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 देश के किसानों ने 70 साल में लगभग सभी पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिया, लेकिन सबने किसानों को धोखा दिया : अरविंद केजरीवाल

 देश के किसानों ने 70 साल में लगभग सभी पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिया, लेकिन सबने किसानों को धोखा दिया : अरविंद केजरीवाल

नई दिल्ली/मेरठ आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश के मेरठ में किसान महापंचायत को संबोधित किया। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश के किसानों के सामने अब ‘करो या मरो’ की स्थिति है। इसलिए किसान दिल्ली के बाॅर्डर पर तीन महीने से बैठे हैं और अब तक 250 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं। किसानों के लिए यह तीनों कानून डेथ वारंट जैसा है। केंद्र सरकार किसानों की खेती चंद पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है। ऐसा होने पर किसान अपने ही खेत में मजदूर बनने को मजबूर होगा। उन्होंने कहा, मेरठ में आयोजित किसान महापंचायत में केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ हर तरफ गुस्सा देखने को मिला। चारों तरफ से यही आवाज आ रही थी कि कृषि से जुड़े काले कानून वापस हों। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि हम एमएसपी लागू नहीं करेंगे। किसानों पर जितना अत्याचार केंद्र की भाजपा सरकार ने किए हैं, उतना तो अंग्रेजों ने भी नहीं किए। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता कह रहे हैं कि एमएसपी है और रहेगी, तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ एक मंडी बता दें, जहां एमएसपी पर फसल ली जा रही हो। 
मेरठ में आयोजित किसान महापंचायत में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह के अलावा कैबिनेट मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, भगवंत मान, ‘आप’ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत, दिलीप पांडे, खाप के चौधरी, किसान नेता और अन्य विधायक मौजूद रहे। इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने चौधरी चरण सिंह और चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रृद्धांजलि दी।
-पिछले तीन महीने में 250 से अधिक किसान शहीद हो गए, फिर भी केंद्र सरकार के उपर जू नहीं रेंग रही- अरविंद केजरीवाल
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज मेरठ में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित किया। ‘आप’ संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज हमारे देश का किसान बहुत ज्यादा पीड़ा में है, आज हमारे देश का किसान बहुत ज्यादा दुखी है। किसानों को 3 महीने से ज्यादा हो गए। पिछले 95 दिनों से कड़कती ठंड में दिल्ली के बॉर्डर पर हमारे किसान भाई अपने परिवार और छोटे-छोटे बच्चों के साथ धरने पर बैठा हुआ है। ऐसे धरना करने में किसी को मजा नहीं आता है। ऐसे ठंड में अपने शरीर को गलाने में किसी को मजा नहीं आता है। 250 से अधिक किसान भाइयों की शहादत हो चुकी है। पिछले 3 महीने के अंदर 250 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार के उपर जू नहीं रेंग रही है। पिछले 70 साल में इस देश के किसान ने केवल और केवल धोखा देखा है। सारी पार्टियों और सरकारों ने अपने किसानों को धोखा दिया। 