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 हम यौन उत्पीड़न के मामलों को नजरअंदाज नहीं होने दे सकते - सुप्रीम कोर्ट

 हम यौन उत्पीड़न के मामलों को नजरअंदाज नहीं होने दे सकते - सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली । मध्य प्रदेश  के एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह यौन उत्पीड़न के मामलों को नजरअंदाज नहीं होने दे सकता है। 
इस याचिका में एक जूनियर न्यायिक अधिकारी के लगाए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की थी, जिसके बाद पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज ने इसे चुनौती दी थी।  मुख्य न्यायाधीश एस। ए।बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'हम यौन उत्पीड़न के मामलों को नजरअंदाज होने नहीं दे सकते।' सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ में न्यायमूर्ति ए।एस। बोपन्ना और वी। रामासुब्रमण्यन भी शामिल थे।
मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता आर। बालासुब्रमण्यम से कहा, 'आप बहुत पतली रेखा पर चल रहे हैं, आप किसी भी समय गिर सकते हैं। आपके पास जांच में बरी होने का मौका हो सकता है, लेकिन आज जैसे कि मामला सामने है आप पहले ही दोषी हैं।' मामले में विस्तृत सुनवाई के बाद, शीर्ष अदालत ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के विवाद से निपटने के लिए एक छोटा आदेश पारित करेगी और फिर याचिका को खारिज कर देगी। हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से कहा कि वह जांच में भाग लेने के लिए स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दे। 
16 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक पूर्व जिला न्यायाधीश के आचरण पर तीखी टिप्पणी की, जिन्होंने एक जूनियर अधिकारी को आपत्तिजनक और अनुचित संदेश भेजे और इस आचरण को 'फ्लर्ट' के रूप में उचित ठहराया था।
शीर्ष अदालत ने कहा, 'व्हाट्सएप संदेश काफी अपमानजनक और अनुचित हैं। एक जज के लिए जूनियर अधिकारी के साथ यह आचरण स्वीकार्य नहीं है।'
 

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