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उत्तराखंड आपदा- झील बनी खतरे की घंटी, ऋषिगंगा नदी के जल प्रवाह पर रखी जा रही निगरानी 

उत्तराखंड आपदा- झील बनी खतरे की घंटी, ऋषिगंगा नदी के जल प्रवाह पर रखी जा रही निगरानी 

देहरादून । उत्तराखंड के चमौली में आई आपदा के बाद उच्च हिमालयी क्षेत्र में 14,000 फीट पर बनी झील से तात्कालिक खतरा नहीं होने के बावजूद राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) के जवान ऋषिगंगा नदी के जलप्रवाह पर निगरानी रख रहे हैं। कुछ दिन पहले उपग्रह की तस्वीरों से पुष्टि हुई थी कि ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में एक झील बन रही है। उसके तत्काल बाद एसडीआरएफ की एक टीम वहां सर्वेंक्षण करने गई जहां उसने पाया कि झील से जलरिसाव हो कर पानी नदी में जा रहा है जिससे तात्कालिक खतरे की आशंका नहीं है। इसके बावजूद, ऋषिगंगा के प्रवाह की निगरानी करने के लिए झील से रैणी और तपोवन तक एसडीआरएफ ने अपने जवान तैनात कर दिए हैं।
मौके पर गई एसडीआरएफ की टीम की अगुवाई करने वाले कमांडेंट नवनीत भुल्लर ने बताया कि हमारे जवान नदी के किनारे तैनात हैं जो निरंतर नदी के जलप्रवाह की निगरानी करेंगे। इसके अलावा, पूर्व चेतावनी प्रणाली के तहत नदी के जलप्रवाह पर निगरानी रखने के लिए अलग-अलग जगहों पर सेंसर भी लगाए गए हैं। इस संबंध में, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी कहा कि झील पर उपग्रह के जरिए भी निगाह रखी जा रही है।
चमोली जिले की ऋषिगंगा नदी में सात फरवरी को आई विकराल बाढ़ से एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट तपोवन-विष्णुगाड जलविद्युत परियोजना को भारी क्षति हुई थी जबकि रैणी में स्थित उत्पादनरत 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई थी।
 

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