नई दिल्ली । देश का 72 वां गणतंत्र दिवस किसान आंदोलन के चलते खास हो गया है। इस दिन हर बॉर्डर पर हंगामा ही हंगामा रहा। नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर जहां किसानों और पुलिस के बीच टकराव हुआ और किसानों ने पुलिस की बेरिकेडिंग तोड़ दी, वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर भी हंगामा हुआ और हरियाणा और दिल्ली में भी किसानों और पुलिस के बीच टकराव होता रहा। दावा है कि एनसीआर में ऐसा पहली बार किसान आंदोलन हुआ है, जिसमें हर बॉर्डर पर हंगामा होता रहा। यह आंदोलन पिछले करीब दो माह से लगातार चल रहा है। पिछले एक दशक में इसे किसानों का सबसे लंबा आंदोलन माना जा रहा है। इस आंदोलन के और लंबे चलने के भी आसार माने जा रहे हैं और भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत तो कह चुके हैं कि वह मई 2024 तक भी इस आंदोलन को चलाने के लिए तैयार हैं। इससे पहले भाकियू का आंदोलन किसान क्रांति पद यात्रा थी जो 23 सितंबर 2018 को हरिद्वार से प्रारम्भ होकर 2 अक्तूबर को समाप्त हुई थी और उससे पहले दौराला टोल प्लाजा पर भाकियू का आंदोलन हुआ था, जो 40 दिन तक चला था। जबकि वर्तमान में दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन को 43 दिन बीत चुके हैं और अभी यह लगातार जारी है। इसे पिछले एक दशक में किसानों का सबसे लंबा आंदोलन माना जा रहा है। इस आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब का किसान एकजुट नजर आ रहा है। किसान आंदोलन में अब समय के साथ बदलाव भी आया है। बाबा टिकैत के आंदोलन में जहां किसान धोती-कुर्ता पहन कर सड़कों पर लेटते थे। वहीं इस बार आंदोलन में हर चीज खास है। आंदोलन में शामिल किसान जहां लग्जरी गाड़ियों के साथ हैं, वहीं उन्होंने आधुनिक टेंट भी धरनास्थल पर लगा रखे हैं। टिकैत के आंदोलन में जहां गांवों से खाना बनकर जाता था, वहीं अब लगातार लंगर चल रहे हैं और लंगर में हर तरह का खाना किसानों को उपलब्ध है। सोशल मीडिया के जरिये ये किसान पूरी दुनिया के सामने अपनी आवाज उठा रहे हैं और सभी से संपर्क भी बनाये हुए हैं। हां कुछ नहीं बदला है तो वह है भाकियू की हरी टोपी जो आज भी आंदोलन में युवा व बुजुर्ग सभी किसानों के सिर पर नजर आ रही है और वह इस टोपी को ही अपनी पहचान बता रहे हैं। मंगलवार को भी किसान ट्रैक्टर परेड को किसानों ने सोशल मीडिया पर लाइव भी किया। देश के धरतीपुत्रों द्वारा नोएडा-दिल्ली बॉर्डर पर चलाये जा रहे आंदोलन को 56 दिन हो चुके हैं। इस दौरान किसान आंदोलन के अनेक रंग देखे गये हैं। तेज बारिश से लेकर गलन पैदा करने वाली शीत लहर तक किसानों के हौंसलों को नहीं डिगा सकी और वह खुली सड़क पर अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं और उनका दावा है कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक उनका धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।
रीजनल नार्थ
एनसीआर में पहली बार ऐसा किसान आंदोलन