या है। वहीं जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने भी इशारा किया कि अगर ऐसे नेता प्रायश्चित करते हैं तो वापसी के लिए सोचा जा सकता है।
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पटना में पूर्व मंत्री की दही-चूड़ा पार्टी में जुटे जेडीयू के बागी नेता -रणविजय शाही, मंजीत सिंह, शैलेंद्र प्रताप ने दिए घर वापसी के संकेत