मुंबई । बालीवुड एक्ट्रेस अमृता पुरी ने कहा कि "मुझे लगता है कि अच्छे काम के साथ ज्यादा से ज्यादा दिखना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन अगर हम अच्छे के मुकाबले अधिक से अधिक काम करने को तवज्जो देते हैं, तो ऐसा मुमकिन है।" वह आगे कहती हैं, "अगर हम ओटीटी सहित अन्य माध्यमों में परियोजनाओं की बात करें, तो अधिकतर कहानियां पुरूष-केंद्रित हैं, जिसमें महिलाओं के किरदारों को बखूबी लिखा या पेश नहीं किया जाता है। ऐसे में मेरे जैसे किसी कलाकार के लिए वह जगह काफी सीमित है, जहां काम कर आत्म-संतुष्टि मिले। मुझे लगता है कि इसमें विस्तार की आवश्यकता है ताकि क्व ॉलिटी और क्वांन्टिटी में बैलेंस ढूंढ़ने वाला मुझ जैसा कोई कलाकार पर्दे पर अधिक से अधिक दिख सके।"
वह आखिर में कहती हैं, "हालांकि मुझे बदलाव भी नजर आ रहा है और यही वजह है कि मुझे 'जीत की जिंद' में जया का किरदार मिला।" जी5 के इस शो में सुशांत सिंह, अली गोनी, मृणाल कुलकर्णी और गगन रंधावा जैसे कलाकार भी हैं। यह विशाल मंगलोरकर द्वारा निर्देशित है। बता दें कि साल 2010 में फिल्म 'आयशा' के साथ अमृता पुरी ने बॉलीवुड में अपना डेब्यू किया था। इस फिल्म से उन्हें अच्छी-खासी पहचान भी मिली। इसके बाद आई फिल्मों 'काय पो छे' और 'जजमेंटल है क्या' में भी उनके अभिनय को काफी सराहा गया, लेकिन उन्हें उस हिसाब से उतनी पहचान नहीं मिली। हाल ही में आई वेब सीरीज 'जीत की जिद' में एक बार फिर से अमृता को दर्शकों से सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं।
एंटरटेनमेंट बॉलीवुड
महिलाओं के किरदारों को बखूबी पेश नहीं किया जाता -बालीवुड एक्ट्रेस अमृता पुरी ने कहा