प्रशासनिक सेवा के 2018 बैच आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के कैडर आवंटन को रद्द करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 17 मई को सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कैडर के अफसर एक साल की ट्रेनिंग पूरी कर चुके हैं। वे संबंधित राज्यों की भाषा भी सीख चुके हैं इसलिए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई जाए।
दरअसल कुछ अधिकारियों ने 2018 कैडर आवंटन को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचियों का दावा है कि कैडर आवंटन में मनमानापूर्ण रवैया अपनाया गया है। कैडर से उनके करियर पर असर पड़ेगा। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने नई नीति के तहत केंद्र सरकार के 2018 बैच के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के कैडर आवंटन को रद्द कर दिया। कोर्ट ने नए कैडर आवंटन का आदेश दिया है।
इस संबंध में पेश मामले में चार अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थी। इसमें सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) 2017 के परिणामों के आधार पर आईएसएस और आईपीएस उम्मीदवारों को कैडर आवंटित करने की केंद्र की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि अधिकारियों की ओर से अपनाई गई कैडर आवंटन नीति 2017 की प्रक्रिया अनुचित, अन्यायपूर्ण और मनमानी थी। सीएसई 2017 में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी उम्मीदवारों को आवंटन से वंचित किया गया है और मनमाने ढंग से कैडर आवंटन कर दिया गया। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए स्पष्ट कहा है कि अधिकारियों की ओर से कैडर के पुन: आवंटन में अधिक समय नहीं लिया जाना चाहिए। क्योंकि अब यह इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाता है, जो कि कंप्यूटर प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर के माध्यम से होता है। अधिकारियों के पास इस संबंध में पहले से ही अपेक्षित डेटा है। कोर्ट ने आवंटित सफल उम्मीदवारों की योग्यता और उम्मीदवारों द्वारा दी गई प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए जल्द से जल्द नए कैडर आवंटन करने का निर्देश दिया है।
नेशन
आईएएस और आईपीएस कैडर आवंटन मामला- दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को केंद्र ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती