भारत में कोरोना से बचाव हेतु वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया शुरू होने से देशभर में खुशी की लहर देखी जा सकती है। को वैक्सीन आने का इंतजार देशवासियों को कई दिन से हो रहा था। 16 जनवरी 2021 का दिन इस दिशा में सदैव यादगार बन जायेगा जिस दिन से इस मानव विध्वंशकारी महामारी से लड़ने की ताकत वैक्सीन के रूप में देशवासियों को मिली है। जहां इस वैक्सीन की तैयारी में विश्व के अनेक देश क्रियाशील रहे, इस दिशा में हमारा देश भारत भी किसी से पीछे नहीं रहा। जहां देश के वैज्ञानिकों ने अथक प्रयास कर कोरोना से लड़ने की वैक्सीन तैयार कर ली जिसे प्रथम चरण के प्रथम दिन में देश के करीब 3 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को यह वैक्सीन लगाई गई। इस वैक्सीन को लगाने में हर तरह की सतर्कता भी सरकार की ओर से बरती जा रही है। इस वैक्सीन के आने से पूर्व कई तरह की भ्रांतियां भी आमजन के बीच फैलाई गई जिसे स्वास्थ्य कर्मियों में लगाने की शुरूआत कर आमजन के बीच इस वैक्सीन से होने वाले नुकसान के डर से भयमुक्त होने में आत्मबल मिलेगा।
जब से कोरोना काल देश में आया है तब से देश का हर नागरिक इस महामारी से बचाव का रास्ता ढ़ूढ़ता रहा है। इस महामारी ने देशभर में ऐसा मृत्यु तांडव किया जिससे देश का हर नागरिक भयभीत हो चला। इस महामारी ने हमारे रिश्ते को बुरी तरह से प्रभावित किया जहां प्रेम से मिलने का संसार हीं मौन हो गया। एक दूसरे से आपस में मेलजुल का भाव हीं ठप्प हो गया। सांस्कृतिक, घार्मिक हर तरह के कार्यक्रम ठप्प हो गये। रोजगार बंद होने से आमजनजीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। दैनिक दिनचर्या बिगड़ गई। खुली सांस लेना मुश्किल हो गया। एक दूसरे का दिया सामान भी छूने से डर लगने लगा। इस तरह की महामारी आज तक नहीं आई जिसने जीवनक्रम हीं बदल दिया हो। वैसे यह महामारी विश्वभर में फैली हुई है और इससे बचाव के रास्ते विश्वस्तर पर जारी है। विदेश में इससे बचाव के टीके बनने की भी और बाजार में आने की चर्चा जोरशोर से है। इस वैक्सीन को लेकर गोरखधंधा होने की भी खबर है जिससे बचना बहुत जरूरी है।
इस तरह के बदलते परिवेश में हमारा देश कोरोना से बचाव के रास्ते में आत्मनिर्भर होता नजर आ रहा है। यह इस देश के लिये गौरव की बात है। इस तरह के महौल में आज जरूरत है कि सभी एक साथ होकर कोरोना को हराने का प्रयास करें। इस वैक्सीन को लेकर देश में गोरखधंधा शुरू होने की संभावना है। लोगों को भ्रमित करने का भी क्रम चल सकता है। इस तरह के उभरते परिवेश से देशवासियों को अलग कर ही कोरोना की जंग जीती जा सकती है। इस वैक्सीन के आने से देश भर में जो जीने एवं संग - संग चलने की उम्मीद जगी है, उसकी सफलता विश्वास एवं जागरूकता पर निर्भर है।
-स्वतंत्र पत्रकार
(लेखक- डॉ. भरत मिश्र प्राची)
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वैक्सीन में विश्वास एवं जागरूकता से लौटेंगे खुशी के दिन!