देश में कोरोना वायरस को लेकर एक बार फिर से खतरा बढ़ रहा है। महाराष्ट्र में कोरोना महामारी के नए आंकड़े डराने वाले हैं। महाराष्ट्र में कोरोना महामारी की स्थिति एक बार फिर गंभीर रूप लेने लगी है। इससे देश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में तेजी देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में बीते 24 घंटों में कोरोना वायरस के 18,327 नए मामले सामने आए हैं। यह बीते दिनों कोरोना के मामलों में सबसे ज्यादा आंकड़ा है। देश में बीते 24 घंटों में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 108 रहा है।महाराष्ट्र समेत कुछ अन्य राज्यों में बढ़ते मामलों से देश की चिंता बढ़ गई है। देश में कोरोना वायरस संक्रमितों का कुल आंकड़ा एक करोड़ 12 लाख के करीब पहुंच गया है। देश में फिलहाल 1 करोड़ 11 लाख 92 हजार 88 मरीज सामने आए हैं। हालांकि, इसमें से कोरोना से ठीक होने मरीजों की संख्या 1 करोड़ 8 लाख 54 हजार 128 है। कोरोना वायरस के ज्यादा मरीजों के सामने आने से सक्रिय मामलों में भी वृद्धि हो रही है। देश में फिलहाल कोरोना वायरस के 1 लाख 80 हजार 304 सक्रिय मामले सामने आ चुके हैं। भारत में कोरोना से अब तक कुल 1 लाख 57 हजार 656 लोगों की मौत हो चुकी है।महाराष्ट्र में फिर से कोरोना बेकाबू होने लगा है। एक दिन में ही संक्रमण की रफ्तार में 250% का इजाफा देखने को मिला है। शनिवार को राज्य में 10,216 लोग संक्रमित पाए गए। 5 महीने बाद पहली बार है, जब एक दिन के अंदर 10,000 से ज्यादा कोरोना मरीज मिले हैं। इसके पहले 17 अक्टूबर को 10,259 लोग पॉजिटिव पाए गए थे।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटों में 3,985 सक्रिय मामले बढ़े हैं। इससे एक्टिव केस की दर बढ़कर 1.61% हो गई है। मंत्रालय के मुताबिक महाराष्ट्र, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में सबसे ज्यादा सक्रिय मामलों की संख्या बढ़ी है। पिछले एक महीने के दौरान केरल, उत्तर प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा सक्रिय मामले कम हुए। इसके साथ ही रिकवरी दर भी बढ़ी है। देश में बीते 24 घंटों में 14,234 लोग ठीक हुए हैं। इससे रिकवरी दर बढ़कर 96.98% हो गई है। भारत की कोरोना मृत्यु दर फिलहाल 1.41% है।देश में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण जारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक 1 करोड़ 94 लाख 97 हजार 704 लोगों को टीका लगाया चुका है। इसमें से 14,92,201 टीकाकरण बीते एक दिन में किया गया है।
बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सबसे कारगर तरीका है कि जल्द से जल्द से टीकाकरण । जो लोग सरकार टीका टिप्पणी करते थे कि सरकार सो रही है और कोरोना वेक्सिन की ओर ध्यान नहीं दे रही है वही लोग टीकाकरण के प्रति बेरुखी दिखा रहे हैं । जो स्वयं मैंने अपनी पत्नी के साथ सेंटर पर जाकर अनुभव की । सरकार 30 000 की आबादी वाले शहर वसई में सरकारी व् प्राइवेट कुल 13 जगहों पर टीका करण की व्यवस्था की है पर लोगों में उत्साह की कमी के कारण ‘ तू चल मैं अभी आया ‘ वाली हालत है ।मुझे टीकाकरण में 10 मिनट लगे व कोई तकलीफ भी नहीं हुई | फिर भी लोगों की बेरुखी है | सेंटर खाली पड़े है जबकि सरकारी सेंटरों में इसे मुफ्त व प्राइवेट अस्पतालों में 250 रुपयों की मामूली कीमत में लगाया जा रहा हैं ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वेक्सिन लगवाने की शुरुवात के बाद राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और केन्द्रीय मंत्रियों ने भी वैक्सीन लगवा ली है लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी काफी बड़ी है जो अभी