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नॉन-ओ ब्लड ग्रुप के लोगों को होता है हार्ट अटैक का ज्‍यादा खतरा -इन लोगों में कोरोनरी और हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम 9 फीसदी अधिक

नॉन-ओ ब्लड ग्रुप के लोगों को होता है हार्ट अटैक का ज्‍यादा खतरा -इन लोगों में कोरोनरी और हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम 9 फीसदी अधिक

नई दिल्ली। हाल में ही हुई एक स्टडी के अनुसार, नॉन-ओ ब्लड टाइप वाले लोगों में दिल का दौरा पड़ने का जोखिम अधिक होता है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि रक्त का प्रकार हार्ट अटैक को कैसे बढ़ा सकता है। स्टडी के निष्कर्ष आर्टेरियोस्क्लेरोसिस, थ्रोम्बोसिस और वैस्कुलर बायोलॉजी, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) में प्रकाशित हुए। स्टडी में 400,000 से अधिक लोगों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि ब्लड टाइप ए या बी वाले लोगों में ओ ब्लड ग्रुप वालों की अपेक्षा दिल के दौरे का जोखिम 8 प्रतिशत अधिक होता है। 
2017 में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी द्वारा की गई एक अन्य स्टडी में 1.36 मिलियन से अधिक लोग शामिल थे। इस स्टडी में यह भी पाया गया कि नॉन-ओ ब्लड टाइप वाले लोगों में कोरोनरी और हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम 9 प्रतिशत अधिक होता है। शोधकर्ताओं ने ब्लड टाइप ए और ब्लड टाइप बी की तुलना की। उन्होंने पाया कि ब्लड टाइप बी वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है। स्टडी के अनुसार, बी ब्लड टाइप के लोगों में ओ ब्लड टाइप वालों की अपेक्षा मायोकार्डियल इनफार्कशन (हार्ट अटैक) का खतरा अधिक होता है। जबकि ब्लड टाइप ए वाले लोगों में हार्ट फेलियर का खतरा ब्लड टाइप ओ वाले लोगों की अपेक्षा 11 प्रतिशत अधिक होता है। हार्ट फेल्योर और हार्ट अटैक दोनों हृदय से जुड़े रोग हैं। लेकिन हार्ट फेलियर धीरे-धीरे विकसित होता है जबकि हार्ट अटैक अचानक आता है। समय के साथ हार्ट अटैक हार्ट फेलियर का कारण बन सकता है।
  यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के अनुसार, नॉन-ओ प्रकार के रक्त समूह के लोगों में दिल का दौरा पड़ने या हार्ट फेल्योर होने के खतरे के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस ब्लड ग्रुप के लोगों में रक्त का थक्का तेजी से जमता है। 2017 में हुई एक स्टडी के अनुसार नॉन-ओ ब्लड ग्रुप वाले के लोगों में नॉन-वीलब्रैंड फैक्टर की अधिक सांद्रता होती है। यह रक्त का थक्का बनाने वाला एक प्रोटीन जो थ्रोम्बोटिक समस्याओं से जुड़ा हुआ है। रक्त का थक्का जमने के कारण टाइप ए और टाइप बी ब्लड वाले लोगों में थ्रोम्बोसिस का खतरा 44 प्रतिशत अधिक होता है। रक्त का थक्का बनना दिल का दौरा पड़ने के लिए जिम्मेदार होता है। यह कोरोनरी धमनी को ब्लॉक कर देता है जिससे हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिलते है। इसके कारण दिल का दौरान पड़ने लगता है।
 

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