
बचपन खेलने के लिए होता है। बचपन में बच्चे जितना खेलते हैं वह उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अच्छा होता है। खेल बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा है। यह ना केवल मनोरंजन के लिए बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए भी बेहद जरूरी है पर बदलते समय के साथ खेलों के मायने भी बदल गए हैं।
पहले मैदान, गली-नुक्कड़ और आंगन बच्चों के लिए खेलने की जगहें होती थीं, वहीं नई जीवनशैली में जैसे-जैसे घरों ने फ्लैट का रूप लिया और आंगन बालकनी में बदले, बच्चों के खेलने का तरीका भी बदल गया है।
मेट्रो की रफ्तार से दौड़ती जिंदगी में ना तो परिवार के पास बच्चों को बाहर ले जाने का समय रह गया है और ना ही वह माहौल जिसमें वे स्वच्छंद होकर खुले मैदान में खेल सकें।
खेलों में आया बड़ा बदलाव
मैदान के खेलों की जगह अब कंप्यूटर, मोबाइल और वीडियो गेम्स ने ले ली है परन्तु फिर भी बच्चे आउटडोर खेलों को ही पसंद करते हैं। इनडोर खेल गर्मी में तो ठीक हैं पर बच्चों के पूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आउटडोर खेल जरुरी हैं।
बच्चों में गैजेट्स के ज्यादा इस्तेमाल से बढ़ रहे खतरे से सभी परेशान हैं और इस समस्या से निपटने के लिए आउटडोर खेलों को सबसे अच्छा विकल्प मानते हैं।
खेल विकास के लिए महत्वपूर्ण
खेलों के जरिए बच्चे दूसरों के साथ व्यवहार करना सीखते हैं, दुनिया को जानते हैं और नए आइडियाज को जन्म देते हैं। वो काम जो इंसान कंप्यूटर से बेहतर कर सकता है और इसको करने में खेल एक मुख्य भूमिका निभाता है।
आउटडोर खेलों का विकास पर प्रभाव
शारीरिक विकास क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल, खो-खो और कबड्डी जैसे कई खेल बाहर खेले जाते हैं। इन खेलों का मकसद बच्चों का शारीरिक विकास माना जाता है। इसके अलावा बाहर खेलने से बच्चों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का भी विकास होता है।
बच्चों के शरीर में ग्रोथ हॉर्मोन के स्त्राव का एक वक्त होता है। ये हॉर्मोन फिजिकल एक्टिविटी से बढ़ते हैं। इसके अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और बच्चों के पसंदीदा जंक फूड को पचाने के लिए शारीरिक क्रियाएं बहुत जरूरी हैं।
आउटडोर खेल बच्चों के मानसिक विकास में भी सहयोगी होते हैं। बच्चों में खेलने की आदत विकसित करने से वो सामाजिक तौर पर विकसित होते हैं साथ ही बड़ा होकर अपने कार्यस्थल पर भी अच्छे से घुलमिल जाते हैं।
कुल मिलाकर देखा जाये तो खेल उन्हें सामाजिक, भावनात्मक और शैक्षणिक ज्ञान देने के लिए जरूरी है।