भी वैक्सीन से दूरी बनाए रखना चाहते हैं। भारत ने महामारियों पर काबू पाया है। जब देशवासियों ने पोलियो और चेचक के टीकों से दूरी नहीं बनाई, उस पर यकीन किया और ये बीमारियां जड़ से खत्म हो गई तो फिर कोई कारण नहीं है कि कोरोना वैक्सीन पर भरोसा नहीं किया जाए। मध्यमवर्गीय परिवारों की महिलाएं अभी भी टीके से परहेज कर रही हैं, ग्रामीण और दूरदराज के अंचलों में वैक्सीन को लेकर लोग ज्यादा जागरूक भी नहीं हैं। महानगरों और शहरों में वैक्सीन के लिए केन्द्रों पर भीड़ देखी जा सकती है। लेकिन पिछड़े क्षेत्रों के लोग वैक्सीन के साइड इफैक्ट्स से डरते हैं। सरकार इस बात के लिए हरसम्भव प्रयास कर रही है कि टीका लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए। इसीलिए ही टीकाकरण में निजी अस्पतालों को जोड़ा गया और अब आप 24 घंटे किसी भी समय टीका लगवा सकते हैं। देश की बड़ी आबादी को देखते हुए यह समझना भी जरूरी है कि देशभर को कवर करने के लिए 7-8 माह का समय लगना स्वाभाविक है। कोरोना काल में हमने देखा कि हमारा सामान्य जीवन काफी खौफनाक हो गया था। सड़कों पर दौड़ती एम्बुलैंसें और शवों की अंत्येष्टि के दृश्य डर पैदा कर रहे थे। बाहर से इमारतें बहुत खूबसूरत लगती थीं लेकिन भीतर सन्नाटा छाया हुआ रहता था। कंटेनमैंट जोन बने मुहल्लों के करीब से गुजरने में भी डर लगता था। हम सब इस बात की उम्मीद लगाए बैठे थे कि कोई संजीवनी आए और हमारा जीवन सामान्य हो।
अब जबकि टीकाकरण का दूसरा चरण चल रहा है तो दूसरी तरफ लोग बेखौफ होकर मास्क, सैनेटाइजर, सोशल डिस्टेसिंग के तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में कई दिनों से बढ़ौतरी चिंता पैदा करने वाली है। आशंका इस बात की है कि हमारी लापरवाहियों के चलते हालात कहीं बिगड़ न जाएं। अब भी खबरें आ रही हैं एक छात्रावास में 40 से अधिक छात्र संक्रमित मिले या कहीं से भी लोगों के संक्रमित होने की सूचना पाकर दिल भीतर से दहल उठता है। यदि हम अपनी सुरक्षा स्वयं करना नहीं सीखेंगे तो और लोगों को सुरक्षित कैसे रख पाएंगे। वैक्सीन का काम बीमारी से बचाव करना है, यह हमारे शरीर में एंटीबाडीज बनने की कवायद करती है। शासन, प्रशासन, पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों के स्तर पर एक सशक्त जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। इस अभियान में सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों का सहयोग भी लिया जा सकता है। ग्रामीण और पिछड़े इलाकों तक यह संदेश पहुंचाना बहुत जरूरी है कि टीका सुरक्षित है। अब कोई शक रहा ही नहीं तो अब लोगों की जिम्मेदारी है कि वह क्या चुनें खतरा या सुरक्षा। बेहतर यही होगा कि लोग भ्रम से बाहर निकलें आर टीका लगवाने के लिए आगे आएं। लोगों को निश्चित हो जाना चाहिए कि टीकाकरण का शरीर पर कोई निगेटिव असर नहीं पड़ता, जो असर होता है वह अन्य वैक्सीन लगवाने पर ही होता है।
लोगों को टीकाकरण के डर मिटाने के लिए डॉक्टर बताते है , “कोरोना वायरस की वैक्सीन आपको कोविड-19 संक्रमण से बीमार पड़ने से बचा सकती है। दवाइयों की तरह वैक्सीन के भी साइड-इफेक्ट होते हैं।“ एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोविड-19 वैक्सीन लगने के बाद एक व्यक्ति को कुछ साइड-इफेक्ट्स महसूस हो सकते हैं। ये साइड-इफेक्ट्स आमतौर पर हल्के होते हैं, जिसमें हल्का दर्द, सूजन या फिर इजेक्शन जहां लगा वहां की त्वचा का लाल होना, बुख़ार, ठंड लगना, थकावट आदि जैसे लक्षण शामिल हैं। जो मामूली हैं |
(लेखक- अशोक भाटिया )
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अब भी भारत में बडे स्तर पर लोग कोरोना वैक्सीन से दूरी बनाए रखना चाहते हैं !