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कुंभ का पहला शाही स्नान रक्तरंजित होने से बाल-बाल बचा  निरंजनी और किन्नर अखाडे़ आमने-सामने आने से हो सकता था खूनी संघर्ष  कुंभ आईजी की सूझबूझ से खूनी टकराव टला, हेलीकॉप्टर की ली गयी मदद 

कुंभ का पहला शाही स्नान रक्तरंजित होने से बाल-बाल बचा  निरंजनी और किन्नर अखाडे़ आमने-सामने आने से हो सकता था खूनी संघर्ष  कुंभ आईजी की सूझबूझ से खूनी टकराव टला, हेलीकॉप्टर की ली गयी मदद 

हरिद्वार, । कुम्भ 2021 का महाशिवरात्रि का पहला शाही स्नान रक्तरंजित कुंभ होने से बाल-बाल बच गया। दो आखाडों की बीच आमने सामने आने से खूनी टकराव को टालने का श्रेय कुंभ आईजी की सूझबूझ को जाता है। जिन्होंने कुंभ को रक्त रंजित होने से बचाने के लिए सूझबूझ से हेलीकॉप्टर की मदद ली। अगर समय रहते मेला कुंभ आईजी एक्शन न लेते तो कुंभ 1998 के रक्त रंजित इतिहास एक फिर दोहराया जा सकता था। कुंभ मेला आईजी की सूझबूझ और उनकी सक्रियता को लेकर शासन प्रशासन में जमकर तारीफ की जा रही है। अब हम आप को बताते हैं कि कुंभ 2021 के महाशिवरात्रि के पहले शाही स्नान पर ऐसा आखिर क्या हुआ। जिससे कुंभ मेला प्रशासन के होश उड गये और कुंभ 2021 का पहला शाही स्नान रक्त रंजित होने से बाल बाल बच गया। कुंभ 2021 में महाशिवारात्रि के पहले शाही स्नान में परम्पराओं के अनुसार 07 सन्यासी अखाड़ों के द्वारा शाही स्नान किया जाना था, सभी अखाड़ों के जुलूस का अपनी छावनी से हरकी पैड़ी तक पहुंचने और स्नान कर अपनी छावनी में वापस आने तक का मार्ग हरिद्वार शहर के बीचों बीच स्थित अपर रोड निर्धारित था। अखाड़ों के स्नान का क्रम, स्नान का समय और आने जाने का मार्ग हर तरह से निश्चित हो चुका था। जूना अखाड़ा के शाही स्नान का जुलूस अपने पूर्व निर्धाारित क्रम और समय पर पूरी भव्यता के साथ मायादेवी प्रांगण स्थित छावनी से निकल कर हरकी पैड़ी की ओर चल पड़ा। जूना अखाडे द्वारा अपने निर्धारित समय पर हरकी पैड़ी पहुँच कर स्नान प्रारंभ कर दिया गया लेकिन जूना अखाड़े के ही जुलूस का हिस्सा किन्नर अखाड़ा विलंब से छावनी से निकला। विलंब से निकलने के कारण किन्नर अखाड़े के पदाधिकारी अपने अनुयायियों सहित हरकी पैड़ी पर स्नान के लिए उस वक्त पहुंचे, जिस वक्त श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा अपने निर्धारित समय पर छावनी से निकल पडा था और हरकी पैड़ी की और बढ़ रहा था। समय सीमा के इस अतिक्रमण के कारण दोनो अखाड़ों का अपर रोड पर किसी भी जगह एक दूसरे के आमने-सामने पड़ना और कुंभ 1998 के रक्त रंजित इतिहास को दोहराया जाना तय था। जिसकी जानकारी लगते ही कुंभ मेला प्रशासन में हड़कम्प मच गया। कुंभ आईजी संजय गुंज्याल अपने कुछ अनुभवी और कुशल पुलिस अधिकारियों को लेकर तुलसी चैक पहुंचे, जहां से निरंजनी अखाड़े को मुड़कर अपर रोड पर पहुंचना था और जूना से आमना-सामना होने की परिस्तिथी बननी थी। कुंभ आईजी ने सूझबूझ से काम करते हुए श्री पंचायती निंरजनी अखाडे की शाही जुलूस को तुलसी चैक पर यह कहते हुए रोक लिया कि मुख्यमंत्री के आदेश पर शाही जुलूस पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा कर स्वागत करना है। शाही जुलूस का स्वागत करने के लिए तुलसी चैक को चयनित किया गया है। जिसपर निरंजनी अखाडे के पदाधिकारियों ने कुंभ आईजी के बात को सहर्ष स्वीकार कर लिया। इसी दौरान आईजी कुम्भ के द्वारा किन्नर अखाड़े के साथ जुलूस डयूटी पर लगे पुलिसबल को निर्देशित किया गया कि जितना जल्दी हो सके किन्नर अखाड़े को वापस अपनी छावनी में पहुंचा दिया जाए। लेकिन किन्नर अखाड़े को छावनी में पहुंचाने में समय लगना तय था और ज्यादा देर तक निरंजनी अखाड़े को तुलसी चैक पर रोके रखना भी टेढ़ी खीर था। मौके की नजाकत को भांपते हुए कुंभ आईजी ने हेलीकॉप्टर के पायलट से बात की गई और उसको बताया गया कि तुलसी चैक के ऊपर चक्कर लगाता रहे लेकिन पुष्पवर्षा तभी करे जब उसे कहा जाए। वहीं पुलिस बल किन्नर अखाड़े को लेकर छावनी में प्रवेश कराने के नजदीक पहुंच गया। तुलसी चैक पर निरंजनी अखाड़े के जुलूस के ऊपर चल रही हेलीकॉप्टर की कलाबाजियों के दौरान थोड़ी देर में ही मैसेज आया कि किन्नर अखाड़ा अपनी छावनी में सकुशल प्रवेश कर गया है। इस संदेश के प्राप्त होने के साथ ही सबने राहत की सांस ली और कुंभ आईजी के निर्देश पर हेलीकॉप्टर ने निरंजनी अखाड़े के जुलूस पर पुष्पवर्षा शुरू कर दी। जिसके पश्चात निरंजनी अखाडे़ की शाही जुलूस हरकी पैड़ी के लिए प्रस्थान हुआ। 
 

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