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 सोनू सूद ने डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेश इंडिया के साथ हाथ मिलाया  - सोनू ने लिया ब्लड कैंसर के मरीजों के सहयोग करने का संकल्प

 सोनू सूद ने डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेश इंडिया के साथ हाथ मिलाया  - सोनू ने लिया ब्लड कैंसर के मरीजों के सहयोग करने का संकल्प

बेंगलुरू । ब्लड स्टेम सेल रजिस्ट्रेशन और डोनेशन के प्रति जागरूकता का प्रसार करने के मकसद से बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने डीकेएमएस बीएमएसटी फाउंडेश इंडिया के साथ हाथ मिलाया है। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो ब्लड कैंसर और खून से संबंधित अन्य विकारों जैसे कि थेलेसेमिया और एप्लास्टिक एनीमिया के खिलाफ लड़ने के लिए समर्पित है। सोनू ने एक पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत संभावित रक्त स्टेम सेल दाता के रूप में दस हजार भारतीयों का पंजीकरण कराया जाएगा। दुनिया में हेमाटोलॉजिकल कैंसर के दर्ज मामलों में भारत तीसरे स्थान पर है और बच्चों में कैंसर से होने वाली मौतों की यह एक मुख्य वजह भी है। देश में ब्लड कैंसर के इस दबाव को देखते हुए ब्लड कैंसर के मरीजों का समर्थन करना इस वक्त सबसे जरूरी है।
विद्या बालन और राहुल द्रविड जैसे सेलेब्रिटीज के बाद अब बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने इस ओर लोगों को जागरूक करने के लिए वीडियो के माध्यम से अपनी अपील को साझा किया है। वीडियो में सोनू परिवार की अहमियत पर जोर देते नजर आते हैं और अपना खुद का उदाहरण देते हुए वह कहते हैं कि वह अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी करेंगे। वीडियो में सोनू ने देश के लोगों से संभावित रक्त स्टेम सेल डोनर्स के रूप में पंजीकृत होकर ब्लड कैंसर और ब्लड डिसऑडर्स से जूझ रहे मरीजों को सपोर्ट करने का अनुरोध किया है। सोनू ने कहा ‎कि मैंने समाज के प्रति काम करने का फैसला खुद से लिया है। इसकी कोई खास वजह नहीं है, लेकिन जरूरतमंद तक पहुंचने का प्रयास मैंने हमेशा किया है, चाहे वह प्रवासी मजदूर हो, कोई विद्यार्थी एक संभावित ब्लड सेल डोनर के रूप में पंजीकृत होकर हम उनकी जिंदगी में उम्मीद जगा सकते हैं। इस ख्याल के साथ मैं इसे अपनी एक जिम्मेदारी के तौर पर लेता हूं और 10,000 संभावित स्टेम सेल डोनर्स को जोड़कर भारत के ब्लड स्टेम सेल डोलर के पूल को बढ़ाने का अनुरोध करता हूं। इस अच्छे काम के प्रति समर्पित होने के चलते मैं डीकेएमएस-बीएमएसटी जैसे एनजीओ का शुक्रिया अदा करता हूं। जिस दर्द से होकर ये मरीज गुजरते हैं, हम उसके बारे में सोच भी नहीं सकते हैं और अगर हम उनमें जगा सके, तो इस मुश्किल घड़ी में इससे बेहतर और कुछ भी नहीं हो सकता है।
 

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