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केबीसी के आखिरी शो में परमवीर चक्र की जय जय!

केबीसी के आखिरी शो में परमवीर चक्र की जय जय!

सरहद पर अपने प्राणों की बाजे लगाने वाले जब किसी जांबाज का सम्मान होता है तो सीना गर्व से फूल जाता है।'कौन बनेगा करोड़पति ' धारावाहिक के आखिरी शो में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने परमवीर चक्र विजेता मेजर सूबेदार योगेंद्र यादव व सूबेदार संजय सिंह को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया है।
 'कौन बनेगा करोड़पति' सीजन 12 के ग्रांड फिनाले में कर्मवीर स्पेशल के रूप में उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर अंतर्गत गांव औरंगाबाद निवासी कारगिल युद्ध के महानायक परमवीर चक्र विजेता मेजर सूबेदार योगेंद्र यादव व अपने साथी सूबेदार संजय कुमार के साथ कौन बनेगा करोड़पति की हॉट सीट पर पहुंचे। उन्होंने कई कठिन सवालो के जवाब देकर 25 लाख रुपये भी जीते। ये रुपये आर्मी वेलफेयर फंड को भेज दिए गए हैं। शो के दौरान दोनों बहादुरों ने अमिताभ बच्चन के 13 सवालों के जबाव दिए और 25 लाख रूपये की राशि जीती,इसके बाद हूटर बज जाने से खेल समाप्त हो गया।  सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने कारगिल युद्ध में अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर द्रास सेक्टर की सबसे ऊंची चोटी, जिसकी ऊंचाई करीब 16 हजार 500 फीट है, पर पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुकाबला किया था। उस युद्ध मे योगेंद्र यादव ने 17 गोलियां लगने के बाद भी कारगिल में टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया दिया था। इसके बाद गम्भीर रूप से घायल योगेंद्र 16 महीनों तक अस्पताल में रहे। योगेंद्र सिंह यादव को सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। योगेंद्र इस समय बरेली में सूबेदार मेजर के पद पर तैनात हैं। शो के दौरान सेना के बैंड की धुन के साथ ही योगेंद्र यादव ने भी देश भावना से ओतप्रोत कविता सुनाई । शो के इस करमवीर विशेष कार्यक्रम में भारतीय थल सेना के सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव परमीर चक्र और सूबेदार संजय कुमार परमवीर चक्र छाये रहे। इन वीरो ने करगिल युद्ध  में सन 1999 में भाग लिया था और अपनी बहादुरी का इतिहास रचा था। उस समय योगेंद्र सिंह मात्र 19 साल के और संजय कुमार मात्र 23 साल के थे।सूबेदार संजय कुमार ने बताया कि फौज में रहने के बाद देश सेवा ही सबसे पहले आती है। परिवार से पहले हम देश को रखते हैं। देश के लिए ही जीते हैं और देश पर मिटने के लिए तैयार रहते हैं।जबकि सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह ने कहा कि केवल वर्दी पहनकर बॉर्डर पर खड़े रहना ही देश सेवा नहीं है। बल्कि हम जिस क्षेत्र में जहां पर भी काम करें वहां पर राष्ट्र को सर्वप्रथम रखकर नि: स्वार्थ भाव से जो काम करते हैं वही राष्ट्रसेवा है। योगेंद्र सिंह और संजय कुमार हर साल गणतंत्र दिवस परेड को लीड भी करते हैं।
 कारगिल युद्ध में 17 गोलियां लगने के बाद भी पाकिस्तानी सैनिकों पर ग्रेनेड फेंककर फतह प्राप्त करने वाले परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव की शौर्यगाथा को पूरे देश ने कौन बनेगा करोड़पति में देखा है। उनकी शौर्यगाथा सुनकर अमिताभ बच्चन भी भाव विभोर हो गए। योगेंद्र यादव ने बताया कि कारगिल युद्ध में 16500 फुट ऊंची टाइगर हिल 30 डिग्री तापमान में बर्फ से ढकी थी। योगेंद्र यादव 20 जवानों के साथ  टाइगर हिल की चोटी के पास पहुंचे थे तभी पाकिस्तानी सेना ने देख लिया और गोलियों की बौछार कर दी। भारतीय जवानों ने अदम्य साहस दिखाया और वे बहादुरी के साथ लड़े।लड़ाई के बाद केवल सात जवान हिल पर पहुंच पाए, अन्य जवान शहीद हो गए। फिर छह और जवान घायल हो गए। योगेंद्र अपने सैनिक साथी को चिकित्सीय सेवा दे ही रहे थे कि उसी समय दुश्मन की गोली उनके दोस्त के मस्तिष्क को चीरती हुई निकल गई। उसी दौरान योगेंद्र को भी कई गोलियां लगीं। वह जख्मी होकर गिर पड़े। दुश्मनों ने उनके सीने पर गोली चलाई तो ऊपर की जेब में रखे पांच रुपये के सिक्के ने उनकी जान बचा ली। शरीर में 17 गोलियां लगीं जिससे योगेंद्र बेहोश हो रहे थे। तभी एक पाकिस्तानी सैनिक का पैर उनके शरीर से टकराया। योगेंद्र के पास  ग्रेनेड  था। योगेंद्र ने उनके हथियार लूटकर जा रहे पाकिस्तानी दुश्मनों पर ग्रेनेड फेंक दिया। जिससे कई दुश्मनों की मौत हो गई जो बचे वह जान बचाकर भाग गए। इस तरह उन्होंने टाइगर हिल पर फतह हासिल की।  उन्हें 19 साल की उम्र में सन 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन ने परमवीर चक्र से अलंकृत किया। अब तक देश में 21 जांबाजों को परमवीर चक्र मिला है। इनमें से योगेंद्र सिंह यादव सूबेदार मेजर और संजय कुमार सूबेदार के तौर पर आज भी सेना में सेवा दे रहे हैं।
 केबीसी में अमिताभ बच्चन ने योगेंद्र यादव से पूछा कि इतना जुनून कैसे पदा होता है। इस पर योगेंद्र न जवाब दिया कि हिदुस्तान की मिट्टी में ही वीरता और जुनून छिपा है।
 योगेन्द्र सिंह यादव ग्रेनेडियर्स के साथ कार्यरत कमांडो प्लाटून 'घातक' का हिस्सा थे। घातक को 4 जुलाई 1999 के शुरुआती घंटों में टाइगर हिल के तीन सामरिक बंकरों पर कब्जा करने के लिए नामित किया गया था। बंकर 1000 फुट ऊंची चट्टान के शीर्ष पर स्थित थे। योगेन्द्र सिंह यादव स्वेच्छा से चट्टान पर चढ़ने लगे। आधे रास्ते में दुश्मन ने मशीनगन और राॅकेट से फायरिंग कर दी। इसमें प्लाटून कमांडर और दो अन्य शहीद हो गए। अपने गले और कंधे में तीन गोलियों के लगने के बावजूद योगेन्द्र सिंह यादव शेष 60 फीट चढ़कर शीर्ष पर पहुंच गये थे। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद वह पहले बंकर में घुसे और चार पाकिस्तानियों को ढेर कर दिया। इस दौरान बाकी प्लाटून को चट्टान पर चढ़ने का मौका मिल गया।
विशेष बात यह है कि सूबेदार मेजर योगेन्द्र सिंह यादव के लिए परमवीर चक्र की घोषणा मरणोपरांत की गई थी, लेकिन बाद में उनके जीवित होने का पता चला। 
 (लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)

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