70 साल में कई सरकारी आईं। 70 साल में इस देश के लोगों ने लगभग हर पार्टी को सरकार बनाने का मौका दिया, लेकिन सभी पार्टियों की सरकारों ने किसानों को धोखा दिया। किसान पिछले 70 साल से क्या मांग रहा है? वह कहता है कि मेरी फसल का सही दाम दे दो। सभी पार्टियों के घोषण पत्र उठा कर देख लो। पिछले 70 साल में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर इतने चुनाव हो लिए। हर पार्टी की घोषणा पत्र में लिखा होगा कि हमारी सरकार बना दो, हम तुम्हें सही दाम देंगे। यह सभी पार्टियां कहती हैं। चुनाव से पहले सारी पार्टियां कहते हैं कि हम आपको सही दाम देंगे, लेकिन एक भी पार्टी की सरकार ने आज तक किसानों को फसल का सही दाम नहीं दिया। अगर आज फसल के सही दाम मिल जाते, तो हमारे देश का किसान आत्महत्या नहीं करता, हमारे देश के किसान को लोन नहीं लेना पड़ता। आज हमारे देश का किसान कहता है कि हमारा लोन माफ कर दो। सारी पार्टियां चुनाव के पहले कहती हैं हमको वोट दे दो, हम तुम्हारा लोन माफ कर देंगे। हर पार्टी चुनाव के पहले कहती है, लेकिन किसी पार्टी में नहीं किया और जीतने के बाद कहते हैं कि पैसा नहीं है।
-केंद्र सरकार के लाए गए तीनों कृषि कानून किसानों के लिए डेथ वारंट जैसा है : अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 25 साल से मैं 3.50 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है। हर चुनाव के पहले पार्टियां कहती हैं, तुम्हारे बच्चों को नौकरियां देंगे, लेकिन किसी पार्टी में नौकरी नहीं दी। किसी सरकार ने नौकरी नहीं दी। मैं सोच रहा था कि यह किसान बॉर्डर के ऊपर क्यों क्यों बैठे हैं, वह इतनी ठंड में क्यों बैठे हैं, वह अपना शरीर क्यों गला रहे हैं, अपनी शहादत क्यों दे रहे हैं, अपनी जिंदगी क्यों दे रहे हैं, क्योंकि अब जिंदगी और मौत की लड़ाई आ गई है? यह जो तीन कानून केंद्र सरकार ने बनाए हैं, यह किसानों का डेथ वारंट (मौत के वारंट) हैं। यह तीनों कानून लागू होने के बाद किसानों की जो बची खेती है, उसे केंद्र सरकार उठा कर के अपने तीन-चार बड़े-बड़े पूंजीपति साथियों के हाथों में सौंपना चाहती है। सबकी खेती चली जाएगी, सबकी खेती उन पूंजीपतियों के हाथ में चली जाएगी और जो किसान आज अपने खेत के अंदर हल जोतता है और किसानी करता है। वह किसान अपने खेत में मजदूर बनने के लिए मजबूर हो जाएगा, जो आज किसान अपने खेत का मालिक है। यह लड़ाई करो या मरो की लड़ाई है। इसलिए किसान आज बॉर्डर के ऊपर बैठा हुआ है, अपने शरीर को गला रहा है और अपनी शहादत दे रहा है।
-भाजपा ने 2014 के चुनाव में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कर किसानों को फसल की लागत का 50 प्रतिशत अधिक मुनाफा देने का वादा किया था : अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी 2014 में जब चुनाव लड़ी थी, तब इन्होंने अपने घोषणा पत्र में डाला था कि हम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे। प्रधानमंत्री जी ने भी पूरे देश के अंदर जाकर कहा था कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे। जो फसल का लगात है, हम उस पर 50 प्रतिशत किसानों को मुनाफा देंगे। एमएसपी उसके अनुसार लागू करेंगे। किसान विचारे भोले वाले हैं और सभी ने जमकर वोट दे दिया। लोगों को लगा कि अब क्रांति आने वाली है और इनकी भारी बहुमत से सरकार बन गई। सरकार बनने के 3 साल के अंदर इसी केंद्र की भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के अंदर एफिडेविट दाखिल किया है। केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एफिडेविट में सुप्रीम कोर्ट में लिखा है कि हम एमएसपी नहीं देंगे। 