हाल ही में महाराट्र सरकार ने कारवैन टूरिज्म को मान्यता दे दी है। गुरुवार को ही मंत्रिमंडल की बैठक में पर्यटन नीति के तहत इसे मंजूरी दी गई है। इसके तहत अब छोटी बड़ी गाड़ियों में रहने पकाने खाने की सुविधा का उपयोग किया जा सकेगा और इनके लिए अलग से पार्किंग बनाई जाएगी।सरकारी जानकारी में जानकारी दी गई है कि पर्यटन नीति 2016 के प्रावधानों के तहत पर्यटकों को कारवैन और कारवैन पार्क सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कारवैन पर्यटन नीति को अमल में लाने की मंजूरी दी गई है। कारवैन पार्क और कारवैन दो हिस्सों में इस नीति को बांटा गया है। राज्य सरकार के मुताबिक इससे राज्य में अलग-अलग हिस्सों में विविध प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन स्थलों का लाभ पर्यटक ले सकेंगे और इससे रोजगार भी बढ़ेगा।पर्यटन नीति 2016 के मुताबिक जो लाभ पर्यटन से जुड़े अन्य उद्योगों को मिल रहे हैं, जैसे स्टैंप ड्यूटी में छूट, जीएसटी का रिटर्न, बिजली की दरों में छूट, वही सब कारवैन पार्क और कारवैन पर्यटन को भी मिलेंगे। कारवैन पर्यटन नीति के तहत कारवैन और कारवैन पार्क का रजिस्ट्रेशन टूरिज्म डायरेक्टरेट में कराना अनिवार्य होगा।
कारवैन और कारवैन पार्क के संचालकों को टूरिज्म डायरेक्टरेट की तरफ से मार्केटिंग, स्वच्छता और मैनेजमेंट का प्रशिक्षण दिया भी जाएगा। साथ ही कारवैन और कारवैन पार्क के प्रचार प्रसार में भी मदद की जाएगी। इससे पर्यटकों को रहने की नई सुविधा के साथ-साथ निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा। होटल और रिसॉर्ट में रुकने के पारंपरिक तरीके के बजाय लोग एक नया अनुभव ले सकेंगे। राज्य के दुर्गम इलाकों में इससे नए रोजगार पैदा होंगे।कारवैन नया शब्द नहीं है यह विदेशों में काफी प्रचलित है | कारवैल का मतलब छोटी-बड़ी ऐसी गाड़ी, जिसमें सोने, रहने, ठहरने के लिए आरामदेह बिस्तर, किचन, टॉयलेट, सोफा-टेबल और जरूरत की तमाम सुविधाएं मौजूद होती हैं। कारवैन कई तरह की होती हैं ।बताया जाता है कि मूलभूत सुविधाओं से संपन्न जगहों पर कारवैन पार्क बनाए जाएंगे। जहां छोटी बड़ी, सिंगल एक्सेल, मल्टी एक्सेल कारवैन पार्क की जा सकेंगी। कारवैन पार्क सरकारी और प्राइवेट दोनों जगहों पर बनाए जा सकेंगे। जहां पर तमाम मूलभूत सुविधाएं मौजूद होंगी। इस बारे में ज्यादा जानकारी महाराष्ट्र टूरिज्म की वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जा रही है।
इस उद्योग को महाराष्ट्र तक ही सीमित न रख हर राज्य को अपनाने की जरुरत है क्योकि पर्यटन भारत का सबसे विशाल सेवा उद्योग है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन क्षेत्र का प्रत्यक्ष योगदान 37 प्रतिशत है जबकि कुल प्रत्यक्ष एंव अप्रत्यक्ष योगदान 6.8 प्रतिशत है। देश के रोजगार मे पर्यटन क्षेत्र का प्रत्यक्ष योगदान 4.4 प्रतिशत है, जबकि कुल प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष योगदान 10.2 प्रतिशत तथा अर्द्धकुशल श्रमिकों को भी बेहतर रोजगार उपलब्ध कराता है। भारत में पर्यटन क्षेत्र इस बात का प्रमाण है, कि पिछले दशक में इस क्षेत्र में संतोषजनक बढोतरी हुई है। भारत मे वर्ष 2012 के दौरान 60 लाख 58 हजार विदेशी पर्यटक आए जबकि 2012 मे घरेलू सैलानियों की संख्या एक अरब 2 करोड़ 70 लाख रही है। महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में पर्यटन का विशेष योगदान है। पर्यटन के क्षेत्र में कार्यरत कुल श्रमिक बल में 70 प्रतिशत महिलाएं है। पर्यटन निम्न आयवर्ग महिलाओं के लिए भी आय के बेहतर स्त्रोत विकसित करने में सक्षम है। वैश्विक स्तर पर भी अन्य क्षेत्रों के मुकाबले पर्यटन क्षेत्र में लगभग दोगुनी संख्या में महिलाएं कार्यरत है। इस दृष्टि से पर्यटन क्षेत्र समाज में समानता तथा सामाजिक न्याय को समर्थन देने का भी माध्यम है। 12 वी पंचवर्षीय योजना में तेजी से विकसति होते सेवा क्षेत्र के बनिस्बत पर्यटन क्षेत्र में कम से कम 12 प्रतिशत की वृद्धि करने का लक्ष्य रखा गया था
