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 टिकैत की बेबाक अंदाज में चुनौती ,  अभी बिल वापसी की बात है ..... अगर गद्दी वापसी की बात कर दी जब-जब राजा डरता है, तब-तब किलेबंदी करता 

 टिकैत की बेबाक अंदाज में चुनौती ,  अभी बिल वापसी की बात है ..... अगर गद्दी वापसी की बात कर दी जब-जब राजा डरता है, तब-तब किलेबंदी करता 

जींद । हरियाणा के जींद जिले में किसानों की महापंचायत शुरू हो गई, इसमें हजारों की भीड़ जुटी है। बड़ी संख्या में महिलाएं भी महपंचायत में हिस्सा लेने पहुंची है। महापंचायत में फैसला हुआ कि तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस ले और गिरफ्तार लोगों को जल्द से जल्द रिहा करे। महापंचायत से राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को चुनौती देकर कहा है कि हमारे द्वारा अभी सरकार से बिल वापस की बात कही गई है, अगर गद्दी वापसी की बात कर दी, तब सरकार का क्या होगा। राकेश टिकैत ने सरकार को बेबाक अंदाज में चुनौती दी है। महापंचायत में कृषि बिल को वापस लेने का प्रस्ताव पास किया गया है। महापंचायत में किसानों ने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की मांग की है। इसके अलावा लापता किसानों का पता लगाकर किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग की गई है। महापंचायत में राकेश टिकैत ने कहा कि जब-जब राजा डरता है, तब-तब किलेबंदी करता है। दिल्ली में कीलें लगाई जा रही हैं, हम वहां अपने खेतों में भी लगाते हैं। टिकैत ने कहा कि अभी जींद वालों को दिल्ली कूच की जरूरत नहीं है, आप यहां पर ही रहे। 
टिकैत के अलावा कई खाप नेता भी महापंचायत में शामिल हुए हैं। टेक राम कंडेला ने कहा कि किसानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए यह बड़ा जमावड़ा है। करीब दो दशक पहले हरियाणा में किसानों का आंदोलन चलाने वाली कंडेला खाप ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को अपना समर्थन दिया है। दूसरी खाप ने भी आंदोलन का समर्थन किया है। टेकराम कंडेला ने कहा कि आज के कार्यक्रम में कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग की जाएगी। गौरतलब है की जब टिकैत भावुक हुए थे,तब कंडेला गांव के लोगों ने जींद चंडीगढ़ हाईवे जाम कर दिया था, जिसके बाद पूरे हरियाणा भर से किसान आंदोलन को समर्थन मिला था और बड़ी संख्या में लोग दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच गए थे। जींद जिले ने किसान आंदोलन में नए सिरे से जान फूंकी है। आज हरियाणा के जींद में किसान आंदोलन को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी। 
कंडेला प्रधान ने कहा कि 26 जनवरी की हिंसक घटना के बाद जब आंदोलन पर सवालिया निशान खड़े हो गए थे, तब कंडेला गांव के किसानों ने उसी रात हाइवे जाम कर आंदोलन को दोबारा खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी। उसी के बाद अगले दिन 27 जनवरी को प्रदेश के लगभग सभी जगहों पर खाप महापंचायतों ने दिल्ली जाने का फैसला किया। 
टिकैत का मंच टूटा, बाल-बाल बचे 
किसान आंदोलन का आज 70वां दिन है, आज भी नए कृषि कानूनों पर तकरार जारी है। जींद के कंडेला गांव में महापंचायत चल रही है, जिसमें भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंचे है।भारी संख्या में मंच पर लोग होने के कारण राकेश टिकैत जिस मंच पर खडे़ थे वह टूट गया। इस दौरान राकेश टिकैत बाल-बाल बच गए। बताया जा रहा है कि भीड़ अधिक होने के कारण राकेश टिकैत का मंच टूटा। नए कृषि कानूनों पर बने गतिरोध के चलते राजधानी दिल्ली से लगी गाजीपुर, टीकरी और सिंघु बॉर्डरों पर किसानों का आंदोलन आज 70वें दिन भी जारी है। 
 

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