लंदन। धरती से 40 प्रकाशवर्ष दूर स्थित ट्रापिस्ट-1 लाल बौने तारे का चक्कर 7 चट्टानी ग्रह काट रहे हैं। इनके बारे में वैज्ञानिकों को एक नई जानकारी हाथ लगी है। दरअसल, पाया गया है कि इनका घनत्व एक जैसा है, जिससे संकेत मिलते हैं कि इनकी बनावट भी एक जैसी हो सकती है। ये सभी ग्रह धरती के बराबर है या छोटे हैं। किसी सितारे का चक्कर काट रहे धरती जैसे ग्रहों का यह सबसे बड़ा समूह है। नासा की जेट प्रोपल्शन लैबरेटरी के मुताबिक ताजा स्टडी में पाया गया है कि इन ग्रहों का घनत्व धरती से 8 फीसदी कम है। यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिक की ऐस्ट्रोफिजिसिस्ट कैरोलाइन डॉर्न के कहना है, ट्रापिस्ट-1 सिस्टम बहुत रोचक है क्योंकि इस एक सितारे के पास हमें एक ही सिस्टम में चट्टानी ग्रहों की विविधता जानने का मौका मिल रहा है और हम किसी ग्रह के बारे में उसके पड़ोसियों को स्टडी करके भी पता लगा सकते हैं। इसलिए यह सिस्टम परफेक्ट है।
जब ग्रह सितारे के सामने आता है, तो उसकी चमक में आई कमी को डिटेक्ट किया जाता है। इसके साथ ग्रहों की कक्षा के समय के आधार पर ऐस्ट्रनॉमर ग्रहों के द्रव्यमान और डायमीटर का अनुमान लगाया जाता है जिससे घनत्व का पता चल सकता है। ट्रपिस्ट-1 के ग्रहों के घनत्व की समानता से संकेत मिलते हैं कि उनमें लोहे, ऑक्सिजन, मैग्नीशियम और सिलिकॉन की समान मात्रा से बने होंगे। हालांकि, धरती की तुलना में इनका घनत्व 8 फीसदी कम है। इसके आधार पर इनकी बनावट की 3 संभावनाएं जताई गई हैं। एक यह कि इन ग्रहों की बनावट धरती की तरह हो, लेकिन लोहा 21 फीसदी हो जो धरती में 32 फीसदी है। हो सकता है कि ऑक्सिजन जैसे हल्के एलिमेंट के साथ लोहा मौजूद हो, जिससे घनत्व कम हो गया। ऐसे में ऑक्सिजन और लोहा आयरन ऑक्साइड या जंग बनाते हैं। यह भी हो सकता है कि इनकी सतह पर 5 फीसदी द्रव्यमान पानी का हो जिससे इनका घनत्व कम है। हालांकि, तीन ग्रहों की सितारे से जो दूरी है, उसके मुताबिक इतना पानी रहना मुश्किल है।
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धरती जैसे 7 ग्रहों ने वैज्ञानिकों को हैरत में डाला -कर रहे शोध, आखिर एक-दूसरे से इतने समान कैसे?