2014 में सरकार बनाने के 3 साल के अंदर इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में लिखकर दे दिया कि हम एमएसपी लागू नहीं करेंगे। यह तो किसानों के साथ धोखा हो गया। झूठ बोल कर किसानों के वोट ले लिए। किसान भोले भाले थे, 70 साल से धोखा खा रहे थे। किसानों ने सोचा कि इस बार इनकी बात मान ले, इनकी बातों में किसान आकर किसानों ने इन्हें वोट दे दिया।
-किसानों पर जितना अत्याचार केंद्र की भाजपा सरकार ने किए हैं, उतना तो अंग्रेजों ने भी नहीं किए : अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज पूरे देश के अंदर जिस तरह से केंद्र सरकार किसानों पर अत्याचार कर रही है, पानी की बौछारें बरसाई जा रही है, वाटर कैनन छोड़े जा रहे हैं, लाठियां बरसाई जा रही है, कीलें ठोंकी जा रही हैं, क्या किसान हमारे देश के दुश्मन हैं? यह हमारे देश के किसान हैं। ऐसा तो कोई दुश्मन के साथ भी नहीं करता है। ऐसा तो अंग्रेजों ने भी हमारे किसानों के साथ नहीं किया था। जब अंग्रेज थे, तब वह भी इतने जुल्म हमारे किसानों के साथ नहीं किए थे। जब अंग्रेज अपना लगान वसूल करने के लिए आते थे, तब वे भी ऐसे अत्याचार नहीं किए थे। कीलें ठोंकने का काम तो अंग्रेजों ने भी किए थे। तुमने तो अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया। अब ये हमारे किसानों पर झूठे मुकदमे कर रहे हैं।
यह लाल किले का कांड इन्होंने खुद कराया है। मेरे पास बहुत से लोग मिलने आते हैं। लोगों ने हमें बताया कि उन्हें रास्ता नहीं पता था। वो खड़े थे और कह रहे थे कि इधर से जाओ। हमें जानबूझ कर भेज रहे थे और जिन्होंने झंडे पर फहराए वे इनके अपने ही कार्यकर्ता थे। हमारा किसान कुछ भी हो सकता है। हमारा किसान अपनी जान दे सकता है, लेकिन हमारा किसान देशद्रोही नहीं हो सकता है। आज यह भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार हमारे किसानों पर देशद्रोह के मुकदमे चला रही है। इतनी हिम्मत तो अंग्रेजों ने नहीं की थी। अंग्रेज ने हमारे देश के किसानों के ऊपर देशद्रोह के मुकदमे नहीं चलाए थे, तुम हमारे देश के किसानों पर देशद्रोह के मुकदमे चला रहे हो। हमारे किसानों को आतंकवादी बोलते हैं। मैं आप सभी किसान भाइयों से पूछना चाहता हूं कि क्या आप सभी लोग आतंकवादी हैं? ऐसे हजारों-लाखों किसान हैं, जिनके दो बेटे हैं। उसमें एक बेटा आपको देश के बॉर्डर पर मिलेगा और दूसरा बेटा आज आपको दिल्ली के बॉर्डर पर मिलेगा। एक बेटा किसान है, दूसरा बेटा जवान है। आज जब हमारे देश के बॉर्डर के ऊपर सैनिक देखता है कि ये भारतीय जनता पार्टी वाले और उनकी केंद्र सरकार दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हुए मेरे भाई और बाप को आतंकवादी बोल रही है, तो आप सोच सकते हैं कि उसके सीने पर कितना दुख होता होगा।
