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सुबह चार बजे उठाकर सचिन सर और ब्रेट ली को मैंच खेलते देखना अलग ही अनुभव: गिल 

सुबह चार बजे उठाकर सचिन सर और ब्रेट ली को मैंच खेलते देखना अलग ही अनुभव: गिल 

अहमदाबाद । उभरते हुए भारतीय बल्लेबाज शुभमन गिल ने कहा कि आस्ट्रेलिया में टेस्ट पदार्पण करते हुए ऐसा लग रहा था,जैसे वह जंग के लिए जा रहे हों और वहां से यह सबक सीखकर आए कि किसी भी स्थिति में किसी को भी चुका हुआ मत मानो। गिल के लिए आस्ट्रेलिया का दौरा अच्छा रहा जहां उन्होंने चार टेस्ट की श्रृंखला में दो अर्धशतक की मदद से 259 रन बनाए। भारत ने चोटों की समस्या से जूझने के बावजूद यह श्रृंखला 2-1 से जीती। गिल ने मेलबर्न में दूसरे टेस्ट के दौरान पदार्पण किया जहां से भारत ने श्रृंखला का रुख बदला जबकि एडीलेड में पहले दिन-रात्रि टेस्ट में उस करारी हार का सामना करना पड़ा था। गिल ने कहा कि जब तक क्षेत्ररक्षण कर रहा था तब तक मैं काफी सामान्य था। लेकिन जब बल्लेबाजी की बारी आई और मैं दर्शकों के शोर (आस्ट्रेलिया के समर्थन में) के बीच ड्रेसिंग रूम से पिच तक आ रहा था,तब यह अलग तरह का अनुभव था। ऐसा लग रहा था जैसे जंग के लिए जा रहा हूं।
मैच शुरू होने से पहले मुख्य कोच रवि शास्त्री ने जब गिल को टेस्ट कैप सौंपी,तब उन पर भावनाएं हावी हो गई थी। गिल इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा श्रृंखला में अब तक कोई बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे हैं, लेकिन आस्ट्रेलिया दौरे पर अपने ठोस प्रदर्शन से उन्होंने दर्शाया कि आखिर क्यों उन्हें भारतीय क्रिकेट का अगला बड़ा सितारा माना जाता है। आस्ट्रेलिया में पदार्पण के बारे में पूछने पर गिल ने कहा कि यह उनके बचपन के सपने के साकार होने की तरह था। 
उन्होंने कहा कि जब मैं बच्चा था,तब आस्ट्रेलिया में टेस्ट मैच देखने के लिए सुबह साढ़े चार-पांच बजे उठ जाता था। अब लोग मुझे खेलते हुए देखने के लिए जल्दी उठते हैं, यह शानदार अहसास है। मुझे अब भी याद है कि आस्ट्रेलिया में श्रृंखला को देखने के लिए मेरे पिता और मैं जल्दी उठ जाया करते थे। ब्रेट ली को गेंदबाजी या सचिन (तेंदुलकर) सर को बल्लेबाजी करते हुए देखना अलग तरह का अहसास था। अचानक मैं उस टीम में खेल रहा हूं और आस्ट्रेलियाई मुझे गेंदबाजी कर रहे हैं। यह पूछने पर कि आस्ट्रेलिया दौरे से क्या सबक सीखा तो गिल ने कहा कि कुछ भी हो, आप किसी भी स्थिति में किसी को भी चुका हुआ नहीं मान सकते। हमारे टीम के इतने सारे खिलाड़ी चोटिल थे लेकिन फिर भी ड्रेसिंग रूम की सकारात्मकता कभी नहीं बदली।

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