पर्यटन उद्योग की भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है। अन्य उद्योगों की तुलना में पर्यटन क्षेत्र में कम विनियोग से ज्यादा से ज्यादा रोजागार का सृजन होता है। विदेशी मुद्रा के अर्जन में पर्यटन का तीसरा स्थान है। भारत का पर्यटन क्षेत्र घरेलू पर्यटकों के साथ - साथ विदेशी पर्यटकों का भी गन्तव्य स्थल है। भारतीय पर्यटन में 26 विरासत स्थल, 25 जैव भौगोलिक झोन, 3 को टूरिज्म 6 हजार किलोमीटर समुद्री किनारा, एवं दर्जनों बीच, धार्मिक स्थल, सांस्कृतिक एवम् ग्रामीण पर्यटन के लिए श्रेष्ठ किस्म के स्थान है। पर्यटन में विनियोग गुणक प्रभाव देता है। गरीबी एवं बेराजगारी दूर करने का का यह एक अचूक साधन है ।
भारत की ओर पर्यटको को आकर्षित करने के उद्देश्य से देश के बारे में जागरूकता लाने और घरेलू एवं अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटको की सुविधा के लिए विभिन्न राज्यों के पर्यटन विभागों के सहयोग से अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए है। इनमें प्रमुख रूप से श्रीनगर में गोल्फ ओपन टूर्नामेंट, लेह में सिंधु दर्शन, नई दिल्ली में विरासत महोत्सव, हैदराबाद में अखिल भारतीय शिल्प मेला, जयपुर में अन्तर्राष्ट्रीय विरासत महोत्सव, हिमाचल प्रदेश में पैराग्लाइडिंग प्रदर्शनी और पर्यटन सम्मेलन देहरादून में विशाल लोक महोत्सव का आयोजन, कोच्चि में अन्तर्राष्ट्रीय लोक प्रदर्शनी आदि का आयोजन किया गया है। पर्यटन दुनियाभर के लोगों का पसंदीदा शगल रहा है। पर्यटन के क्षेत्र में संभावित वृद्धि की रणनीति को अपनाकर ग्रामीण पर्यटन का विकास किया जा सकता है। ग्रामीण विकास की धारणा को विकास का एक मजबूत मंच बनाया जा सकता है जो भारत जैसे देश में बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगी जहां कुल जनसंख्या की लगभग 74 फीसदी आबादी 70 लाख गांव में रहती है।
भारत जैसे देशों के लिए पर्यटन का खास महत्व होता यह केवल पुरातात्विक विरासत या संस्कृति केवल दार्शनिक स्थल के लिए नहीं होती है। इसे राजस्व प्राप्ति का भी स्त्रोत माना जाता है और साथ ही पर्यटन क्षेत्रों से कई लोगों की रोजी - रोटी भी जुड़ी होती है। आज विश्व के लगभग सभी देशों में पुरानी और ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण किया जाने लगा है। भारत असंख्य मोहक एवं पर्यटन स्थलों का देश है। चाहे भव्य स्मारक हो, प्राचीन मंदिर या मक़बरे हों, इनके चमकीले रंगों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रौद्योगिकी से चलने वाले इसके वर्तमान से अटूट सम्बन्ध है। केरल, शिमला, नासिक,शिर्डी, गोवा, आगरा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, मथुरा काशी, अब अयोध्या जैसी जगहें विदेशी पर्यटकों के लिए हमेशा पहली पसंद रही है। भारत में पर्यटन की उपयुक्त क्षमता है। यहां सभी प्रकार के पर्यटकों को चाहे वे साहसिक यात्रा पर हों, सांस्कृतिक यात्रा पर या वह तीर्थयात्रा करने आए हों, या खूबसूरत समुद्री तटो पर निकले हो सबके लिये खूबसूरत जगहें है। अनेक लोग देश के प्रमुख स्थलों की यात्रा कर देश के पर्यटन उद्योग को समुन्नत बनाने में योगदान देते है। आधुनिक युग में पर्यटन को एक व्यवसाय का रूप देने में लोगों की बढ़ती आर्थिक समृद्धि का भी बहुत बड़ा योगदान रहेगा । महाराष्ट्र सरकार ने कार वैन पर्यटन नीति को हरी झंडी देकर इसकी शुरुवात करदी अब सभी राज्यों को राज्यों के विकास के लिए गति मान बनाने की जरुरत हैं ।
(लेखक - अशोक भाटिया)
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महाराष्ट्र में पर्यटन उद्योग में खुले रोजगार के नए रास्ते, अन्य राज्यों को भी इसे अपनाने की जरुरत