-केंद्र सरकार ने मुझ पर दिल्ली के स्टेडियम को जेल बनाने का दबाव बनाया, लेकिन हमने स्टेडियम को जेल बनाने नहीं दिया : अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने शुरू से कंधे से कंधा मिलाकर इस आंदोलन में हिस्सा लिया है। मुझे याद है कि जब पंजाब से किसान चले थे, हरियाणा को पार कर रहे थे, जगह-जगह उनके ऊपर वाटर कैनन छोड़े गए, बैरिकेड लगाए गए, लाठियां बरसाई गई, केंद्र सरकार का पूरी योजना थी कि इनको दिल्ली आने से रोक हो, लेकिन वो भी पूरी बहादुरी के साथ केंद्र सरकार का सामना करते हुए दिल्ली के बॉर्डर पहुंच गए। फिर केंद्र सरकार ने योजना बनाई कि किसानों को दिल्ली में आ जाने दो। जब दिल्ली में आ जाएंगे, तो इन सब को पकड़ कर जेल में डाल देंगे। केंद्र सरकार ने मेरे पास एक फाइल भेजी। फाइल में लिखा था दिल्ली के 9 बड़े-बड़े स्टेडियम को जेल बनाएंगे। वह जेल बनाने की पाॅवर मेरे पास है, इनके पास नहीं है। इनको मेरे पास फाइल भेज नहीं पड़ी और उन्होंने मेरे पास फाइल भेजी। इसके बाद मेरे पास फोन पर फोन आने लगे कि फाइल को क्लियर कर दो। उन्होंने पहले प्यार से बोला, फिर धमकी दी, लेकिन हमने फाइल को क्लियर नहीं की और इनकों दिल्ली के स्टेडियम को जेल नहीं बनाने दिया। उस समय अगर हम स्टेडियम को जेल बन जाने देते, तो ये सभी को उठाकर जेल में डाल देते और सभी लोग जेल में पड़े रहते। मुझे याद है कि जब हम अन्ना आंदोलन में हुआ करते थे, तो कांग्रेस ने भी हमारे लिए स्टेडियम को जेल बनाए थे। मैं कई दिन स्टेडियम की जेल में रहा था। मुझे पता था कि अगर ये सभी को किसानों को उठाकर जेल में डाल दिए तो सारा आंदोलन खत्म हो जाएगा। हमने केंद्र सरकार को स्टेडियम में जेल बनाने नहीं दिया। 
-जब से किसान बार्डर पर बैठे हैं, तब से हमारी सरकार और पार्टी तन-मन-धन से उनकी सेवा कर रहे हैं : अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आकर बैठे हुए हैं, तब से हमारी सरकार की तरफ से, हमारी पार्टी की तरफ से, तन मन धन से हम उनकी पूरी सेवा कर रहे हैं। खाना बनाने और लंगर लगाने में मेरे सारे विधायक, सारे मंत्री, हमारे सारे कार्यकर्ता, हमारे सारे सरकार के अफसर, उन सब को लगा रखा है। यह मैं नहीं कह रहा कि मैं ही कर रहा हूं। वहां पर बहुत सारे लोग लगे हुए हैं, कई और संस्थाएं भी कर रही है। सभी लोग मिलकर कर रहे हैं, लेकिन पानी, टॉयलेट और फ्री वाईफाई आदि सभी व्यवस्थाएं करने में हम पूरी मदद कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 28 जनवरी की रात को, जो कुछ हमने टीवी पर देखा, मुझे यकीन नहीं हुआ। हमारे देश के महान किसान नेता बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के सुपुत्र राकेश टिकैट पिछले किसने दिनों से वे गाजीपुर बॉर्डर के ऊपर किसानों के लिए इतने दिन से अपने शरीर को गला रहे थे और सरकार ने अपनी पुलिस और गुंडे भेज कर उनके साथ जो व्यवहार किया, उनके आंसू आंखों से आंसू आ गए और वे भावुक हो गए। यह मुझे नहीं देखा गया। मैंने पहले संजय सिंह से बोला। संजय सिंह ने उनको फोन किया और फिर संजय सिंह ने मेरी उनसे बात कराई। मैंने राकेश टिकैत को एक ही बात बोली कि आप चिंता मत करो। आप बताइए, आपको क्या चाहिए, हम आपके साथ हैं। उन्होंने कहा कि पानी और टॉयलेट का इंतजाम करा दो। हमारे विधायकों ने तुरंत वहां पहुंच कर रातों-रात पानी और टॉयलेट की व्यवस्था की और जो भी चीजें उन्होंने कहा, उसकी व्यवस्था करा दी। हमने कहा आप डंटे रहो, हम आपके साथ हैं, सारे देश का किसान आपकी तरफ देख रहा है। 
