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यदि बच्चा हेल्दी है तो भी कोरोना को हल्के में ना लें -एक दुर्लभ बीमारी का शिकार हो रहे हैं बच्चे, सतर्क रहना जरूरी 

यदि बच्चा हेल्दी है तो भी कोरोना को हल्के में ना लें -एक दुर्लभ बीमारी का शिकार हो रहे हैं बच्चे, सतर्क रहना जरूरी 

नई दिल्ली। दुनिया में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बच्चे एक दुर्लभ बीमारी का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों को भी इस बीमारी के प्रति सतर्क रहना जरूरी है। पिछले साल मई में न्यूयॉर्क सिटी हेल्थ डिपार्टमेंट ने एक अलर्ट जारी किया गया था। इसमें बताया गया था कि कोरोना से रिकवर होने वाले कुछ बच्चे एक सप्ताह बाद गंभीर रूप से फिर बीमार हो गए। बच्चों में एक दुर्लभ लेकिन खतरनाक बीमारी मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (एणएसआईसी) के लक्षण देखने को मिले। पहली बार में कोरोना और इस बीमारी में कोई संबंध स्पष्ट नहीं हो सका। क्योंकि बच्चों में इस दुर्लभ बीमारी के लक्षण कोरोना इन्फेक्शन के कुछ दिन बाद नजर आते हैं। एंटीबॉडी टेस्ट में सामने आया कि बीमार बच्चे इन्फेक्शन से जूझ रहे हैं। बच्चों की बीमारी को लेकर डॉक्टरों को लगा कि बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होने की बजाय बढ़ रहा है। ऐसे में यह इन्फेलेमेशन का कारण हो सकता है। बाद में इस रिएक्शन को पीडिएट्रिक मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम या मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम का नाम दिया गया।
  न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि बच्चों में अब एणएसआई-सी और एक्यूट कोविड-19 के मामले बढ़ रहे हैं। ये दोनों अलग बीमारियां हैं। एणएसआई-सी में कोरोन वायरस खुद कमजोर हो जाता है या उसके लक्षण नजर नहीं आते हैं। वहीं दूसरी तरफ एक्यूट कोविड काफी गंभीर है। इसमें मौजूदा इन्फेक्शन के कारण अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाती है। एक स्टडी के अनुसार पश्चिमी देशों में हर 5000 में से एक बच्चा इस सिंड्रोम से ग्रस्त पाया जा रहा है। इनमें से 67 परसेंट बच्चे 6-12 साल एज ग्रुप के हैं। एक अमेरिकी स्टडी के अनुसार एमएसआई-सी के हर 539 रोगियों में से एक की मौत हो जा रही है। इस सिंड्रोम में पेट संबंधी समस्या, इन्फेलेमेशन, चकत्ते व काफी तेज बुखार (104 डिग्री) आता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार एणएसआई-सी में कभी-कभी बच्चे को आईसीयू में भी एडमिट कराने की नौबत आ जाती है। इसके साथ ही बच्चों को कृत्रिम रूप से सांस देने की जरूरत भी पड़ जाती है। रिपोर्ट के अनुसार करीब एक तिहाई बच्चों को वेंटिलेटर पर रखने की भी नौबत आ जाती है। यहां राहत की बात है कि इस सिंड्रोम से हार्ट की बीमारी से ग्रस्त बच्चे 30 दिन के भीतर रिकवर हो जा रहे हैं। 
 

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