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नोटबंदी-जीएसटी की मार से नहीं बच सकी दुनिया का सबसे सस्ता टैबलेट बनाने वाली कंपनी

 नोटबंदी-जीएसटी की मार से नहीं बच सकी दुनिया का सबसे सस्ता टैबलेट बनाने वाली कंपनी

देश में नोटबंदी और जीएसटी की मार से दुनिया का सबसे सस्ता टैबलेट बनाने वाली कंपनी भी नहीं बच सकी। दुनिया का सबसे सस्ता टैबलेट बनाने वाली कंपनी डेटाविंड जिसने 'आकाश' बनाया था, को अपनी दोनों इकाइयों को बंद करना पड़ा है। साल 2016 में हुई नोटबंदी और जीएसटी से जुड़ी दिक्कतें और देश की ड्यूटी संरचना करीब 1000 लोगों के नौकरी जाने का कारण बनीं। डेटाविंड के चीफ एग्जीक्यूटिव सुनीत सिंह तुली ने बताया कि, 'हमारा टार्गेट सेगमेंट नोटबंदी के बाद बुरी तरह से प्रभावित हुआ'। इस मामले के जानकार कहते हैं कि हैदराबाद और अमृतसर दोनों कंपनियों को बंद कर दिया है, लेकिन तुली ने बताया कि अमृतसर का प्लांट अभी भी काम कर रहा है, हालांकि यह कम क्षमता से चल रहा है। साल 2017 में ब्रिटिश-कनाडाई कंपनी ने पहले ही हैदराबाद इकाई का उत्पादन रोक दिया था, लेकिन अब उत्पादन पूरी तरह से ठप्प हो गया है। जानकारों का कहना है कि डेटाविंड को वेंडर पेमेंट के साथ-साथ अपने कर्मचारियों को भी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा जबकि कंपनी पर 250 करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ गया था।
इस पर तुली कहते हैं, '250 करोड़ रुपये का कर्ज कंपनी का आंतरिक था और यह वह निवेश था जो कनाडाई मूल की कंपनी से भारतीय कंपनियों के परिचालन में किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि कंपनी बकाया वसूलने के लिए कोर्ट में लड़ रही थी। तुली ने कहा कि नोटबंदी के बाद इंडिया पोस्ट ने 30,000 से अधिक इकाइयों को चुरा लिया और उनका दुरुपयोग किया गया। कोर्ट में इस पर मामला अभी भी चल रहा है और रिकवरी का इंतजार है। तुली ने कहा कि एक समय में तेजी से बढ़ रहा भारत का टैबलेट मार्केट अब घटकर एक तिहाई कम हो गया है। इस गिरावट का कारण नोटबंदी में पैसों की कमी, जीएसटी स्लैब में बढ़ोतरी है। उन्होंने कहा कि ग्राहकों में स्मार्टफोन पर 12 फीसदी जीएसटी और टैबलेट पर 18 फीसदी जीएसटी होने की वजह से 7 इंच टैबलेट की जगह 6 इंच का स्मार्टफोन खरीदने में असंतोष पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में व्यापार मुश्किल हो गया था। समाज के निचले तबकों तक इस तरह के शैक्षणिक उपकरण पहुंचाने के लिए सरकार को ड्यूटी चार्जेज हटाना पर काम करना चाहिए। 

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