-भाजपा नेता कह रहे हैं कि एमएसपी है और रहेगी, तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी की एक मंडी बता दें, जहां एमएसपी पर फसल ली जा रही हो : अरविंद केजरीवाल*
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह बीजेपी वाले घूम-धूम कर कह रहे हैं, केंद्र सरकार के मंत्री घूम-घूम कर कह रहे हैं कि यह एमएसपी है, एमएसपी था और एमएसपी रहेगा। मैं पूछना चाह रहा हूं कि उत्तर प्रदेश की एक मंडी बता दो, जहां पर एमएसपी पर फसल ली जा रही है। आज मैं योगी आदित्यनाथ से भी पूछना चाहता हूं कि उत्तर प्रदेश की एक मंडी बता दो, जहां पर एमएसपी धान लिया जा रहा हो या एमएसपी पर एक भी फसल उठती हो। हम भी उस मंडी को देखना चाहते हैं। फिर तुम यह झूठ क्यों बोलते हैं? सुबह-शाम झूठ बोलते हैं एमएसपी थी और एमएसपी रहेगी। एमएसपी कहां है? केंद्र सरकार से जब बातचीत चल रही थी तब किसान नेता इनसे मिलने के लिए गए थे। तब केंद्र सरकार का एक मंत्री बोला, एमएसपी नहीं दी जा सकती। एमएसपी क्यों नहीं दी जा सकती, तो वह कहता है कि इस पर 17 लाख करोड़ रुपए का खर्चा आएगा। मैं आज आपके सामने फार्मूला रख रहा हूं, अगर केंद्र सरकार सुनती हो तो सुन ले। इस देश में एक नया पैसा खर्च किए बिना 23 की 23 फसलों पर एमएससी लागू किया जा सकता है। 23 की 23 फसलों को एमएसपी पर सरकार उठा सकती है और इस पर सरकार का एक नया पैसा खर्च नहीं होगा। किसान नेता जब अगली बार बैठक करने जाएं, तो उनको यह फार्मूला बता दीजिए कि कैसे एमएसपी लागू हो सकती है। 
-केंद्र की भाजपा सरकार अपने पूंजीपति दोस्तों के 8 लाख करोड़ रुपए माफ कर सकती है, तो करोड़ों किसानों की खुशी के लिए एक-डेढ़ लाख करोड़ रुपए का घाटा बर्दाश्त क्यों नहीं कर सकती? : अरविंद केजरीवाल
‘आप’ संयोजक ने कहा कि ये कहते हैं कि 17 लाख करोड़ रुपए लगेंगे। 17 लाख करोड़ रुपए किसान फ्री में नहीं मांग रहा है, इसके बदले किसान आपको अपनी फसल देगा। किसान बदले में गेहूं, धान, मक्का, बाजरा देगा। केंद्र सरकार फसल के बदले में एमएसपी के ऊपर किसान को 17 लाख करोड़ रुपए देगी और सरकार के पास उस 17 लाख करोड़ रुपए कीमत की फसल आएगी। सरकार उस फसल को मार्केट में बेचेगी। बेचने के बाद सरकार के पास जो पैसा आएगा, हो सकता है किसी साल 17 लाख करोड़ का 18 लाख करोड़ आ जाए और एक लाख करोड़ रुपए का मुनाफा हो जाए। हो सकता है कि किसी साल में थोड़ा घाटा भी हो जाए। किसी साल में 17 लाख करोड़ रुपए के 16 लाख करोड़ रुपए आ जाएं। किसी साल में 17 लाख करोड़ रुपए के 20 लाख करोड़ रुपए भी आ जाए। इस तरह किसी साल में मुनाफा होगा, तो किसी साल में घाटा होगा और 10-15 साल में सब बराबर हो जाएगा। लेकिन फिर भी मान लिया जाए कि लाख-डेढ़ लाख करोड़ रुपए का सरकार को घाटा भी हो गया, तो हमारे देश के करोड़ों किसानों के परिवारों को खुश रखने के लिए, हमारे देश के करोड़ों किसानों की खुशहाली के लिए, अगर लाख-डेढ़ लाख करोड़ रुपए खर्च हो गए, तो सरकार उससे गरीब नहीं होगी। पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने अपने पूंजीपति साथियों के 8 लाख करोड़ रुपए का ऋण माफ कर दिया। अगर तुम 8 लाख करोड़ रुपए का ऋण इन अमीरों के माफ कर सकते हो, तो हमारे करोड़ों किसान का एक-डेढ़ लाख करोड़ रुपए का घाटा नहीं बर्दाश्त कर सकते क्या? इनकी नियत नहीं है, इनके नीयत में कमी है। 
-यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी से पूछना चाहता हूं कि उनकी क्या मजबूरी है कि वे मिल मालिकों को ठीक नहीं कर सकते : अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये एमएसपी की बात करते हैं। एसपी तो छोड़ो, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान को अपने गन्ने की कीमत का एक नया पैसा नहीं मिलता है, एमएसपी तो दूर की बात है। 18000 करोड़ रुपए ये मिल मालिक किसानों का लेकर बैठे हुए हैं। पंजाब में भी गन्ने की फसल का यही हाल है। किसान रात-दिन 24 घंटे मेहनत करके अपना गन्ना उगाता है, मालिक को देकर आता है और मालिक उसको दो-दो और तीन-तीन साल फसल का दाम तक नहीं देता है, वह क्यों नहीं देता है? कुछ दिन पहले मेरे पास कुछ लोग मिलने आए थे। उसमें एक किसान भी था। उसने बताया कि फसल दिए हुए 2 साल हो गए और अभी एक नया पैसा नहीं मिला है। मेरे घर में किसी को कैंसर हो गया है। मैं जब मिल मालिक के पास पैसे लेने गया, तो उसने बोला चीफ मेडिकल ऑफिसर से सर्टिफिकेट लेकर आओ कि तुमको कैंसर है। तब मैं तुम्हारे पैसे दे दूंगा। क्या हम भीख मांगने आए हैं। हम अपनी फसल तुम्हें दे रखी है, उस फसल के दाम लेने आए हैं। ये कह रहा है कि पहले सर्टिफिकेट लेकर आओ कि तुम्हारे घर में किसी को कैंसर है, तब मैं तुम्हें फसल का दाम दूंगा। वह भी 2 साल पुराना बकाया पैसा है। यह तो हद हो गई। मैं आदित्यनाथ योगी से पूछना चाहता हूं कि उनकी क्या मजबूरी है कि इन मिल मालिकों को ठीक नहीं कर सकते। 
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब मैं दिल्ली का मुख्यमंत्री बना। दिल्ली में तीन बड़ी-बड़ी बिजली की कंपनियां है। हमने जब दिल्ली का चुनाव लड़ा, तब हमने कहा था कि बिजली के दाम ठीक कर देंगे, बिजली कंपनियों को ठीक कर देंगे, बिजली 24 घंटा कर देंगे, बिजली मुफ्त कर देंगे। कई लोगों ने हमें समझाया इतने बड़े बड़े वादे मत करो, ये बिजली कंपनियां बहुत पावरफुल हैं, यह बड़ी शक्तिशाली हैं, इनके तार बहुत ऊंचे हैं, इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे। हमने 5 साल में इन बिजली कंपनियों को ठीक कर दिए। अब ये बिजली कंपनियां चूं नहीं करती हैं। पहले दिल्ली में 7-8 घंटे बिजली के कट लगा करते थे और 20-20 हजर के बिल आते थे। आज 24 घंटे बिजली आती है और बिजली का बिल जीरो आता है। लोगों को मुफ्त में बिजली मिलती है। दिल्ली के लोगों को मुफ्त में बिजली मिलती है और 24 घंटे बिजली मिलती है। मैं योगी जी से पूछना चाहता हूं कि आपकी क्या मजबूरी है कि आप की पूरी की पूरी सरकार इन चीनी मिल मालिकों के सामने घुटने टेक कर बैठी है। अगर आप मिल मालिकों से किसानों को फसल कीमत नहीं दिला सकते, तो लानत तुम्हारी सरकार पर। अगर दिल्ली की बिजली कंपनियां ठीक हो सकती है, तो उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें भी ठीक हो सकती हैं। फर्क केवल यह है कि सही नियत वाली सरकार लानी पड़ेगी, अच्छी नियत वाली सरकार लानी पड़ेगी और जिस दिन उत्तर प्रदेश में अच्छी नियत वाली सरकार आ गई। मैं कह कर जा रहा हूं कि इधर आप अपने ट्रैक्टर से मिल के अंदर गन्ना छोड़ कर आओगे और घर पहुंचेंगे, उससे पहले आपके खाते में उसकी कीमत आ जाएगी। यह मेरी गारंटी है। यह हो सकता है कि आप अपने गन्ने को मिल के अंदर छोड़ कर आओगे और घर पहुंचेंगे, उससे पहले अपने खाते में पैसा आ जाएगा। बात केवल नियत की है। 
