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अभी भी अनसुलझी है नेताजी की मौत की गुत्थी!  (जयंती 23 जनवरी)  

अभी भी अनसुलझी है नेताजी की मौत की गुत्थी!  (जयंती 23 जनवरी)  

 महान क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिताजी कटक के जाने-माने अधिवक्ता थे। गांधीजी को राष्ट्रपिता कहकर सुभाष चंद्र बोस ने ही पहली बार संबोधित किया था। जबकि सुभाष चंद्र बोस को सबसे पहले नेताजी कहकर एडोल्फ हिटलर ने सम्बोधित किया था। जलियांवाला बाग के कांड ने नेताजी को इस कदर विचलित कर दिया था कि वे देश को आजाद कराने के लिए आजादी की लड़ाई में कूद पड़े। प्रतिवाद करना उन्हें अच्छी तरह से आता था,तभी तो एक अंग्रेजी शिक्षक के भारतीयों को लेकर दिये गए आपत्तिजनक बयान पर उन्होंने खासा विरोध किया था, जिस कारण उन्हें कॉलेज से भी निकाल दिया गया था। नेताजी बचपन से विलक्षण प्रतिभा के छात्र थे। आज़ादी के आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने भारतीय सिविल सेवा की नौकरी तक ठुकरा दी थी। उन्होंने लंदन से आईसीएस की परीक्षा पास की थी। सन1921 से सन 1941 के बीच नेताजी को भारत में अलग-अलग जेलों में 11 बार बंदी बनाकर रखा गया। सन 1943 में नेताजी जब बर्लिन में थे, उन्होंने वहां आज़ाद हिंद रेडियो और फ्री इंडिया सेंटर की स्थापना की। नेताजी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दो बार अध्यक्ष चुना गया। उन्हें किताबों का बेहद शौक था। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की बहुत सी किताबें पढ़ीं। सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। और देश के बाहर रह रहे लोग इस फ़ौज में शामिल हो गए। आजाद हिंद फौज में महिलाओं के लिए झांसी की रानी रेजीमेंट बनाई गई।सन 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया, तब कांग्रेस ने उसे काले झंडे दिखाए और कोलकाता में सुभाष चंद्र बोस ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया था। लेकिन उनकी मृत्यु की गुत्थी आज भी अनसुलझी है।,
आज भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत से जुड़े कई किस्से - कहानियां चर्चाओं में हैं, लेकिन आज  भी यह तथ्य सामने नहीं आया है कि उनकी मौत कैसे हुई थी।हालांकि सरकारी घोषणा के अनुसार, नेताजी की मौत 18 अगस्त सन 1945 में एक विमान हादसे में होना बताया गया है ।वे एक संपन्न बंगाली परिवार से संबंध रखते थे।उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। जबकि उनकी मां का नाम प्रभावती था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस समेत उनकी 14 संतानें थी। जिनमें 8 बेटे और 6 बेटियां थी। सुभाष चंद्र उनकी 9वीं संतान थी।नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पत्नी के बारे में भी बहुत कम लोग जानते है, एमिली शेंकल नामक महिला ने सन1937 में सुभाष चन्द्र "बोस"  से विवाह किया था।उन्होंने एक ऐसे देश को ससुराल के रूप में चुना जहां कभी वह "बहू" के रूप में आई ही नही, तभी तो न बहू के आगमन पर मंगल गीत गाये गये, न उनकी बेटी अनीता बोस के पैदा होने पर कोई खुशियां ही मनाई गई। उन्हें सात साल के अपने वैवाहिक जीवन में पति सुभाष चन्द्र बोस के साथ  मात्र तीन वर्ष रहने का अवसर मिला, इसके बाद नेताजी अपनी पत्नी और नन्हीं सी बेटी को छोड़कर देश को आजाद कराने के लिए संघर्ष करने चले गये।जाते समय नेताजी अपनी पत्नी से यह वायदा  करके गये कि,' पहले देश आजाद करा लूँ ,फिर हम साथ-साथ रहेंगे', पर ऐसा नहीं हुआ क्योंकि कथित विमान दुर्घटना में नेता जी हमेशा हमेशा के लिए लापता हो गए। उस समय उनकी पत्नी एमिली शेंकल  युवा थीं वह चाहती तो युरोपीय संस्कृति के अनुसार दूसरी शादी कर लेती, परन्तु उन्होंने ऐसा नही किया और बेहद कठिन दौर  में अपना जीवन गुजारा।उन्होंने एक तारघर में मामूली क्लर्क की नौकरी और बेहद कम वेतन के साथ वह अपनी बेटी को पालती रही. उनका बहुत मन था भारत आने का, ताकि एक बार अपने पति के वतन की मिट्टी को हाथ से छू कर उसमे नेताजी को महसूस कर सकू ,लेकिन भारत को आजादी मिलने के बाद भी ऐसा हो न सका । नेताजी की पत्नी का बड़प्पन ही था कि उन्होंने इसकी कभी किसी से शिकायत भी नहीं की और गुमनामी में ही मार्च 1996 में अपने जीवन को अलविदा कह दिया।
सुभाष चंद्र बोस ने एमिली शेंकल से प्रेम-विवाह किया था। सन 1934 में सुभाष चंद्र बोस अपना इलाज कराने के लिए ऑस्ट्रिया गए थे ,इसी दौरान उन्हें अपनी जीवनी लिखने का विचार आया, जिसके लिए उन्हें एक टाइपिस्ट की आवश्यकता महसूस हुई ।
