योगगुरू बाबा रामदेव ने आज कोरोना की नई दवा लॉन्च की है। पतंजलि का दावा है कि नई दवा साक्ष्यों पर आधारित है। नई दवा के लॉन्च के मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मौजूद रहे उससे लोगों विश्वास इस ओर ज्यादा बढ़ा है। पतंजलि योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव कोविड-19 के लिए देश की पहली आयुर्वेदिक दवा 'दिव्य कोरोनील टैबलेट' ले आए हैं। इसे गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल का मिश्रण बताया जा रहा है। निर्माताओं का दावा है कि इससे 14 के अंदर कोरोना ठीक हो जाएगा। ट्रायल के दौरान करीब सत्तर फीसदी लोगों के केवल तीन दिन में ही ठीक होने का दावा किया गया है।गर्व की बात है कि आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल टैबलेट को कोरोना की दवा के तौर पर स्वीकार कर लिया है। पतंजलि का कहना है कि नई कोरोनिल दवा CoPP-WHO GMP सर्टिफाइड है। दवा लांच.करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि योग आयुर्वेद को रिसर्च बेस्ड ट्रीटमेंट के तौर पर चिकित्सा पद्धति के रूप में अपनाया जा रहा है।
कोरोना की नई दवा लॉन्च करने के बाद बाबा रामदेव ने बताया कि मुझ पर पिछले तीन दशकों से कितने सवाल उठे हैं, जब मैंने कहा था कि बीमारियों को कंट्रोल नहीं आप खत्म कर सकते हैं, अब सारे सर्टिफिकेशन के साथ हमारे पास 250 से अधिक रिसर्च पेपर है, अकेले कोरोना के ऊपर 25 रिसर्च पेपर हैं ,अब कोई दुनिया में सवाल नहीं उठा सकता। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कोरोनिल का इस्तेमाल पहले से लोग कर रहे थे, लेकिन अब डीजीसीए के बाद हमें डब्लूएचओ से अप्रूवल मिल गया है, ये 154 देशों के लिए अप्रूवल मिला है, इसके बाद हम अब आधिकारिक रूप से कोरोनिल का निर्यात कर सके हैं, हम वैज्ञानिक पद्धति से कोरोनिल पर रिसर्च किया। बाबा रामदेव ने कहा कि हेल्थ के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर और ग्लोबल लीडर बन रहा है, योग और आर्युवेद को हम वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, पतंजलि ने सैकड़ों रिसर्च पेपर अब तक पब्लिश किए हैं, हमने योग क्रियाओं को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ दुनिया के सामने रखा है। बाबा रामदेव ने कहा, 'जब हमने कोरोनिल के जरिए लाखों लोगों को जीवनदान देने का काम किया तो कई लोगों ने सवाल उठाए, कुछ लोगों के मन में रहता है कि रिसर्च को लेकर कई तरह के शक किए जाते हैं, अब हमने शक के सारे बादल छांट दिए हैं, कोरोनिल से लेकर अलग-अलग बीमारी पर हमने रिसर्च किया है.' वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, पतंजलि के अनुसंधान का देश को फायदा तो होगा ही, पर वैज्ञानिक रूप से यह काम करने के लिए बाबा रामदेव और आचार्च बालकृष्ण का धन्यवाद करता हूं, जो अब वैज्ञानिक आधार लेकर फिर से जनता के सामने आए हैं, तो निश्चित तौर पर लोगों का विश्वास और इस पर बढ़ेगा।' आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की तारीफ करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कोरोना काल में आयुर्वेद पद्धति पर लोगों का विश्वास बढ़ा है, कोरोना से पहले आयुर्वेद का मार्केट हर साल 15 फीसदी बढ़ रहा था, लेकिन कोरोना के बाद इसमें 50 से लेकर 90 फीसदी का उछाल आया है, भारत ही दुनिया के लोगों का विश्वास आयुर्वेद पर बढ़ रहा है। कोरोना से लड़ाई में भारत के लोग अपने तरीके आजमा रहे हैं। कहीं हल्दी वाला दूध है तो कहीं तुलसी वाला पानी और कहीं गौमूत्र. वैज्ञानिक आधार ना होने के बावजूद भारत में इसका एक बड़ा बाजार बन गया है।
भारत में आयुर्वेद 5,000 साल पहले लिखा गया और उसके कम से कम दो गुना समय पहले से हमारे आस पास मौजूद है। इसने प्लेग से लेकर चेचक और दूसरी कई महामारियां देखी हैं, इसलिए लोग कह रहे हैं - चलो देखते हैं, शायद यह काम कर जाए। "आयुर्वेद यानी "जीवन का विज्ञान" और दूसरे इलाजों को सरकार भी खूब बढ़ावा दे रही है। 2014 में सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार में इसके लिए बकायदा अलग से आयुष मंत्रालय का गठन किया गया। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा, सोवा रिग्पा और होम्योपैथी को शामिल किया गया है। जनवरी में आयुष मंत्रालय ने पारंपरिक इलाजों को कोरोना वायरस से लड़ने का उपाय बताया. हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने बिना लक्षण वाले कोविड के हल्के संक्रमण से पीड़ितों का इलाज आयुर्वेद और योग से करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। केमिस्ट की दुकानों में अब आयुर्वेद की दवाएं अंग्रेजी दवाओं के साथ ही प्रमुखता से रखी जा रही हैं। दिल्ली में दूध बेचने वाली मदर डेयरी का कहना है कि उसके नए प्रॉडक्ट बच्चों के लिए "हल्दी वाला दूध" को भरपूर खरीदार मिले हैं। मदर डेयरी के प्रॉडक्ट चीफ संजय शर्मा ने बताया, "मांग बहुत, बहुत ज्यादा है तो हम इसके प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन को बढ़ा रहे हैं। "संजय शर्मा कहते हैं, "सेहत और प्रतिरक्षक क्षमता को बढ़ाने वाले सामान एक नई घटना हैं। यह एक मौका है ग्राहकों को सावधानी वाली स्वास्थ्यवर्धक चीजें किफायती दामों पर मुहैया कराने का."
(लेखक- अशोक भाटिया )
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कोरोना काल ने बढाया आयुर्वेद व देशी दवाओं का मान, सरकार ने भी दिया प्रोत्साहन