गरम मसाले स्वाद में, सेहत में भरपूर।
दूर नहीं करना इन्हें, सुन लें आप हुज़ूर।।
तन-मन को दें ताज़गी, गरम मसाले नित्य।
समझो इस उपहार को, प्रियवर तुम आदित्य।।
गरम मसाले रच रहे, पकवानों का सार।
वरना तीखा, चटपटा, ना होता संसार।।
दक्षिण भारत ने किया, हमें बहुत सम्पन्न।
गरम मसाले की उपज, से बरकत आसन्न।।
ख़ानेसामा कह रहे, जय -जय ज़िन्दाबाद।
गरम मसालों की कृपा, से भोजन आबाद।।
हर गृहिणी गुण गा रही, करती नित उपयोग।
हर बंदा नित जानता, गरम मसाला- योग।।
सदियों से हर एक ने, गाये इसके गीत।
गरम मसाले स्वाद ले, पाई सबने जीत।।
गरम मसाले मित्र हैं, निभा रहे हैं प्रीत।
खाकर इनको हम बने, भोजन के मनमीत।।
विविध रूप, आकार है, जिनके विविध प्रकार।
गरम मसाले स्वास्थ्य को, देते सद् आकार।।
गरम मसाले शुद्धतम् , रखते हैं टंकार।
इनका दीवाना हुआ, आज सकल संसार।।
-प्रो.शरद नारायण खरे