कोलकाता । पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लगी चोट और किसान नेताओं के राज्य में भाजपा के खिलाफ रैलियां करने का असर पड़ सकता है। इससे निपटने के लिए भाजपा का संगठन ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा सक्रिय हो गया है। परोक्ष रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी उसकी मदद कर रहा है। इन दोनों मुद्दों का असर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा हो सकता है, इसलिए भाजपा वहां पर जमीनी संवाद और संपर्क बढ़ा रही है। पश्चिम बंगाल समेत पांच विधानसभाओं के लिए चुनाव प्रचार अभियान धीरे-धीरे तेज हो रहा है, लेकिन सबकी निगाहें पश्चिम बंगाल पर टिकी हुई हैं जहां भाजपा, तृणमूल कांग्रेस के गढ़ को कड़ी चुनौती दे रही है। बीते समय में तृणमूल कांग्रेस के सांसद, विधायक व मंत्रियों समेत कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है, जिससे भाजपा राज्य में बदलाव का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस भी अपने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जमीनी जुड़ाव और जुझारूपन को लेकर आश्वस्त दिख रही है। तृणमल कांग्रेस को देश के विभिन्न राजनीतिक दलों समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन भी मिल रहा है। इनसे इतर हाल की दो घटनाओं घटनाएं भी महत्वपूर्ण है, जिनमें एक एक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नंदीग्राम में प्रचार के दौरान लगी चोट और दूसरी दिल्ली में कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे किसान संगठनों का राज्य में भाजपा के खिलाफ जाकर चुनाव प्रचार अभियान शुरू करना शामिल है। यह दोनों मुद्दे इस तरह के हैं जो पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकते हैं और भाजपा को नुकसान। सूत्रों के अनुसार, इससे निपटने के लिए भाजपा नेतृत्व ने अपने संगठन को ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा सक्रिय किया है। जहां वे ममता बनर्जी के साथ हुई दुर्घटना को महज एक हादसा और राजनीतिक स्टंट बताने की कोशिश करेंगे वहीं किसान आंदोलन को लेकर भी तथ्य रखेंगे जिससे कि भाजपा को कोई नुकसान न हो। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं के तूफानी दौरे तो जारी रहेंगे ही।
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बंगाल में ममता की चोट और किसानों की हुंकार का पड़ सकता है असर