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अश्विन की स्पिन गेंदबाजी और बल्ले का साहस दोनों का जलवा बरकरार रहा 

अश्विन की स्पिन गेंदबाजी और बल्ले का साहस दोनों का जलवा बरकरार रहा 

नई दिल्ली । वर्तमान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सीजन के सबसे आत्मविश्वास से भरे खिलाड़ी के रूप में  आर अश्विन ने अपनी अलग पहचान बनाई। अपनी शानदार स्पिन गेंदबाजी से उन्होंने दिखाया कि भारत के खिलाफ जीत आसान नहीं है। बल्ले से भी उन्होंने साहस दिखाते हुए एक टेस्ट मैच बचाया। उन्होंने एक शानदार पारी खेलकर हमें जीत भी दिलाई, इसे सभी ने सराहा भी। अश्विन इस सीजन में टीम इंडिया की सफलता के मुख्य किरदार रहे हैं। पहले ऑस्ट्रेलिया और अब घर में उन्होंने समय पर उपयोगिता साबित की। इसके कारण कई मैच के परिणाम बदल गए। हर बार जब समस्या आई या मौका मिला। उन्होंने इसे स्वीकार किया। चाहे बल्लेबाजी की बात रही है या फिर गेंदबाजी की। इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में 29वीं बार विकेट लेने का कारनामा किया। वे सीजन में 237 रन भी बना चुके हैं। किसी अन्य खिलाड़ी के पास इस तरह के आंकड़े नहीं हैं। काइल जेमिसन ने भी बतौर ऑलराउंडर प्रदर्शन किया है लेकिन उनकी सफलता घर में आई है और वो भी कमजोर विरोधी टीम के खिलाफ।
इस दौरान भारत की दो बड़ी टीमों से भिड़ंत हुई। पहली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उसके घर में। दूसरी इंग्लैंड से, जो श्रीलंका को उसके घर में 2-0 से हराकर आई है। इन दोनों सीरीज में अश्विन ने गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों से लोहा मनवाया। ऑस्ट्रेलिया में टीम ने सीरीज जीती। अश्विन ने तीन टेस्ट में 12 विकेट लिए। इस दौरान उन्होंने दुनिया के बेस्ट स्पिनर माने जाने वाले नाथन को पीछे छोड़ा। इतना हीं नही मेलबर्न में शानदार बल्लेबाजी करके और कप्तान रहाणे के साथ मिलकर सीरीज बराबर की। यह इस लिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि हम पहले टेस्ट की दूसरी पारी में हम सिर्फ 36 रन पर ऑलआउट हो गए थे। इसी के दम पर हम ब्रिस्बेन में अंतत: सीरीज जीतने में सफल रहे। बल्ले से आंकड़ों के लिहाज से अश्विन का प्रदर्शन अच्छा दिखाई नहीं पड़ता है। उन्होंने सिर्फ 79 रन बनाए। लेकिन सिडनी में उन्होंने नाबाद 39 रन की पारी खेली और हनुमा विहारी के साथ मिलकर टेस्ट बचाया।
मैच का ड्रॉ होना मनोवैज्ञानिक तौर पर भारत की जीत थी। इसी आत्मविश्वास और प्रेरणा के दम पर टीम इंडिया ने अंतिम मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराया। हालांकि इस मैच में अश्विन नहीं खेले थे। इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट में अश्विन अब तक 17 विकेट ले चुके हैं और 159 रन भी बना चुके हैं। इसमें दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में 106 रन की शानदार पारी भी शामिल है। यह उनका पांचवां शतक और बिना किसी संदेह के सबसे अच्छा शतक। सिडनी और चेपॉक की टर्निंग पिच पर उन्होंने जिस तरह की बल्लेबाजी की, जहां कई बल्लेबाज संघर्ष कर रहे थे। इसने दिखाया कि वे एक टॉप ऑर्डर बल्लेबाज की तरह खेल रहे थे ना कि नंबर-8 की तरह। मौजूदा सीजन में अश्विन के खेल को अन्य पर बढ़त मिली है। इसे अनुभव के साथ जोड़ा जा सकता है क्योंकि वे लगभग एक दशक से खेल रहे हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बदलाव मानसिकता में है। वे पूरे सीजन में बल्लेबाजी और गेंदबाजी में पूरी तरह से नियंत्रित दिखे। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ हमने देखा कि वे एक प्रतिभाशाली और सफल ऑफ स्पिनर ही नहीं है बल्कि मास्टर भी हैं। इस दौरान उन्होंने नियंत्रण के साथ स्मिथ, वार्नर, लबुशेन, रूट और स्टोक्स को परेशान किया।
हर बार जब भी अश्विन के हाथ में गेंद होती थी तो लगता था कि उनके पास यह प्लान था कि किस खिलाड़ी को किस तरह से आउट करना है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बल्लेबाज की लाइन, लंबाई, एंगल पर काम किया। इसका उन्हें शानदार फायदा भी मिला। ऐसा लग रहा है कि वे बल्लेबाज के दिमाग को पढ़ रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने जो तीन टेस्ट खेले, उसमें उन्होंने स्मिथ को बांधे रखा। खासतौर पर पहले दो टेस्ट में। इस कारण ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी पूरी तरह से बिखर गई और इसका फायदा टीम इंडिया को मिला। इंग्लैंड के खिलाफ सिर्फ भारतीय पिच के हिसाब से उन्होंने खुद को तैयार किया। लेकिन विरोधी टीम पर उनका प्रभाव एक जैसा ही है। रूट ने हालांकि शानदार दोहरा शतक लगाया। लेकिन कोई अन्य बल्लेबाज अश्विन के खिलाफ सहज महसूस नहीं कर रहा है। गेंदबाजी से उनके शानदार प्रदर्शन ने उनकी बल्लेबाजी पर भी प्रभाव डाला है। शुरुआती दिनों में एक फ्रंटलाइन बल्लेबाज रहे अश्विन ने एक बार फिर से रन बनाने की कला को खोज लिया है।
 

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