कोलकाता । पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तिथियों का ऐलान हो गया लेकिन अभी तक तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं की है। यहां की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने इस बार पार्टी की एक परंपरा को तोड़ दिया है। पिछले लोकसभा चुनाव तक जिस दिन मतदान तिथि का निर्वाचन आयोग की ओर से ऐलान होता था, उसी दिन ममता अपने पार्टी प्रत्याशियों की सूची जारी कर देती थीं। उनका तर्क होता था कि एलान के साथ सभी नेता तत्काल मैदान प्रचार के लिए कूद जाएं। परंतु, इस बार स्थिति कुछ अलग है। प्रत्याशियों के नामों को लेकर तृणमूल कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा में भी माथापच्ची चल रही है। इसका प्रमाण दोनों ही दलों के पार्टी मुख्यालय में उम्मीदवारी के दावे के लिए लगाए गए ड्राप बॉक्स हैं। अगर बात तृणमूल कांग्रेस की करें तो स्थिति कुछ और है, वहीं भाजपा के लिए कुछ और।
तृणमूल के कई कद्दावर नेता, विधायक, मंत्री पार्टी छोड़ चुके हैं। उनमें से सुवेंदु अधिकारी, राजीब बनर्जी जैसे नेता भाजपा में चले गए हैं। कई पार्टी में रहते हुए अब भी क्षुब्ध हैं और इंतजार कर रहे हैं कि इस बार टिकट मिलता है या नहीं। कुछ तो ऐसे हैं जो पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि टिकट नहीं मिलने पर राजनीति ही छोड़ देंगे। वहीं कुछ स्वघोषित प्रत्याशी बन गए हैं और उनके पक्ष में दीवार लेखन भी शुरू हो गया है।
ऐसे में सभी 294 सीटों की प्रत्याशी सूची जारी करने पर बगावत और गुटबाजी तेज हो सकती है। यही वजह है कि ममता ने भी अन्य दलों की तरह ही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कहने पर धीरे चलों की नीति अपना रही हैं। हो सकता है कि चरणबद्ध तरीके से ममता भी भाजपा, कांग्रेस की तरह प्रत्याशियों की सूची जारी करें। यही वजह है कि चुनाव के एलान वाले दिन ममता के नेतृत्व में तृणमूल में 12 सदस्यीय चुनाव कमेटी गठित हुई है।
भाजपा के लिए तृणमूल से आए नए नेताओं और पार्टी के पुराने नेताओं को लेकर भी परेशानी हैं। क्योंकि, तृणमूल छोड़कर जो भी विधायक इसी उम्मीद में आए हैं कि उन्हें भाजपा से मौका मिलेगा। वहीं वर्षों से जो उक्त इलाकों में भाजपा का झंडा उठा रहे हैं वह भी टिकट मिलने की उम्मीद पाल रखे हैं। ऐसे में पार्टी के भीतर असंतोष भी बढ़ सकता है। यही वजह है कि बंगाल की चुनावी कमान संभाल रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उम्मीदवारों के चयन के लिए कई स्तर पर स्क्रीनिंग करा रहे हैं ताकि जिताऊ प्रत्याशी को ही मैदान में उतारा जा सके। वहीं ड्राप बाक्स में भाजपा के पास आठ हजार से अधिक बायोडाटा जमा हो चुके हैं जिसे शॉर्टलिस्टेड किया जा रहा है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि कौन दल पहले प्रत्याशियों की सूची जारी करता है।
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प्रत्याशी चयन के लिए भाजपा-तृणमूल में माथापच्ची, उम्मीदवारी के लिए लगाए ड्राप बाक्स