भारत धरम प्रधान देश हैं यहाँ नित्य ही पूजा पाठ ,धार्मिक आयोजन होते रहते हैं जिसमे अष्टद्रव्य का उपयोग होता हैं उनमे नारियल के टुकड़े कर पूजा में हल्दी से रंग कर उपयोग किया जाता हैं उसे नैवैद्य कहते हैं। जैन मान्यता के अनुसार नैवैद्य प्रपित करते हुए यह भावना रखते हैं की हमारी भव भव की भूख मिट जाये .जीवन के लिए अन्न आवश्यक हैं .अन्न को लोकव्यवहार में प्राण भी माना गया हैं .वह अन्न/नैवैद्य क्षण भर के लिए भूख मिटाता भी हैं पर कोई शाश्वत समाधान नहीं मिल पाता .तृष्णा की पूर्ती संभव नहीं हैं ,इसलिए यह नैवैद्य भगवान् के चरणों में अर्पित करके उनकी भक्ति से हम अपनी भव भव की भूख मिटाने का भाव करते हैं .
नैवैद्य में यह सन्देश भी हम ले की खाद्य पदार्थों के प्रति ास्क्ति कम करना और उसे योग्य पात्र को दे देना ही श्रेयस्कर हैं .हम अपने आस पड़ोस में आहार के आभाव में पीड़ित सभी प्राणियों को करुणापूर्वक समय समय पर आहार सामग्री देते रहे .
नारियल फोडऩे का मतलब है कि आप अपने अहंकार और स्वयं को भगवान के सामने समर्पित कर रहे हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर अज्ञानता और अहंकार का कठोर कवच टूट जाता है और ये आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का द्वार खोलता है, जिससे नारियल के सफेद हिस्से के रूप में देखा जाता है।
भारतीय धर्म और संस्कृति में नारियल का बहुत महत्व है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। मंदिर में नारियल फोड़ना या चढ़ाने का रिवाज है। दक्षिण भारत में नारियल के पेड़ बहुतायत में पाए जाते हैं। कोई यह कह सकता है कि नारियल की अधिकता के कारण ही नारियल को मंदिर में चढ़ाने की रस्म शुरू हुई तो यह उसके अधूरे ज्ञान का परिचय ही मानेंगे, क्योंकि नारियल के अलावा भी बहुत कुछ बहुतायत में होता है।
नारियल ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्रोत है इसलिए आप खाने की जगह चाहें तो नारियल का इस्तेमाल कर सकते हैं। नारियल में प्रोटीन और मिनरल्स के अलावा सभी पौष्टिक तत्व अच्छी मात्रा में उपलब्ध होते हैं
हिन्दू धर्म में वृक्षों के गुण और धर्म की अच्छे से पहचान करके ही उसके महत्व को समझते हुए उसे धर्म से जोड़ा गया है। उनमें से एक नारियल के पेड़ को भी इसी कारण धर्म से जोड़ा गया है। भारतीय धर्म और संस्कृति में नारियल का बहुत महत्व है। नारियल को हिंदु धर्म में शुभ माना जाता है, इसलिए मंदिर में नारियल फोड़ना या चढ़ाने का रिवाज है। नारियल को 'श्रीफल' भी कहा जाता है। ऐसा इसकी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ इसके औषधीय गुणों के कारण कहा जाता है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर शुभ अवसर के दौरान भगवान को नारियल जरूर चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि हिंदू धर्म में नारियल को फोड़कर उसे भगवान पर चढ़ाना शुभ होता है। पूजा की सामग्री में नारियल का महत्वपूर्ण स्थान होता है। नारियल के बिना की गई किसी भी पूजा को अधूरा माना जाता है। मान्यता है कि भगवान को पूरी श्रद्धा से नारियल चढ़ाते हैं तो आपके दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और धन की प्राप्ति होती है। अगर आप प्रसाद के रूप में नारियल को खाते हैं तो इससे शरीर की दुर्बलता दूर होती है। आइए जानते हैं पूजा में नारियल के इस्तेमाल का क्या है खास महत्व।
नारियल को श्रीफल के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतार लेते समय लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु को अपने साथ लाए थे।नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है इसमें तीन देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है।नारियल भगवान शिव का बहुत पसंद है। इसमें बनी तीन आंखों की तुलना शिवजी के त्रिनेत्र से की जाती है।
नारियल को 'श्रीफल' भी कहा जाता है। ऐसा इसकी धार्मिक महत्ता के साथ-साथ औषधीय गुणों के कारण कहा जाता है। नारियल में विटामिन, पोटेशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। नारियल में वसा और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है इसलिए नारियल मोटापे से भी निजात दिलाने में मदद करता है।
इसके अलावा नारियल के कई औषधीय लाभ भी हैं।
(लेखक-विद्यावाचस्पति वैद्यराज अरविन्द प्रेमचंद जैन )
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पूजा में नारियल का महत्व