मेरठ । मेरठ में अब काई गरीब भूखे पेट सोने को मजबूर नहीं होगा। दरअसल, जिलें में कुछ लोग ऐसे हैं, जो बहुत ही कम पैसे में लोगों को भोजन उपलब्ध करवा रहे हैं। "सब की रसोईं" नाम की संस्था सिर्फ पांच रुपये में लोगों को भरपेट खाना खिला रही है। संस्था पिछले साढ़े तीन साल से यह नेक काम कर रही है, यहां रोज काउंटर पर इतनी भीड़ लगती है मानों कोई मेला लगा हो। दूसरी खासियत यह भी है कि लोग यहां पर खाने के स्वाद के दीवाने हैं। इस संस्था ने लॉकडाउन में भी समाजसेवा जारी रखी थी, लॉकडाउन के दौरान यहां रोजाना 2000 लोगों को भोजन के पैकेट बांटे जाते थे। महंगाई चाहे जितनी बढ़े, लेकिन इस संस्था में भोजन का रेट पिछले साढ़े तीन साल में पांच रुपए से छह रुपए नहीं हुआ। संस्था के लोगों का दावा है कि रोजाना यहां हजारों लोग खाना खाने आते हैं। यह संस्था लॉकडाउन के दौरान भी जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराती थी।
इस संस्था को चलाने वाले डॉक्टर एस.के. सूरी का कहना है कि वो आजीवन ऐसे ही लोगों को पांच रुपए में भोजन करवाते रहेंगे, चाहे महंगाई कितनी ही बढ़ जाए। वर्तमान में "सब की रसोईं" मेरठ के बच्चा पार्क, बेगमपुल, मेडिकल कॉलेज, जेलजुंगी, दिल्ली रोड सहित कुल ग्यारह जगहों पर चलाई जा रही है। इन ग्यारह जगहों में इस रसोईं में रोजाना हजारो लोग पांच रुपए में भोजन करते हैं। सब की रसोई की थाली में कभी कढ़ी चावल, कभी राजमा चावल, कभी दाल-चावल तो कभी मौसम के हिसाब से खाना दिया जाता है। खाने का मैन्यू भी रोज बदलता है। सब की रसोईं ने कईयों को रोजगार भी दिया है। बाकयदा सभी कर्मचारियों को आई-कार्ड भी दिया गया है, यहां काम करने वाले लोग भी बेहद खुश रहते हैं कि वो ऐसी संस्था से जुड़े हैं, जो इतना नेक काम करती है। सूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अपनी नानी को अपना प्रेरणास्रोत मानते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भूखे को खाना खिलाने से बड़ा पुण्य कोई और नहीं हो सकता। कोई भूखा न रहे, सबको दो वक्त का भरपेट भोजन मिले। इसी सोच के साथ मैंने ‘सब की रसोई' की शुरुआत की थी।
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मेरठ में अब गरीब भूखे पेट सोने को नहीं होगा मजबूर - "सब की रसोई" संस्था सिर्फ 5 रुपये में खिला रही भरपेट खाना