तब ऑस्ट्रिया के एक मित्र ने उनकी मुलाकात एमिली शेंकल से करवाई, जो धीरे-धीरे पहले उनकी मित्र बनीं और बाद में प्रेमिका और फिर पत्नी बन गई। दोनों ने सन 1937 में  शादी की थी। 29 नवंबर सन1942 को विएना में एमिली ने एक बेटी को जन्म दिया। सुभाष चन्द्र बोस ने अपनी बेटी का नाम अनीता बोस रखा था।शेंकल ने कभी भी बोस की पत्नी होने की पहचान उजागर नहीं की और  वह अपनी बेटी को लेकर आस्ट्रिया में रहती थीं औऱ आजीविका के लिए एक तारघर में काम करती थीं। सुभाष की बेटी अनीता बोस ने काफी समय बाद मीडिया से कहा था कि उनकी मां को भी उनके पिता की मौत की खबर अन्य लोगों की तरह रेडियो समाचार से मिली थी।
 उनकी शादी  हिंदू परंपरा से  हुई थी।लेकिन बोस और एमिली की शादी का पंजीयन नहीं हो सका था, क्योंकि जर्मन सरकार ने यह आपत्ति कर दी थी कि दोनों ने चूंकि हिंदू परंपरा से शादी की है,इसलिए इनका पंजीयन नही हो सकता। बोस की पत्नी के अतीत में झांके तो पता चलता है कि एमिली अपने परिवार के लिए कमाने वाली एक मात्र सदस्य थीं। वह एक जिम्मेदार बेटी भी थीं, इसीलिए शादी के बाद बूढ़ी मां को छोड़कर भारत आने को राजी नहीं हुईं।  एक बार विएना में सुभाष चंद्र बोस के भाई सरत चंद्र बोस, उनकी पत्नी और बच्चों से वह मिली थीं और भावुक हो गई थीं। बोस और एमिली की शादीशुदा जिदंगी 9 साल रही। इसमें से दोनों केवल 3 साल ही साथ रहे। 18 अगस्त सन1945 को ताईवान में विमान दुर्घटना में बोस का निधन हो गया था। मार्च 1996 में 85 वर्ष की उम्र में एमिली का भी निधन हो गया।
उनकी बेटी अनिता बोस एक जर्मन अर्थशास्त्री हैं। वे ऑग्सबर्ग यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर रही और इस समय अपने पति प्रो. मार्टिन फाफ के साथ उनकी जर्मन सोशल डिमोक्रेटिक पार्टी में सक्रिय रहती हैं।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल से प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए वे कलकत्ता चले गए। और वहां के प्रेज़िडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की।
इसके बाद वे इण्डियन सिविल सर्विस की तैयारी के लिए इंग्लैंड के केंब्रिज विश्वविद्यालय चले गए।अंग्रेज़ों के शासन में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत मुश्किल था।सुभाष चंद्र बोस ने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया. 1921 में भारत में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों का समाचार पाकर बोस भारत लौट आए और उन्होंने सिविल सर्विस छोड़ दी।इसके बाद नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ गए थे।
 नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को देश प्रेम दिवस घोषित करने की मांग की थी,जो आज तक पूरी नही हुई।  इस बारे में पहले भी केंद्र सरकार से मांग की गयी थी।उम्मीद है कि कभी तो नेताजी की जयंती पर प्रधानमंत्री जी ,23 जनवरी को देश प्रेम दिवस घोषित करेंगे। नेताजी ने पूर्ण स्वराज की बात कही थी।देश में विभाजन की राजनीति बंद होनी चाहिए।नेताजी के अध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद व नेताजी ने देश के युवाओं को एकजुट रहने का आह्वान किया था तथा सभी धर्म के लोगों में सदभाव बात कही थी।उसका पालन किया जाना चाहिए।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्रकुमार बोस ने मांग की है कि टोक्यो के रैंकोजी मंदिर में रखी नेताजी की अस्थियों का डीएनए टेस्ट कराया जाना चाहिए ।ताकि नेताजी के निधन को लेकर बने रहस्य पर पूर्ण विराम लगाया जा सके. उनका कहना है अगले साल जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत की यात्रा पर आ रहे हैं. उस समय भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके सामने इस मामले को रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज तक यह पता नहीं चला कि 18 अगस्त 1945 को तायहोकु में हुए हवाई हादसे के बाद क्या वाकई वो जिंदा थे।भारत में इसकी जांच को लेकर तीन आयोग बन चुके हैं।
पहले दो आयोगों का कहना है कि नेताजी का निधन 18 अगस्त 1945 को ताइवान के तायहोकु एयरपोर्ट पर हो चुका है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मनोज मुखर्जी जांच आयोग ने इससे एकदम उलट रिपोर्ट दी. उसके बाद से ही नेताजी की जापान के मंदिर में रखी अस्थियों की डीएनए जांच का मुद्दा तूल पकड़ता रहा है।
(लेखक- डॉ. श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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