-सरकार में आकर मैने एक चीज जानी है कि सरकार में पैसे की कमी नहीं है, सिर्फ नियत की कमी है : अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैंने दिल्ली में पांच-छह साल से इन बिजली कंपनियों को रेट नहीं बढ़ाने दिया। आज मैं इन बिजली कंपनियों को बुलाकर शाम को कहूं कि 6 साल हो गए, महंगाई बहुत बढ़ गई, आप 50 पैसे प्रति यूनिट बिजली के रेट बढ़ा। माल लीजिए कि बिजली कंपनियों को यह कह दूं, तो यह लोग कल शाम तक मेरे घर पर 200 करोड़ रुपए छोड़ जाएंगे। और कहेंगे कि यह पार्टी फंड में ले। डीजल, पेट्रोल, गैस सिलेंडर क्यों महंगे हो रहे हैं। खाद का कट्टा 50 किलो से 45 किलो का कर दिया और रेट भी बढ़ा दिया। मैं आपका बेटा हूं और आप सबका छोटा भाई हूं। मैं पिछले 6 साल से जब से सरकार में आया हूं, एक चीज सीखी है कि सरकार में पैसे की कमी नहीं है, सिर्फ नियत की कमी है। अच्छी नियत की सरकार ले आओ, 50 किलो का कट्टा 55 का हो जाएगा, गैस, पेट्रोल के दाम भी कम हो जाएंगे। पूरे उत्तर प्रदेश में ट्यूबवेल के 25-25 हजार रुपए ले रहे हैं। गांव में मीटर लगा दिए, जबकि दिल्ली में 75 प्रतिशत जनता की बिजली मुफ्त है। अच्छी नीयत वाली सरकार ले आओ, जैसे दिल्ली वालों ने अच्छी नीयत वाली सरकार लाई है, उनकी बिजली मुफ्त कर दी। यहां ट्यूबवेल का ही नहीं, आपके घर की बिजली भी हम मुफ्त कर देंगे। बहुत सारी से समस्या है, चारों तरफ से आवाज उठ रही है, इन्होंने किसानों के जिस तरह की समस्याएं कर रखी है। एक बड़ा पेचीदा प्रश्न है? लोग कह रहे हैं कि लाखों किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं, जब इतना बड़ा किसानों का आंदोलन चल रहा है, तो केंद्र सरकार यह तीनों काले कानून वापस क्यों नहीं ले रही है? केंद्र सरकार की क्या मजबूरी है? केंद्र सरकार ने इन पूंजीपतियों के सामने क्यों घुटने टेक रखी हैं? इन्होंने बयाना ले रखा है। आपका आंदोलन बहुत पावरफुल आंदोलन है। यह सिर्फ किसानों का आंदोलन नहीं है, यह इस देश के एक-एक भक्त का आंदोलन है। जो भी भारत से प्यार करता है, वह इस आंदोलन के खिलाफ हो ही नहीं सकता है। यह बहुत पवित्र आंदोलन है, यह इतना अच्छे तरीके से चलाया जा रहा है। किसी प्रकार की कोई हिंसा नहीं है। इतने प्यार और मोहब्बत के साथ सारे धर्म और जाति के लोग इसमें शामिल है। हर देशभक्त का फर्ज बनता है। आज मैं या कहने आया हूं कि मैं आपका बेटा, आपका छोटा भाई, पूरे तन मन धन से आपके इस आंदोलन में शामिल है। मैं उम्मीद करता हूं कि इसर केंद्र सरकार को आखिर में किसानों के सामने झुकना पड़ेगा।
