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एक दौर में माधवराव की आंधी में अटल भी धराशाही रहे थे! 

एक दौर में माधवराव की आंधी में अटल भी धराशाही रहे थे! 

माधवराव सिंधिया के 1980 में कांग्रेस में शामिल हो जाने से कांग्रेस के ग्वालियर चम्बल संभाग के दर्जन भर कांग्रेसियों का भविष्य सिंधिया के पांव के तले कुचल दिया गया था, इसमें कोई शक नहीं माधवराव जी ऊर्जावान व विकास के मसीहा माने गये। उन्हें ग्वालियर इलाके को विकास से जोड़ा जो आमतौर पर उस दौर के नेता शुक्ल बंधु, डी.पी. मिश्रा, प्रकाश चन्द्र सेठी, गोविन्द नारायण सिंह नहीं कर सके थे। धार से कांग्रेस के आदिवासी नेता शिव भानू सिंह सोलंकी जो अर्जुन सिंह से भी ज्यादा विधायकों के समर्थन जुटाने में सफल हुए थे विकास के मामले में 5 सालों में एक पुलिया भर बनवाने में यकीन करते थे विकास करने में लोग। 
1980-81 में सिंधिया के कांग्रेस में शामिल हो जाने से ग्वालियर अंचल में पहली शताब्दी एक्सप्रेस 1985 में दिल्ली-भोपाल चलाई गई और भी तमाम तेज गति ट्रेन राजीव गांधी से सिंधिया ने स्वीकृत करा लीं, 7 ओवरब्रिज बनवा दिये। आई.आई.आई.टी. एम से लेकर तमाम केन्द्रीय संस्थान 2-2 अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम ग्वालियर को भेंट में दे दिए। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट मैचों से भी ग्वालियर अंचल का गौरव व नाम बढ़ा। सिंधिया खूब दान भी कराते थे करते थे। उस दौर में बालेन्दु शुक्ल, महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा, चन्द्रमोहन नागौरी, यशवंत सिंह कुशवाह भिण्ड के सांसद, मुरैना से मावई, शिवपुरी से के.पी. सिंह, शिव प्रताप सिंह, कप्तान सिंह सिंधिया के साथ कांग्रेस में आये थे जिससे मूल कांग्रेसी राजेन्द्र सिंह, ज्ञानेन्द्र शर्मा, भगवान सिंह यादव आदि के टिकट काटकर बालेन्दु शुक्ल आदि को दे दिये गये थे। ज्ञानेन्द्र शर्मा को विद्याचरण शुक्ल व गोविंद नारायण सिंह ने टिकट दिला दिया था जो बाद में सिंधिया की आंधी में बालेन्दु की झोली में जा गिरा था। सिंधिया जी ने भारतीय जनता पार्टी को यहां सत्ता से बेदखल भी 20 सालों तक कर रखा था। अटल बिहारी वाजपेयी तक को उनसे हार माननी पड़ी थी। अटल जी ने ग्वालियर को अपना घर ही नहीं माना पर सिंधिया जी ने विकास से यहां के लोगों को लवरेज कर दिया। उनका दिल जीत लिया। 
भगवान सिंह यादव 
भगवान सिंह यादव लश्कर से विधायक बनकर अर्जुन सिंह के खास लोगों में शुमार रहे पिछड़ों, दलितों व अल्पसंख्यकों में उनकी खास धाक रही है। उन्होंने गरीब तब्कों के लिए खूब काम किये नौकरशाही में व खासतौर से पुलिस वालों पर उनका रौब लम्बे समय तक रहा था। 1970-72 में तत्कालीन डी.आय.जी. एच.एम. जोशी के खिलाफ उन्होंने असरदार अभियान चलाया था। उन्हें जोशी के इशारों पर वाजपेयी नामक थानेदार ने झूठे मामले में बंदी भी बनाने की चर्चायें रहीं। आज भी 80 साल के यादव जी सहकारिता क्षेत्र के दिग्गजों में जाने माने लोगों में शुमार हैं। मैने 1980-81 में उन्हें खुद सायकलों पर चलते देखा है। वो पत्रकारों साहित्यकारों का भी खूब सम्मान करते देखे जाते हैं। 
सिंधिया मुक्त कांग्रेस 
अब कांग्रेस सिंधिया के आभामण्डल से मुक्त हो गई है कांग्रेसी नेता अजय जोहरी के अनुसार कांग्रेस के पुराने लाग अब फिर से सक्रिय होने जा रहे हैं। जौहरी माधवराव सिंधिया के समर्थक व महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा के साथी के तौर पर 40 सालों से कांग्रेस में रहे हैं। इस अंचल में सिंधिया के दौर में उनकी आंधी से जहां अटल जैसे लोग भी खेत रहे थे वहीं माधवराव ने अपने महल की पुताई के ठेकेदार तक को मुरैना से सांसद बनवा दिया था। सिंधिया पुरातत्व व स्मारकों के मामलों में मुझ से कई बार सहायता लेते रहे थे। अमर गायक तानसेन व उनके गुरु मोहम्मद गोस साहब के मकबरों के संरक्षण में सिंधिया व उनके खास सहयोगी महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा ने महान योगदान दिया था वरना पुरातत्व सर्वेक्षण के मुख्यालय जनपथ के अफसरान कहते थे हमारे पास 555 स्मारक हैं। हम क्या जाने तानसेन गोस साहब को। 1987 में अप्रैल में तत्कालीन संस्कृति मंत्री कृष्णाशाही को कड़ी फटकार लगाई थी। उसके बाद ही गोस साहब मकबरों पर विकास के काम 20 सालों से सफलतापूर्वक हो सके हैं। ग्वलियर चम्बल की महान नारियां रानी कुंती, दमयंती, बैजाबाई सिंधिया, गंगा बेगम पर फिल्म निर्माण 1990 में सिंधिया ने हमारे सुझावों पर कराया था। सिंधिया कला, संस्कृति, स्मारकों के बड़े प्रेमी थे। उन्हें विकास का जुनून भी था। शिवराज सिंह, आसिफ इब्राहिम, प्रशांत मेहता, बिमल जुल्का उनके पसंदीदा अफसरान रहे थे। शिवराज सिंह छत्तीसगढ़ में मुख्य सचिव रहे थे व काफी लोकप्रिय अफसर माने जाते रहे हैं। 
(लेखक -नईम कुरैशी)

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