अरविंद केजरीवाल के बाद बंगाल में ममता बेनर्जी ही देश में संघ परिवार को एक बड़ी चुनौती बनकर उभरती दिखाई दे रही हैं। ममता का कहना है कि हिन्दू ही भा.ज.पा. को असल चुनौती बने हैं। बंगाल में सिर्फ मीडिया में बी.जे.पी. बी.जे.पी. है। जमीन पर कहीं भी बी.जे.पी. बंगाल में नहीं है। ममता सिर्फ गरीब और गाँव की बात अक्सर कहती आ रही हैं। उनके साथ 60 फीसद गरीब, दलित, पिछड़े व मुसलमान साफ दिखाई दे रहे हैं। जिससे उनके सियासी विरोधी केन्द्र सरकार की मदद सी.बी.आई., ई.डी. की मदद से चुनाव जीतना चाहते हैं। संघ परिवार सिर्फ और सिर्फ तनाव बनाकर हिन्दू मुस्लिम का नारा देकर चुनाव जीतने की फिराक में है जो शायद बंगाल में संभव नहीं है। ये सब यू.पी., बिहार में चल सकता है।
बंगाल भारत का ऐसा सूबा है जो सियासी तौर पर सबसे ज्यादा जागरुक पढ़ा लिखा है। ये सूबा काजी नजरूल इस्लाम, रविंद्र नाथ टैगोर की क्रांतिकारी कविताओं शिक्षाओं की जमीन है। यहां हिन्दू-मुसलमान मंदिर-मस्जिद का नारा नहीं चलने वाला। यहां ज्योति बसु व मार्क्सवादी कम्युनिष्ट 30 सालों तक राज कर चुके हैं। संघ की तरह कभी कांग्रेसी भी भा.ज.पा. की तरह यहां जातिवाद के सहारे चुनाव जीत गये थे 1980 के दौर में। अब ममता ने बंगाल में कांग्रेस को नेस्तनाबूद कर अपनी पार्टी खड़ी कर अपनी आम जनता में गहरी शाख बना ली है। उसने विकास के अपने मॉडल को मजबूत बनाया है। गरीबों को उत्तर प्रदेश व बिहार से ज्यादा न्याय दिलाया है। यू.पी. में जहां जातिवाद को भी ठाकुरवाद व ब्रम्हणवाद ही भा.ज.पा. के सत्ता दिलाते आये हैं। उनका जुल्म आये दिन देखा जा चुका है। योगीराज के दौरान जो अत्याचार यू.पी. के लोग भुगत रहे हैं दुबे, शुक्ला, डॉनों व सेंगर व सिंह जैसे सियासतदानों का यदि इसे ही रामराज कहती है भा.ज.पा. तो ये सब बंगाल में नहीं चलने वाला। यहां जन-जन में रामकृष्ण परमहंस व ईश्वरचन्द्र विद्यासागर की शिक्षायें हैं जो बंगाल की आम जनता को जागरुक बनाये हुये है। यहां यू.पी. की तरह भा.ज.पा. वाले दंगा कराके आसानी से चुनाव नहीं जीत पाते यहां कांग्रेस भा.ज.पा. जैसे दलों को सिर्फ सत्ता झूठे नारों व वादों से नहीं मिल सकती है।
दिल्ली के अरविंद केजरीवाल उनकी वामपंथी ईमानदार विचारधारा को भा.ज.पा. अपनी हिन्दू-मुस्लिम में बांटने वाली नारेबाजी से नहीं जीत पायी। ऐसा ही बंगाल में होने वाला है। ये बात दिल्ली के सियासी पंडितों का कहना है। किसान आंदोलन ने वैसे भी भा.ज.पा. की व केन्द्र सरकार की झूठ को आम जनमानस में ला दिया है कि कैसे नरेन्द्र मोदी जी अपने पूँजीपति मित्रों अम्बानी, अडानी के लिये 60 करोड़ किसानों की बलि चढ़ाने पर तुले हैं। ऐसा संदेश पूरे देश में जा चुका है। किसानों का आंदोलन पूरे देश की आम जनता के हितों का आंदोलन है। ये आंदोलन बी.जे.पी. के लिये "वाटर लू" की लड़ाई जैसा है, जो विश्वविजेता नेपोलियन के सामने आ गया था।
बंगाल, तमिलनाडु व केरला में भा.ज.पा. की उलटी गिनती शुरू होने की बात देश में कही जा रही है। यू.पी., म.प्र., बिहार की सूबाई सरकारों की बदइंतजामी यहां का भ्रष्टाचार ऊँची जातिवालों के दलितों व कमजोर तब्कों पर होने वाले अत्याचारों व यू.पी. में काबिल डॉक्टरों तक को बेवजह जेलों में डालने की घटनायें ये बताती हैं कि भा.ज.पा. के लोग वहां राम राज चला रहे हैं या रावणराज चला रहे हैं सत्ता में पहुँचकर संघ परिवार व भा.ज.पा. वाले सिर्फ और सिर्फ ऊँची जाति वालों का शासन चलाने लगते हैं। बंगाल में ये सब नहीं चलता है। यहां अभी भी रविन्द्रनाथ टैगोर, नेता सुभाषचन्द्र बोस की विचारधारा मौजूद है। यहां के युवा सिर्फ नारा भर लगाने से वोट नहीं देने लगते हैं या महिलायें इतनी भावुक नहीं हैं जो जाति धर्म के नारे भर से भा.ज.पा. की झोली वोटों से भर देंगीं। ये सब संघ परिवार के संविधान बदलने के ऐजेन्डे व देश को तोड़ने की विचारधारा से परिचित हैं। हां अभी बंगाल में 3 विधायक हैं बी.जे.पी. के उसमें थोड़ा बहुत इजाफा होकर 20-30 तक शायद हो जायें पर इन्हें 100 का आंकड़े तक पहुंच पाना असंभव ही नहीं नामुमकिन भी कहा जा रहा है। हां शोर मचाकर झूठ बोलकर यू.पी. मध्य प्रदेश में वोट जरूर लिये जा सकते हैं। बंगाल, केरला, तमिलनाडु में संभव नहीं। इन सूबों में आम जनता 80 फीसद तक पढ़ी लिखी, जागरुक व समझदार है। यहां फर्जी नेता भी नहीं चल पाते हैं नौकरशाही भी हावी नहीं है।
(लेख्चाक-नईम कुरेशी)
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