लखनऊ। पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में इन दिनों उत्तर प्रदेश के राजनेताओं की उपस्थिति ने प्रचार को और रोचक बना दिया है। यूपी के नेता न सिर्फ पश्चिम बंगाल के सियासी गर्मी को बढ़ा रहे हैं बल्कि यहां के मुद्दे भी पश्चिम बंगाल में होने वाली चुनावी रैलियों में चर्चा का विषय बने हुए हैं। पश्चिम बंगाल के चुनाव में स्थानीय मुद्दों पर आरोप-प्रत्यारोप होने के साथ साथ गौ तस्करी, लव जिहाद के साथ-साथ विकास के यूपी मॉडल का नारा भी जोर-शोर से उठाया जा रहा है। इतना ही नहीं, इन मुद्दों से इतर लगातार प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा अपनी हर चुनावी सभा की शुरूआत 'जय श्रीराम' के नारे के साथ करते हैं। भाजपा बंगाल के चुनावों में उत्तर प्रदेश के मुद्दे उठाकर ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
बात उन सियासी योद्धाओं की जो उत्तर प्रदेश से पश्चिम बंगाल जाकर वहां के चुनावी दंगल में जमकर पसीना बहा रहे हैं। यूपी भाजपा के संगठन मंत्री सुनील बंसल समेत पार्टी के तमाम पदाधिकारी महीनों में पश्चिम बंगाल में डेरा जमाए बैठे हैं। वो कोलकाता के जोन प्नभारी के तौर पर 51 विधानसभा सीटों पर जीत के लिए लगातार रणनीति बना रहे हैं। इतना ही नहीं, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पश्चिम बंगाल में दो दर्जन से भी ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार का जिम्मा दिया गया है। जिसके कारण मौर्य इन दिनों अपना सरकारी कामकाज यूपी में निपटाकर अपना ज्यादा वक्त पश्चिम बंगाल में गुजार रहे हैं। केवल डिप्टी सीएम ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी दो मार्च को पश्चिम बंगाल के मालदा में चुनावी रैली को संबोधित कर चुके हैं। अब वो 16 मार्च को रायपुर मिदनापुर पुरलिया में जनसभा को संबोधित करेंगे।
कांग्रेस के पश्चिम बंगाल के प्रभारी और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद भी लंबे समय से कोलकाता में कैंप कर रहे हैं। वो यहां रह कर चुनावी रणनीति से लेकर टिकट वितरण तक का काम देख रहे हैं। जितिन प्रसाद बंगाल में अलग-अलग जनसभाएं कर उत्तर प्रदेश के लोगों को लुभाने में जुटे हैं। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पहले ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को समर्थन देने का ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने पार्टी की बंगाल ईकाई का कार्यभार देख रहे किरणमय नंदा को दीदी के पक्ष में चुनावी सभाएं करने का भी निर्देश दिया है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव जल्दी ही पश्चिम बंगाल का दौरा कर सकते हैं। बैटल ऑफ बंगाल में जहां एक तरफ ममता बनर्जी 'खेला हौबे' का नारा दे रही हैं। वहीं यूपी के नेता भी बंगाल का सियासी खेल अपने पक्ष में मोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। हांलाकि इस खेल में किसे जीत मिलेगी और किसके हाथ खाली रहेंगे इसका पता दो मई को विधानसभा चुनाव के आने वाले परिणाम बताएंगे।
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पश्चिम बंगाल के चुनावी रण में यूपी के शीर्ष नेताओं की रैलियां, चर्चा का विषय बने प्रदेश के मुद्दे