वहीं, आम आदमी पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि आंदोलनजीवियों की वजह से ही यह देश आजाद हुआ। केंद्र सरकार उनका मजाक न उड़ाए। यह तीनों काला कानून, जो अपने चंद पूंजीपतियों मित्रों के लिए पास किया है, यह काला कानून केंद्र सरकार को वापस लेना ही पड़ेगा। इससे कम पर किसान मानने वाला नहीं है। किसानों की आवाज को देश की संसद तक पहुंचाना है। संजय सिंह ने कहा कि जब केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली के स्टेडियम को जेल बना कर उसमें किसानों को रखना है, तो केंद्र सरकार की आंख में आंख डाल कर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम आंदोलन से निकले हुए लोग हैं, जो भी सजा देनी, हमें सजा दे दो। हम देश के किसानों को जेल में नहीं रखने देंगे और अरविंद केजरीवाल ने स्टेडियम नहीं दिया। 
केजरीवाल सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि यह परीक्षा की घड़ी है। सोशल मीडिया पर आजकल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कविता पढ़ते हुए देखते होंगे। जिसमें वह कहते हैं कि मैं देश नहीं बिकने दूंगा। हमें बड़ी देर से समझ आया। वह कहते थे कि मैं देश नहीं बिकने दूंगा, जब मैं प्रधानमंत्री बनूंगा तो मैं खुद ही देश को बेचूंगा। एक वीडियो में वह कहते हैं कि रेलवे से मुझसे ज्यादा कोई प्यार नहीं कर सकता, जो लोग कहते हैं कि रेलवे बिक रहा है वह झूठ बोल रहे हैं, लेकिन आज तो सचमुच में रेलवे बिक रहा है। इसके अलावा एयरपोर्ट, बंदरगाह, गैस कंपनियां, बैंक और इंश्योरेंस कंपनियां बिक रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई किसान बच्चों के लिए 100 बीघा जमीन छोड़कर जाता है और उसके बच्चे अगर 100 बीघा जमीन में से 90 बीघा जमीन को बेच दे हैं तो ऐसे पुत्र को कपूत कहते हैं। ऐसे में देश की संपत्ति को बेचने वाले एक बार अपने गिरेबान में झांक कर देखें। मुझे लगता है कि उन्हें देश के लोगों से प्यार नहीं है। उन्हें अपने पूंजीपति दोस्तों से प्यार है। किसानों को लेकर जो तीन काले कानून आए हैं जब तक इन कानूनों का कच्चा मसौदा भी तैयार नहीं था, तब उनके बड़े-बड़े पूंजीपति दोस्तों ने नए बड़े-बड़े भंडारण केंद्र बना लिए थे। मोदी के जो बड़े पूंजीपति मोदी जी के मित्र हैं, उनको कैसे पता चल गया कि कृषि से संबंधित 3 कानून आने वाले हैं।
‘आप’ सांसद भगवंत मान ने कहा कि किसान दिल्ली के अलग-अलग सीमाओं पर 100 दिन से बैठे हैं। किसान अपने परिवार, बच्चों सहित धरने पर बैठे हैं। मैंने संसद में भी कहा था किसान को मौसम से मत डराओ। वह जब दिसंबर में अपने खेतों में पानी देता है, तो उसके हाथ-पैर नीले हो जाते हैं। उनको ठंड-गर्मी से मत डराओ। सबसे बड़ी दुखदायक बात यह है कि मोदी सरकार की तरफ उनको कैसे टैग दिए जा रहे हैं कि यह तो देशद्रोही, माओवादी, अर्बन नक्सली, आतंकवादी आ गए हैं। टिकरी, गाजीपुर, सिंघु सीमा जितने किसान बैठे हैं, उनमें से 80 फीसदी के बेटे-भतीजे देश की रक्षा करने के लिए चीन- पाकिस्तान के सीमा पर छाती ताने खड़े हैं। क्या आप उनके परिवारों को देशद्रोही बोलते हो? बीजेपी वालों को शर्म नहीं आती है। उन्होंने कहा कि मैं पंजाब की शहीद ए आजम भगत सिंह की धरती से शहीद मंगल पांडे की धरती को नमन करने आया हूं। जिसे 1857 में गदर खड़ा किया और सरकार की जड़े हिल गई थी। यह महापंचायत भी वही काम करने वाली है। इतिहास अपने आपको फिर दोहराएगा।
 

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