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जैन धर्म में पूजा में दीपक का महत्व 

जैन धर्म में पूजा में दीपक का महत्व 

जैन धर्म में नित्य पूजा अष्ट द्रव्य से होती हैं - जलम ,चन्दनम ,अक्षतं ,पुष्पम ,नैवैध्यं ,दीपम ,धूपं ,फलम। जिसमे दीपम का महत्व इस प्रकार बताया गया हैं ---
जग में जड़ दीपक को अब तक समझा था उजियारा । 
झंझा के एक झकोरे में जो बनता घोर तिमिर कारा । 
अतएव प्रभो! यह नश्वर डीप ,समर्पण करने आया हूँ , 
तेरी अंतर लौ से निज अंतर दीप जलाने आया हूँ । 
ॐ ह्रींम श्री देव शास्त्र गुरुभ्यो अज्ञान विनाशनाय दीपम निर्वपामीति स्वाहा
इस प्रकार दीपक हमारे भीतर बैठा अंधकार को हटाने के लिए भी होता हैं इसके साथ बाह्य जगत काअन्धकार भी मिटाता हैं। दीपावली के दिन भगवान् महावीर स्वामी का निर्वाण होने से उस दिन भी दीपों का बहुत महत्व होता हैं।
पूजा अर्चना करते वक्त दीपक जलाने के पीछे भी यही उद्देश्य होता है कि प्रभु हमारे मन से अज्ञान रुपी अन्धकार को दूर करके ज्ञान रुपी प्रकाश प्रदान करें। किसी भी पूजा अथवा त्योहार पर घी या तेल के दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, घर के सदस्यों को प्रसिद्धि मिलती है
घर में पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है वही, हिन्दू धर्म में पूजा के समय दीपक जलाने का अपना अलग ही महत्व है। पूजा के समय दीपक जलाने के पीछे यह मान्‍याता है कि इसे शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही, ऐसा भी माना जाता घर में दीपक जलाने से वास्तु दोष दूर होता है। पुराणों की मानें तो पूजा में घी और तेल का दीपक जलाना चाहिए। वैसे दीपक जलाने को सकारात्‍मक रूप में भी देखा जाता है, इसे अपने जीवन से अंधकार हटाकर प्रकाश फैलाने से भी जोड़ा जाता है। प्रकाश प्रतीक होता है ज्ञान का। इसलिए कहा जाता है कि पूजा में दीपक जलाकर हम अंधकार को अपने जीवन से बाहर करते हैं।
दीपक जलाते समय इन खास बातों रखें ध्यान-
पूजा में कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए। नहीं तो शुभ फल मिलने की जगह आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ध्‍यान रखें कि पूजा के दौरान बीच में दीपक ना बुझे। ऐसा होना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है ऐसा होने पर पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है।
पूजा करते समय अगर घी का दीपक हो, तो इसे अपने बायें हाथ की ओर ही जलाएं। यदि दीपक तेल का है तो अपने दाएं हाथ की ओर जलाएं।
इस बात का ध्‍यान रखें कि दीपक हमेशा भगवान की प्रतिमा के ठीक सामने लगाएं। कई बार हम भगवान की प्रतिमा के सामने दीपक न लगाकर कही और लगा देते है, तो सही नहीं होता है।
घी के दीपक के लिए सफेद रुई की बत्ती इस्‍तेमाल ही करें। जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ रहती है।
दीपक जलाने के लाभों के बारें में जानें-
दीपक अंधकार को मिटाकर घर में रोशनी देता है, जिससे घर परिवार का माहौल खुशनुमा बना रहता है।
दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और साथ ही घर का वातावरण भी संतुलित बना रहता है।
बिना दीपक के पूजा पूरी नहीं मानी जाती।
ऐसा माना जाता है कि शाम को दीपक जलाने से लक्ष्मी माता प्रसन्न होती है, इसीलिए हर शाम घर पर दीपक जरूर जलाएं।
प्रत्येक शुभ कार्य, चाहे वह पूजा-पाठ, सांस्कृतिक उत्सव या कोई भी त्योहार क्यों न हो, सभी की शुरुआत दीप प्रज्वलित करने से ही होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का बदला हुआ रूप है। मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी मौजूदगी में किए गए कार्य अवश्य सफल होते हैं। प्रकाश ज्ञान का प्रतीक भी है, 'ईश्वर' प्रकाश और ज्ञान -रूप में ही हर जगह व्याप्त हैं। ज्ञान प्राप्त होने से अज्ञान रुपी मनोविकार दूर होते हैं जीवन के कष्ट मिटते हैं। इसलिए प्रकाश की पूजा को परमात्मा की पूजा भी माना गया है।
अग्नि पुराण के अनुसार जो मनुष्य मंदिर अथवा ब्राह्मण के घर में एक वर्ष तक दीप दान करता है वह सब कुछ प्राप्त कर लेता है। इसी प्रकार चार्तुमास, पूरे अधिकमास या अधिकमास की पूर्णिमा के दिन मंदिर या पवित्र नदियों के किनारे दीपदान करने वाला मनुष्य विष्णु लोक को प्राप्त होता है। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि जब तक दीपक जलता है, तब तक भगवान स्वयं उस स्थान पर उपस्थित रहते है इसलिए वहां पर मांगी गई मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं। 
दीपक से हमें जीवन के उर्ध्वगामी होने, ऊंचा उठने और अन्धकार को मिटा डालने की प्रेरणा मिलती है। इसके अलावा दीप ज्योति से समस्त पाप नष्ट होकर जीवन में सुख-समृद्धि,आयु, आरोग्य एवं सुखमय जीवन में वृद्धि होती। गाय के घी का दीपक जलाने से आसपास का वातावरण रोगाणु मुक्त होकर शुद्ध हो जाता है। पूजा अर्चना करते वक्त दीपक जलाने के पीछे भी यही उद्देश्य होता है कि प्रभु हमारे मन से अज्ञान रुपी अन्धकार को दूर करके ज्ञान रुपी प्रकाश प्रदान करें।
सकारात्मक ऊर्जा देता है दीपक
किसी भी पूजा अथवा त्योहार पर घी या तेल के दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, घर के सदस्यों को प्रसिद्धि मिलती है। वास्तु नियमों के अनुसारअखंड दीपक पूजा स्थल के आग्नेय कोण में रखा जाना चाहिए, इस दिशा में दीपक रखने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है तथा घर में सुख-समृद्धि का निवास होता है। 
दीपक की लौ के संबंध मान्यता है कि उत्तरदिशा की ओर लौ रखने से स्वास्थ्य और प्रसन्नता बढ़ती है,पूर्व दिशा की ओर लौ रखने से आयु की वृद्धि होती है।
ध्यान रखें कि यदि मिट्टी का दीप जला रहें हैं तो दीप साफ और साबुत हो। किसी भी पूजा में टूटा हुआ दीपक अशुभ और वर्जित माना गया है। 
दीपक जलाने के बारे में कहा जाता है कि सम संख्या में जलाने से ऊर्जा का संवहन निष्क्रिय हो जाता है,जब कि विषम संख्या में दीपक जलाने पर वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है।यही वजह है कि धार्मिक कार्यों में हमेशा विषम संख्या में दीपक जलाए जाते हैं। 
(लेखक- वैद्य अरविन्द प्रेमचंद जैन)

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