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अटल बिहारी वाजपेयी ने उरई के रसगुल्लों की तारीफें की थीं...! 

अटल बिहारी वाजपेयी ने उरई के रसगुल्लों की तारीफें की थीं...! 

भारत के सियासत दानों में जवाहरलाल नेहरू सरदार पटेल के बादलोक प्रियता में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष व भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का भी बड़ा नाम रहा है। ग्वालियर में जन्मे अटलजी भारत के ऐसे सियासत दां रहे हैं जिन को देश दुनिया में अलग ही पहचान मिल सकी है। उनके कविहृदय होने से लेकर हिन्दी प्रेम से लेकर उच्च स्तरीय भाषण कला के मामले में भी उन्हें याद किया जाता रहा है। संसद में उन्हें नेहरू काल में भी लोक प्रियता हासिल थी। उन्हें डॉ. राममनोहर लोहिया के बराबर की लोकप्रियता हासिल रही है। अटलजी लोकप्रिय व मिलनसार राजनेता रहेथे। उनसे मुझे भी दो बार मिलने का मौका रहा था। एक बार उनके भांजे म.प्र. के लोकप्रिय वजीर रहे अनूप मिश्रा ने व एक बार संगीतकार सरोदवादक उस्ताद अमज़द अलि खॉन के पिता उस्ताद हाफिज़ अलि खान साहब के कार्यक्रम में 2002 में उनसे भेंट होने कागौरवमिलाथा। 
शेजवलकरसे खासप्रेम 
अटल बिहारी वाजपेयी संघ परिवार से थे पर उनमें कट्टरता बिल्कुल न थी। उनमें विद्वानों का आदर करने उन्हें खिलाने पिलाने का भी शौक रहा था। वो एक तरफग्वालियर के दौलतगंज के मंगोड़े खाते रहे थे, यहां के गोलगप्पे भी उन्हें पसन्द थे। वहीं बुन्देलखण्ड जालौन के उरई की जनसभा में यहां के रसगुल्लों का वर्णन तक किया।झांसी से कानपुर लाईन पर मायामाहिलका शहर उरई पड़ता उसके पास आते ही रसगुल्ले के स्वाद के चलते मुंह में पानी आ जाता है। ये बात अटलजी खूब चाव सेबताते रहे हैं। रसगुल्लों को कुछ लोग गुलाब जामुन भी कहते हैं। इन्हें उरई शहर में ही नहीं पूरे इलाके में लोकप्रिय मिठाई के तौर पर याद किया जाता है। उरई शहर राजमाता विजयाराजेसिंधिया का भी गृहनगर है। यहां उनके पिता ठाकुर डिप्टीमहेन्द्र सिंह एस.डी.एम. के पद पररहेथे। राजमाता के कई भाई हैं उनमें मामा ध्यानेन्द्र सिंह म.प्र. शासनमेंमंत्री रहे हैं। राजमाता को भा.ज.पा. की आत्मा कहा जाता है। एन.के. शेजवलकर ग्वालियर सांसद , उनके खास लाहकार थे। वो जनसंघ के म.प्र. के अध्यक्ष थे। सुन्दरलाल पटवा उनके मंत्री रहेथे। अटलबिहारी वाजपेयी ग्वालियर आने के दौरान अक्सर राजमाता सिंधिया व शेजवलकरजी के साथ ही घूमते ग्वालियर में देखे जातेथे। आज उनके पुत्र ग्वालियर से लोकसभा के सांसद व पूर्व महापौर हैं विवेक शेजवलकर। बुन्देलखण्ड के उरई के एक प्रख्यात लेखक अयोध्या प्रसादगुप्ता कुमुदजी के अनुसारउरई के रसगुल्ले की चर्चाअटलजी के कारण व इसकीगुणवत्ता के चलते पूरे देशभर में रही है। जैसी महाराष्ट्र के श्रीखण्ड की व कोलकत्ता में बंगाली मिठाई में रसगुल्लों की। इस इलाके में जालौन जिले के कालपी शहरजोउरई से 40 किलोमीटर पर मौजूद है उसका महाभारत के दौर से ही बड़ा नाम है। कालपी में यमुना की एक सहायक नदी पारस नदी रही थी जो वेदव्यासजी के पिताऋषि पारस से जुड़ी है। यहीं वेदव्यास जी का जन्म होना बताया जाता है। इतिहास में भी इसकेप्रमाण हैं। उरई, जालौन से अकबर बादशाह के प्रिय मित्र राजा बीरबल का भी नाम जुड़ा है। उनके दो स्मारक बीरबल का राजमहल व बीरबल की टकसाल भी काल पी में हैं। ये कानपुर झांसी राजमार्ग पर मौजूद है। कालपी रेल्वे स्टेशन भी है। जालौन जिला उत्तरप्रदेश का सबसे पिछड़ा जिला एक दौरमें 80 के दशक में माना जाता रहा है पर अब विकास से अच्छा चल रहा है। यहां की सड़कें उरई से कालपी व उरई से जालौन देखीं जो ग्वालियर व जबलपुर से भी काफी बेहतरहैं। यहां के सांसद भानूप्रसादजी काफी लोकप्रिय व सक्रिय हैं। 
(लेखक - नईम कुरेशी)

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