नई दिल्ली। उत्तराखंड में हालिया आपदा के बाद सरकार चमोली जिले की ऋषिगंगा के मुहाने पर बनी झील का रहस्य जानने में जुट गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि झील करीब 400 मीटर लंबी है, लेकिन अभी इसकी गहराई का अनुमान नहीं है। इसका अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम को रवाना कर दिया गया है। जो दल झील का अध्ययन करने को रवाना हुआ है, उसमें 12 सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि झील को लेकर घबराने की नहीं बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के दल को मौके पर भेज दिया गया है। उसकी रिपोर्ट के बाद झील के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
वन मुख्यालय में पत्रकारों से मुख्यमंत्री ने कहा कि झील में कितना पानी जमा है, इसका पता अभी नहीं चला है। इसके लिए उस क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम भेजी जा रही है। इसके अलावा कुछ अन्य विशेषज्ञ भी मौके पर भेजे जा रहे हैं, जिन्हें एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर से वहां ड्राप किया जाएगा। सीएम ने कहा कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि एसडीआरएफ की शाम को झील के करीब पहुंच गई है। झील से पानी का रिसाव शुरू हो जाने से खतरे जैसी कोई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि, मौके पर करीब आधा किमी लंबी झील नजर आ रही है। डीजीपी ने बताया कि एसडीआरएफ टीम शनिवार दोपहर तक रैंणी गांव लौट आएगी। तपोवन सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के काम में हो रही देरी से पीड़ित परिवारों के सब्र का बांध टूट गया। लोगों ने परियोजना स्थल पर प्रदर्शन कर धीमी गति से चल रहे अभियान पर सवाल उठाए। पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने मुश्किल से लोगों का गुस्सा शांत किया।
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ऋषिगंगा में बनी 400 मीटर लंबी झील रहस्य जानने को रवाना हुई वैज्ञानिकों की टीम