गत वर्ष देश की आम जनता कोरोना महामारी की मार से त्रस्त रही तो इस वर्ष महंगाई की मार से त्रश्त होने वाली है। इस तरह की परिस्थिति में महंगाई की मार से आमजन को राहत दिलाने के वजाय देश के जननेता बेतुकी विवाद में उलझते नजर आ रहे है। देश में बढ़ती जा रही पेटोªल, डीजल एवं घरेलू गैस की कीमत में होती जा रही वृद्धि को सत्ता पक्ष के नेता उससे आमजन को राहत दिलाने के वजाय यह दलील देते हुये अपना बचाव करते नजर आ रहे कि आमदनी भी तो बढ़ी है। उन्हें यह नहीं मालूम कि आज के परिवेश में जहां बेरोजगारी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है, कितने लोगों की आमदनी बढ़ी है। जब कि आज की आम जनता कोरोना काल से ही बेरोजगारी से जूझ रही है। ऐसे समय में जहां कोरोना जैसे भयंकर महामारी अभी तक पूर्णरूपेण गई नहीं, आने वाली महंगाई को सह पाना निश्चित ही कठीन है। सरकार अपना वितीय कोष को बढ़ाने के लिये पेटोªल, डीजल पर टैक्स बढ़ा रही जिससे बाजार में महंगाई का बढ़ना स्वाभाविक है। पर इस संदर्भ में वितीय कोष कम करने की दिशा में कोई भी सकरात्मक कदम नहीं उठा रही जिससे महंगाई से जुड़े संसाधनों पर अतिभार न पड़े। इस दिशा में सरकार की ओर से दलील दी जा रही है कि पेटोªल एवं डीजल की कीमत तो पहले भी बढ़ती रही है। इस तरह का प्रतिउतर सत्ता पक्ष की ओर से दिया जाना आमजन के प्रति उतरदायित्वहिन दर्शाता है।
देश से अभी कोरोना महामारी का संकट दूर नहीं हुआ है तथा आमजन को रोजगार देने में वर्तमान सरकार लाॅली पाॅप दिखाकर भरमा रही है। नये कृषि नियम के माध्यम से बाजार मंडी को समाप्त कर कृषि व्यापार में जो एकाधिकार स्थापित करने का जो प्रयास है उससे महंगाई और बढ़ने के आसार बन रहे है। वर्तमान सरकार के सामने कोरोना महामारी से आमजन को पूर्णरूपेण मुक्ति दिलाकर फिलहाल महंगाई के आने वाले दौर से बचाने का दायित्व उसके कंधो पर है। केवल आमजन को सब्सीडी का सब्जबाग दिखाकर एवं महंगाई बढ़ने वाले संसाधन पर टैक्स लगाने से महंगाई से आमजन को राहत नहीं दिलाई जा सकती। आज देश में विपक्ष कमजोर अवश्य है पर बढ़ती महगाई सरकार के लिये संकट अवश्य पैदा कर सकती।
इस तरह के उभरते परिवेश में वर्तमान सरकार द्वारा सरकारी सम्पतियों की रक्षा करने के वजाय उसे निजी हाथों में दिये जाने के कदम से बेराजगारी एवं महंगाई को बढ़ने का अवसर मिलना सुनिश्चित है। नये कृषि नीति से नराज किसान सरकार के लिये संकट बनकर उभर सकते है। एक समय सरकार द्वारा देश में किसानों को विशेष राहत देने के लिये डीजल के दाम में वृद्धि नहीं की जाती। पेटोªल एवं डीजल के दाम में काफी अन्तर होता आज दोनों के भाव एक जैसे ही नहीं आसमान को छू रहे है। सभी को मालूम है कि डीजल मुख्य रूप से कृषि एवं सामानों के आवागमन संसाधनों से जुड़ा हुआ है जो सीधे तौर पर महंगाई बढ़ाने में सहायक है। निश्चित तौर पर सरकार के ये कदम महंगाई को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकते है जो महामारी सें भी खतरनाक साबित हो सकते।
(लेखक - डॉ. भरत मिश्र प्राची)
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