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चीन द्वारा दुश्मन देशों को तंग करने के लिए अजमा रहा है नए – नए तरीके ! 

चीन द्वारा दुश्मन देशों को तंग करने के लिए अजमा रहा है नए – नए तरीके ! 

मुंबई में पिछले साल अक्टूबर में बड़े पैमाने पर अचानक बिजली गुल होने की वजह चीन के साइबर अटैक को माना जा रहा है । हालांकि, इसे लेकर केंद्र और महाराष्ट्र के बीच सहमति नहीं बन पाई है  ।लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि लद्दाख में सीमा विवाद के बीच चीन ने साइबर अटैक का रास्ता अपनाया था और पावर सप्लाई करने वाले सिस्टम में मालवेयर सेंधमारी करके गड़बड़ी करने की कोशिश की थी ।क्या चीन ऐसा कर सकता है? इसका जवाब पक्के तौर पर नहीं दिया जा सकता है लेकिन ये बात सच है कि चीन काफी लंबे समय से अपनी साइबर वॉरफेयर क्षमताओं को बढ़ा रहा है ।अप्रैल 1997 में चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (CMC) ने 100 सदस्यों की एक एलीट कॉर्प्स स्थापित की थी  ।इसका काम अमेरिकी और दूसरे पश्चिमी देशों के कंप्यूटर सिस्टम को हैक करने के तरीके ढूंढना था । तब से लेकर अब तक चीन ने साइबर वॉरफेयर के क्षेत्र में प्रगति की है ।
चीन इलेक्टॉनिक वॉरफेयर, कंप्यूटर नेटवर्क वारफेयर और साइकोलॉजिकल ऑपरेशन्स के साथ-साथ इंफॉर्मेशन वॉरफेयर ऑपरेशन्स के लिए एकीकृत नजरिया रखता है । मतलब कि चीन इस सब पहलुओं को इंटीग्रेटेड नेटवर्क इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (INEW) कहता है ।चीन हमेशा से एक ग्लोबल इंटरनेट सुपरपावर बनने का सपना देखता रहा है. वो 2025 तक ऐसा करने का लक्ष्य रखता है । इसी के साथ संभावना है कि वो साइबर वॉरफेयर के क्षेत्र में भी अपनी क्षमताओं को बढ़ा लेगा ।चीन साइबर वॉर के लिए 'देशभक्त' हैकर्स और यूनिवर्सिटी छात्रों का इस्तेमाल करने से नहीं चूकता है. ये सभी चीन की सेना के साथ ही काम करते हैं ।
इसमे कोई शक नहीं कि चीन भारत को अपना गम्भीर प्रतिद्वंद्वी मानता है। इसलिए हर कीमत पर भारत को कमजोर करने की कोशिश में है और इसके लिए हर तरह की जोर आजमाइश भी कर रहा है। विदेश मामलों के विश्लेषकों का मानना है कि सम्भवतः भारत और चीन के बीच भले ही युद्ध न हो लेकिन शीत युद्ध की गर्मी युद्ध का माहौल तैयार कर सकती है। भारत अब एक बड़ी आर्थिक शक्ति और सामरिक शक्ति के तौर पर उभर चुका है। तभी तो उसे लद्दाख में अपने सैनिकों को फिंगर 8 तक वापिस ले जाने को विवश होना पड़ा। गलवान घाटी की झड़प में अंततः चीन को अपने सैनिकों की मौत का सच स्वीकारना पड़ा, भले ही उसने आधा-अधूरा सच ही स्वीकार किया है।
एक ओर चीन   की पैदाइश कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया का हाल बेहाल है, अर्थव्यवस्था गर्त में जा चुकी हैं, करोड़ों लोगों के समक्ष रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं, उसके बावजूद शर्मिन्दा होने के बजाय वह अपनी विस्तारवादी नीतियों पर चलते हुए भारत के साथ सीमा पर लगातार विवाद बढ़ा रहा है। गैर सैन्य तौर-तरीकों से भी भारत को नुकसान पहुंचाने के उसके जिस तरह के घृणित प्रयासों का खुलासा हुआ है, उससे साफ हो गया है कि वह किस प्रकार की खतरनाक साजिशें रच रहा है। पावर ग्रिड नेटवर्क का संचालन साइबर आधारित हो चुका है। जिस इंटरनेट प्रोग्राम के जरिये पावर ग्रिड को संचालन किया जाता है अगर उसमें कोई देश घुसपैठ कर ले तो वह देश में बिजली व्यवस्था को ठप्प कर सकता है। दुनिया भर में कोरोना फैलाने का आरोप झेल चुका चीन किसी भी हद तक जा सकता है। अब साइबर इंटेलिजेंस फर्म सायफार्मा के हवाले से आई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना वैक्सीन बनाने वाली दो कम्पनियों सीरम इंस्टीच्यूट और भारत बायोटेक को हाल ही में चीनी हैकरों ने निशाना बनाया। सायफार्मा के अनुसर चीनी हैंकिंग ग्रुप एपीटी-10 ने भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीच्यूट के आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर में खामियों का फायदा उठाकर सेंध लगाई थी। साइबर हमले का मुख्य उद्देश्य बौद्धिक सम्पदा को निशाना बनाना और भारतीय कम्पनियों पर प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल करना है। सीरम इंस्टीच्यूट कई देशों को कोरोना वैक्सीन दे रहा है। एस्ट्राजेनका की वैक्सीन का उत्पादन बड़े पैमाने पर करते जा रहा है। दरअसल चीन द्वारा तैयार की गई कोरोना वैक्सीन भारतीय वैक्सीन के मुकाबले कामयाब नहीं रही, उसके काफी साइड इफैक्ट्स नजर आ रहे हैं।
