2016 में एक जमाने की अत्यन्त लोकप्रिय अभिनेत्री सुश्री जयललिता की मुख्यमन्त्री के पद पर रहते हुए मृत्यु हो जाने के बाद इस राज्य की राजनीति में गुणात्मक परिवर्तन आता लग रहा है जिसे जनतन्त्र के लिए बेहतर निशान समझा जायेगा। उन्हीं जयललिता की अन्तरंग सहयोगी वी.के. शशिकला द्वारा राजनीति से हटने की अचानक घोषणा कर देने के बाद से राज्य के चुनावी राजनीतिक समीकरणों के उलट-पुलट होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। जयललिता के निधन के बाद शशिकला एआईएडीएमके चीफ के तौर पर उभर आगे आई , और फिर एक दौर ऐसा भी रहा कि वो मुख्यमंत्री की कुर्सी से थोड़ी ही दूर नजर आने लगी थीं। तभी भ्रष्टाचार के आरोपों में शशिकला को चार साल की कैद की सजा हो गयी। ये शशिकला ही रहीं जो जेल जाने से पहले सुनिश्चित कीं कि ओ. पनीरसेल्वम नहीं, बल्कि, ई. पलानीसामी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनें। तब से पहले तो यही होता आया था कि जब भी जयललिता को जेल जाना पड़ा ओ. पनीरसेल्वम ही मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते आ रहे थे। और जब वो अस्पताल में भर्ती हुईं उसके बाद भी ऐसा ही हुआ, लेकिन फिर सब बदल गया. बाद में ओ. पनीरसेल्वम भी डिप्टी सीएम बनने को राजी हो गये। शशिकला की बदकिस्मती रही कि उनके जेल जाते ही दोनों ने हाथ मिलाया और एक मीटिंग में शशिकला को महासचिव के पद से बर्खास्त कर दिया गया।
राजनीति संन्यास की घोषणा करते हुए शशिकला ने डीएमके गठबंधन को हराने के लिए एआईएडीएमके नेताओं से एकजुट होने की अपील की है। कार्यकर्ताओं से शशिकला ने कहा, 'कार्यकर्ता मिलकर रहें और आने वाले विधानसभा चुनाव में डीएमके को हराकर बड़ी जीत सुनिश्चित करें। ' अपना स्टैंड साफ करते हुए शशिकला ने कहा है कि जयललिता के रहते हुए भी वो कभी किसी पद पर नहीं रहीं , और अब भी वो ऐसा कुछ नहीं करना चाहती हैं। मीडिया को जारी बयान शशिकला का वो पत्र ही है, जिसमें वो लिखती हैं, 'राजनीति छोड़ रही हूं, लेकिन मैं हमेशा ईश्वर से प्रार्थना करूंगी कि अम्मा का स्वर्णिम शासन आये और विरासत आगे बढ़े। ये मानते हुए कि हम एक ही मां की संतान हैं, सभी समर्थकों को आने वाले चुनाव में एक साथ काम करना चाहिए। सभी को डीएमके के खिलाफ लड़ना चाहिये और अम्मा की सरकार बनानी चाहिये। सभी को मेरी तरफ से शुक्रिया। ' मीडिया में शशिकला का ये बयान आने के कुछ ही देर बाद, उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरन सामने आये और पत्रकारों को बताया कि वो अपनी आंटी के फैसले के पक्ष में नहीं थी, लेकिन ज्यादा देर तक टाल भी नहीं सके। बोले, 'मैंने उनसे बात करने की कोशिश की, समझाया भी , मैंने उनसे कहा कि अभी ये अनावश्यक है और गुजारिश की कि वो राजनीति में बनी रहें। मैं उनका बयान जारी होने से 30 मिनट से ज्यादा नहीं टाल सका - लेकिन उनको अपना निजी फैसला लेने से मैं रोक भी कैसे सकता हूं। '
न तो दिनाकरन ने ही इससे ज्यादा बताया और न ही शशिकला ने ही और कुछ बताया है जिससे मालूम हो सके कि उनके राजनीति छोड़ने की असल वजह क्या हो सकती है? शशिकला के अचानक से लिये इस फैसले पर सवाल और लोगों के मन में आशंकाएं उठनी स्वाभाविक है क्योंकि जो राजनीतिक गतिविधियां तेजी से आगे बढ़ रही थीं वे अचानक ही यू-टर्न ले चुकी हैं। सब कुछ एक झटके बदल चुका है। कहां एआईएडीएमके पर टूट का खतरा मंडराने लगा था और कहां एक साथ सब कुछ सुरक्षित हो गया है। फिलहाल तो कोई ऐसा नजर भी नहीं आ रहा है जो किसी तरह की बगावत का नेतृत्व करने की तैयारी कर रहा हो। अगर मन ही मन ऐसा कोई सोच भी रहा हो तो वो कुछ कर भी पाएगा, फिलहाल तो कम ही ऐसी कोई आशंका लगती है।ये तो स्पष्ट नहीं है कि शशिकला किसी दबाव में या खास परिस्थितियों में ऐसा फैसला लेने को मजबूर हुई हैं, लेकिन सारी चीजों के बावजूद अभी ये साफ तो नहीं ही है कि शशिकला ने राजनीति छोड़ने का निर्णय क्यों लिया। असल वजह जो भी हों, लेकिन ये कोई स्वाभाविक, सहज या निर्विवाद फैसला तो नहीं ही लगता।
यदि शशिकला अलग होकर अपनी पार्टी बनती तो जाहिर है शशिकला अपनी पार्टी की तरफ से भी प्रत्याशियों को मैदान में उतारती जिसका सबसे बड़ा नुक्सान उनकी पुरानी पार्टी अन्ना द्रमुक को ही होता। उनके राजनीति से किनारा कर लेने से चुनावी लाभ भी इसी पार्टी को हो सकता है मगर इसकी कोई गारंटी नहीं दी जा सकती क्योंकि विपक्षी पार्टी द्रमुक ने पहले से ही अन्ना द्रमुक के नेतृत्व को भ्रष्टाचार के संरक्षक के रूप में निरूपित करना शुरू कर दिया है। हालांकि इस राज्य में फिल्म अभिनेता कमल हासन की भी अपनी पार्टी है और वह भी अच्छी खासी संख्या में प्रत्याशियों को मैदान में उतार रही है जिसकी वजह से चुनावी मुकाबला कहीं-कहीं त्रिकोणीय भी हो सकता है मगर शशिकला के मैदान छोड़ने से यह बहुकोणीय होने से बच गया है। अन्ना द्रमुक से भाजपा का गठबन्धन है जबकि द्रमुक के साथ कांग्रेस का गठबन्धन होने जा रहा है जिससे मुकाबला अंततः द्रमुक व अन्ना द्रमुक के बीच ही रहेगा। देखना केवल यह होगा कि ‘अम्मा’ के मैदान छोड़ने से किस पार्टी को अधिक लाभ होगा। वैसे तमिलनाडु की राजनीति बहुत उलझी हुई नहीं मानी जाती। यहां के लोग जिस पार्टी को भी सत्ता में लाते हैं उसे पूर्ण बहुमत दिल खोल कर देते हैं।शशिकला ने जिस किसी भी वजह से और जिन भी परिस्थितियों में मैदान छोड़ा है वो आज कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ? की तरह यक्ष प्रश्न हैं वी.के. शशिकला द्वारा राजनीति से अचानक क्यों हटी ?
(लेखक- अशोक भाटिया /)
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कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा ? की तरह यक्ष प्रश्न हैं कि ‘वी.के. शशिकला राजनीति से अचानक क्यों हटी ‘ ?