देश की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनियों फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन के प्लेटफॉर्म पर पिछले तीन महीनों से भारी छूट नहीं दी जा रही है। देश की बड़ी कंज्यूमर कंपनियों के मुताबिक इन प्लेटफॉर्म्स पर अब कोई सामान लागत से कम दाम पर नहीं बेचा जा रहा है। फ्लिपकार्ट और ऐमजॉन के पास जो अपने ब्रांड्स हैं, उन पर छूट अधिक हो सकती है। इस साल फरवरी में ई-कॉमर्स में संशोधित विदेशी निवेश नीति लागू होने के बाद इस क्षेत्र की कंपनियां काफी सावधानी बरत रही हैं। दोनों कंपनियां नई सरकार के आने का इंतजार कर रही हैं। उन्हें लग रहा है कि तब वे ऑफलाइन ट्रेड लॉबी का तोड़ निकाल लेंगी। इस लॉबी के पास बड़ा वोट बैंक है और वह सरकार और राजनीतिक पार्टियों से ई-कॉमर्स पर भारी छूट बंद करवाने के लिए लॉबिंग कर रहा है।
कुछ अधिकारियों का कहना है कि भारी छूट का बंद होना ऑनलाइन मार्केट के परिपक्व होने का संकेत है। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल फोन, फैशन और लाइफस्टाइल कंपनियों ने बताया कि फरवरी से इस महीने अब तक इन चीजों पर छूट पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 10-30 पर्सेंट तक कम हो गई है। भारत के ई-कॉमर्स कारोबार में इन उत्पादों की हिस्सेदारी 80 फीसदी के करीब है। प्यूमा इंडिया का कहना है कि भारी छूट का दौर गुजर चुका है।इस साल जनवरी से मार्च के बीच मार्केटप्लेस पर डिस्काउंट में 11-14 फीसदी की कमी आई है। फ्लिपकार्ट की मालिक वॉलमार्ट चाहती है कि भारतीय ई-कॉमर्स कंपनी मुनाफा बढ़ाने पर ध्यान दे। अब इन दोनों कंपनियों की कमान भारतीय प्रमोटरों के हाथों में है, जो शायद मुनाफा चाहते हैं।
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तीन महीने से ऐमजॉन और फ्लिपकार्ट पर भारी छूट बंद - दोनों कंपनियां नई सरकार के आने का कर रही हैं इंतजार