बताया वजट है कि ‘हाइब्रिड वारफेयर’ के कुत्सित प्रयासों के तहत चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और सेना से जुड़ी एक आईटी कम्पनी हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, विपक्षी नेताओं तथा राज्यों के मुख्यमंत्रियों, सीडीएस तथा सेना के तीनों अंगों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी गोपनीय तरीके से जुटाती रही है। ऐसे में सरकार द्वारा चीन के सैंकड़ों एप पर लगाए गए प्रतिबंधों की अहमियत समझी जा सकती है। दरअसल अत्याधुनिक उन्नत तकनीकों और एआई तकनीक के जरिये चीन आज न केवल भारत बल्कि अमेरिका सरीखे दुनिया के सशक्त देशों में भी ऐसी ही जासूसी में लिप्त है।
हाल ही में हुए खुलासे के अनुसार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी कम्पनी झेनहुआ डेटा इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी भारतीय राजनेताओं, रक्षा विशेषज्ञों और महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुखों सहित दस हजार से अधिक लोगों का डाटा गोपनीय तरीके से एकत्रित कर चीन भेज रही थी। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डाटा संग्रहण तकनीकों के जरिये चीनी कम्पनी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर महत्वपूर्ण व्यक्तियों की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी कर रही थी। आसानी से समझा जा सकता है कि इस प्रकार डाटा चुराकर उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ रणनीतिक हथियार के तौर पर किया जा सकता है। जासूस ड्रैगन की ऐसी खतरनाक साजिशों के परिणाम आने वाले समय इसलिए अत्यंत घातक हो सकते हैं क्योंकि 21वीं सदी में युद्ध परम्परागत तौर-तरीकों के बजाय विभिन्न मोर्चों पर तकनीक निपुणता के बलबूते पर लड़े जा रहे हैं और आज के आधुनिक युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डाटा संग्रहण तकनीकें गोला-बारूद से भी ज्यादा घातक सिद्ध हो सकती हैं।
हालांकि ड्रैगन को कूटनीतिक और आर्थिक झटके लगातार लग रहे हैं लेकिन वह तरह-तरह की साजिशें रचने से बाज नहीं आ रहा। भारत की पहल पर अमेरिका सहित कई देश उसके कई एप पर पांबदी लगा चुके हैं और चीन के साथ कइयों के व्यापारिक रिश्ते भी प्रभावित हुए हैं। हाल ही में लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए कार्यरत संयुक्त राष्ट्र के सीएसडब्ल्यू (कमीशन ऑन द स्टेटस ऑफ वुमेन) चुनाव में भारत ने चीन को हराते हुए उसे बड़ा झटका दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन को इस चुनाव में महज 27 वोट मिले जबकि भारत को 38 वोट प्राप्त हुए। इन झटकों के अलावा लद्दाख में भी भारतीय जांबाज चीनी सैनिकों को ऐसी पटखनी दे रहे हैं, जिससे ड्रैगन बुरी तरह बौखलाया हुआ है। पूर्वी लद्दाख में रेजांग लॉ और रेचेन लॉ की रणनीतिक ऊंचाइयों पर घुसपैठ में नाकाम होने के बाद अब वह एलएसी के दूसरे इलाकों में अपनी फौज का जमावड़ा करने में जुट गया है। लद्दाख के अलावा अब उसकी गतिविधियां डोकलाम और भूटान के साथ अरूणाचल प्रदेश में भी बढ़ने लगी हैं। बताया जा रहा है कि चीनी सेना पीएलए ने एलएसी पर तैनात अपने सैनिकों को आदेश दिया है कि वे अपने प्रियजनों को ‘अलविदा पत्र’ लिखने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी करें। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक पीएलए अपने सैनिकों को युद्ध के मैदान में जाने से पहले इस तरह के आदेश देती है।
अब सवाल यह है कि अमेरिकी रिपोर्ट द्वारा आगाह किए जाने के बाद भारत खुद को साइबर हमलों से बचाने में कितना कामयाब होता है। आधुनिक युग में हमें दुश्मन को उसी हथियार से लड़ना होगा। अमेरिकी रिपोर्ट आने के बाद भारत को खुद सोच-समझ कर चलना होगा। यद्यपि भारत आईटी शक्ति कहलाता है, परन्तु ब्राडबैंड के इस्तेमाल और इंटरनेट कनैक्शन की संख्या में चीन से पीछे है। भविष्य के खतरों को भांपते हुए ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि कोई भी देश हमारे ऊर्जा तंत्र, रक्षा तंत्र में सेंधमारी न कर सके।
(लेखक-अशोक भाटिया )

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